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हिमोग्लोबिन कमी मामले में बस्तर अव्वल, 80 प्रतिशत लोगों में खून की कमी: टीएस सिंहदेव

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister Singhdeo) ने कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे दूरस्थ अंचल में गांव बसे हुए हैं. पूरे बस्तर में गांव से लेकर शहर तक की 80 प्रतिशत की आबादी में खून की कमी है. उन्हें एनीमिया है. शरीर में 11 ग्राम से नीचे खून का होना चिंताजनक है. डॉक्टर्स भी यह मानते हैं कि शरीर में यदि 6 ग्राम के नीचे खून है तो वह घातक है. इसके लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं.

Chhattisgarh Health Minister Singhdeo
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव
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Published : Sep 17, 2022, 9:50 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister Singhdeo) ने कहा कि बस्तर के 80 फीसदी लोगों में खून की कमी है. यह आंकड़ा चिंता का विषय है. छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग पहला ऐसा इलाका है जहां ऐसे हालात हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से कोशिश रहेगी की आंगनबाड़ी केंद्रों में और PDS दुकानों में मिलने वाले चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व शामिल किए जाएं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार हों. जिससे लोगों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 से नीचे न हों.

हिमोग्लोबिन कमी मामले में बस्तर अव्वल

यह भी पढ़ें: कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया का छत्तीसगढ़ दौरा

एनीमिया की शिकायत: बस्तर के स्वास्थ अधिकारियों से मिले आंकड़े के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि लगभग बस्तर संभाग के 80% लोग शरीर मे खून की कमी से एनीमिया की शिकायत है. इसमें सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों के साथ छोटे बच्चो और पुरुषों में है. खासकर मातृत्व में यह समस्या बनी हुई है. यह आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. खुद स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि यह देश के सबसे बड़े आंकड़ों में से एक है. ग्रामीणों के अधिकतर मौत के कारण की यही समस्या बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर वे खुद चिंतित है, हालांकि बैठक के बाद अधिकारियों को समस्या का समाधान निकालने के आदेश दिए हैं. मंत्री ने कहा कि बस्तर के ग्रामीणों को एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए अपने सेहत को लेकर खास सतर्कता बरतने की जरूरत है.

संभाग के 80 प्रतिशत लोगो में बनी है हीमोग्लोबिन की कमी: मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि बस्तर के ग्रामीण अंचलों में रह रहे लोगों को इससे निपटने के लिए काफी समस्या आती है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं हर ग्रामीण तक नहीं पहुंच पाने के चलते उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता. ग्रामीणों की मौत हो जाती है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रोटीन युक्त भोजन गर्भवती महिला और बच्चों को मिले. इसके लिए सरकार पोषण आहार अभियान भी चला रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कहीं ना कहीं कमी हो रही है. इस वजह से इस तरह की बीमारी से लोग बड़ी संख्या में जूझ रहे हैं. इतनी बड़ी संख्या में गंभीर बीमारी से बस्तर के ग्रामीणों की जूझने की जानकारी सामने आने के बाद शासन और प्रशासन इसके लिए गंभीर होकर काम करेगी.

हर 4 साल में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे: स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि हर 3 से 4 सालों में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे होता है. यह आंकड़ा उसमें भी दर्ज है. पहले भी ऐसी स्थित होती होगी. लेकिन हो सकता है कि पहले रिपोर्टिंग नहीं होती हो. ऐसा माना जाता है कि बस्तर में अंडा-मांस खाने का प्रचलन है. लेकिन, यहां के लोग अब इससे दूर हो रहे हैं. वे प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन कम कर रहे हैं. यूथ फास्ट फूड ज्यादा खा रहे हैं जो बीमारी का कारण है.

बस्तर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister Singhdeo) ने कहा कि बस्तर के 80 फीसदी लोगों में खून की कमी है. यह आंकड़ा चिंता का विषय है. छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग पहला ऐसा इलाका है जहां ऐसे हालात हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से कोशिश रहेगी की आंगनबाड़ी केंद्रों में और PDS दुकानों में मिलने वाले चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व शामिल किए जाएं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार हों. जिससे लोगों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 से नीचे न हों.

हिमोग्लोबिन कमी मामले में बस्तर अव्वल

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एनीमिया की शिकायत: बस्तर के स्वास्थ अधिकारियों से मिले आंकड़े के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि लगभग बस्तर संभाग के 80% लोग शरीर मे खून की कमी से एनीमिया की शिकायत है. इसमें सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों के साथ छोटे बच्चो और पुरुषों में है. खासकर मातृत्व में यह समस्या बनी हुई है. यह आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. खुद स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि यह देश के सबसे बड़े आंकड़ों में से एक है. ग्रामीणों के अधिकतर मौत के कारण की यही समस्या बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर वे खुद चिंतित है, हालांकि बैठक के बाद अधिकारियों को समस्या का समाधान निकालने के आदेश दिए हैं. मंत्री ने कहा कि बस्तर के ग्रामीणों को एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए अपने सेहत को लेकर खास सतर्कता बरतने की जरूरत है.

संभाग के 80 प्रतिशत लोगो में बनी है हीमोग्लोबिन की कमी: मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि बस्तर के ग्रामीण अंचलों में रह रहे लोगों को इससे निपटने के लिए काफी समस्या आती है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं हर ग्रामीण तक नहीं पहुंच पाने के चलते उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता. ग्रामीणों की मौत हो जाती है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रोटीन युक्त भोजन गर्भवती महिला और बच्चों को मिले. इसके लिए सरकार पोषण आहार अभियान भी चला रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कहीं ना कहीं कमी हो रही है. इस वजह से इस तरह की बीमारी से लोग बड़ी संख्या में जूझ रहे हैं. इतनी बड़ी संख्या में गंभीर बीमारी से बस्तर के ग्रामीणों की जूझने की जानकारी सामने आने के बाद शासन और प्रशासन इसके लिए गंभीर होकर काम करेगी.

हर 4 साल में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे: स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि हर 3 से 4 सालों में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे होता है. यह आंकड़ा उसमें भी दर्ज है. पहले भी ऐसी स्थित होती होगी. लेकिन हो सकता है कि पहले रिपोर्टिंग नहीं होती हो. ऐसा माना जाता है कि बस्तर में अंडा-मांस खाने का प्रचलन है. लेकिन, यहां के लोग अब इससे दूर हो रहे हैं. वे प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन कम कर रहे हैं. यूथ फास्ट फूड ज्यादा खा रहे हैं जो बीमारी का कारण है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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