बस्तर: छत्तीसगढ़ के 20 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को पहले चरण का मतदान सपन्न हुआ है. इस बार छत्तीसगढ़ में कई अंदरूनी क्षेत्रों के वोटर वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ पहुंचे. इस बीच बस्तर के अंतिम छोर पर बसे कोलेंग, चांदामेटा, मुण्डागढ़, छिंदगुर, काचीररास इलाके के ग्रामीणों ने मतदान किया. कई मतदाता ऐसे थे, जिन्होंने पहली बार वोट डाला है. अधिकतर लोगों ने मूलभूत सुविधाओं को लेकर वोट डाला है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वोट नहीं डाल पाते थे मतदाता: बताया जा रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण या फिर पोलिंग बूथ दूर होने के कारण कई मतदाता वोट डाल भी नहीं पाते हैं. इस कारण इस बार चुनाव आयोग ने पोलिंग बूथों की संख्या बढ़ाने के साथ ही वोटरों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान की. ताकि वोटर लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बन सकें. इस बीच ईटीवी भारत की टीम मंगलवार को वोटिंग के दौरान मुंडागढ़ के मतदान केंद्र पहुंची. यहां ईटीवी भारत ने स्थानीय मतदाताओं से बातचीत की और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की कि उनको कैसा विधायक चाहिए.
मूलभूत सुविधाओं के लिए वोट डालने पहुंचे ग्रामीण: बातचीत के दौरान एक युवा मतदाता ने बताया कि, " मैं पहली बार मतदान केंद्र पहुंचा हूं. वोट को लेकर काफी उत्साहित हूं. अपने काम को छोड़कर मतदान केंद्र पहुंचा हूं. ताकि अपने लिए सही विधायक और सरकार चुन सकूं." वहीं एक अन्य वोटर ने कहा कि, हमारे गांव में मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. बिजली, पानी, सड़क की समस्या से हम जूझ रहे हैं. यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ न कहलाए. इसलिए हम ऐसे नेता के लिए वोट देने आए हैं, जो हमारी समस्याओं का समाधान करे." इस दौरान बुजुर्ग मतदाताओं में मतदान को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला. 80 प्लस मतदाता भी मुंडागढ़ के मतदान केंद्र में पहुंचे हुए थे.
दरअसल छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सीमावर्ती इलाके पर बसा दरभा विकासखंड का चांदामेटा, मुण्डागढ़, कोलेंग, छिंदगुर, काचीररास गांव संवेदनशील क्षेत्र में पड़ता है. नक्सलियों की मौजूदगी इन इलाको में हमेशा बनी रहती है. चांदामेटा गांव में नक्सलियों का ट्रेनिंग कैम्प भी हुआ करता था, जहां वे अपने लाल लड़ाकों को ट्रेनिंग दिया करते थे. नक्सलियों का ट्रेनिंग ग्राउंड चांदामेटा गांव में आज भी मौजूद है. साथ ही नक्सलियों का ध्वस्त स्मारक भी यहां है. इस इलाके में नक्सली अपनी दशहत फैलाने के लिए कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. कई स्थानीय जनप्रतिधिनिधियों की हत्या भी यहां हो चुकी है. हालांकि मौजूदा समय में यहां की तस्वीर बदल चुकी है. यही कारण है कि यहां के वोटर बढ़ चढ़ कर वोटिंग करते नजर आए.