बस्तर: शहर के अंबेडकर वार्ड में रहने वाले ओमप्रकाश अवस्थी का रविवार की रात निधन हो गया. रात भर उनका कालू अर्थी के पास बैठा रहा, और सोमवार की दोपहर शव वाहन में जैसे ही शव रखा गया. कालू जोर जोर से रोने लगा और रोकने की तमाम कोशिशों के बाद भी वह कूदकर शव वाहन में चढ़कर अर्थी के पास बैठ गया. मालिक के प्रति एक कुत्ते का प्रेम देख लोगों की आंखें भर आईं. कालू अपने मालिक की अर्थी के साथ मुक्तिधाम तक गया, लोगों ने उसे रोकने का प्रयास किया. पर सभी विफल रहे, और मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के बाद भी वह उस रात वापस घर नहीं लौटा.
अंतिम यात्रा निकली तो आगे आगे चलने लगा: अंबेडकर वार्ड के निवासी हेमंत कश्यप ने बताया कि "उनके पड़ोस में रहने वाले ओमप्रकाश अवस्थी का 72 वर्ष की उम्र में रविवार रात को निधन हो गया था. सोमवार दोपहर एक बजे उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. जब तक अर्थी आंगन में रही कालू श्वान वहीं बैठा रहा. जैसे ही अंतिम यात्रा शुरू हुई, वह भौंकते हुए अर्थी के आगे चलने लगा. दिवंगत ओमप्रकाश अवस्थी दस साल पहले इस श्वान को लाए थे और उसे कालू नाम दिया. कालू हर घड़ी अपने मालिक के साथ ही रहता था."
...और शव वाहन में कूदकर चढ़ गया कालू: हेमंत ने बताया कि "मालिक की जब मौत हुई और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए शव वाहन में रखा जा रहा था तो कालू भी इस अंतिम यात्रा के आगे आगे चलने लगा. लोग उसे भगाने का प्रयास करते रहे, लेकिन वह अर्थी के साथ ही चलता रहा. जब अर्थी को शव वाहन में रखा गया तो वह कूदकर वाहन मे चढ़ गया और रोते हुए अपने मालिक के पार्थिव देह को लगातार देखता रहा. उसकी स्वामी भक्ति देख किसी ने उसे वाहन से नहीं उतारा."
अंतिम संस्कार के बाद भी मुक्तिधाम में बैठा रहा: कालू का अपने स्वामी के प्रति प्रेम देख लोग भावुक हो गए. उनकी आंखे छलक गईं. मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के बाद भी कालू वहीं बैठा रहा और घर नहीं लौटा. परिवारवालों के मुताबिक "मुक्तिधाम से कालू को लाने के लिए पूरी कोशिश की गई लेकिन वह नहीं आया. जहां दाह संस्कार किया गया कालू वहीं बैठा रह गया. मंगलवार की सुबह उसे जैसे तैसे जबरदस्ती कर वापस घर लाया गया."