जगदलपुर: छत्तीसगढ़ की इंद्रावती नदी में पाई जाने वाली बोध मछली खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है. बताया जाता है यह मछली 150 किलो वजनी होती है. बुधवार को इंद्रावती नदी तट के पास ग्रामीणों ने एक बोध मछली पकड़ी है. इस मछली का वजन 60 किलो से अधिक था. मछली पकड़े जाने के बाद गांववाले उसे मारकर खा गए. बोध मछली को पकड़ने पर छत्तीसगढ़ में प्रतिबंध तो नहीं लगा है, लेकिन पर्यावरणविद इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं.
'बस्तर शार्क' के नाम से लोकप्रिय बोध मछली को बचाने के लिए प्रशासन की तरफ से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. भारत में ब्रम्हपुत्र और गोदावरी के अलावा ये मछली बस्तर की इंद्रावती नदी में चित्रकोट के पास पाई जाती है. इसे यहां 'कैटफिश' भी कहा जाता है.
पानी के बाहर भी जिंदा रह सकती है मछली
बोध मछली का वैज्ञानिक नाम बोमरियस है. यह मछली पानी के बाहर भी लम्बे समय तक जीवित रह सकती है. गर्मी के दिनों में इंद्रावती नदी का जलस्तर नीचे आते ही बड़े पैमाने पर इस मछली को पकड़ने का काम शुरू हो जाता है, जिससे इनकी संख्या तेजी से घट रही है.
बोध मछली को बचाने की कोई पहल नहीं की गई
बस्तर के कई पर्यावरण समितियां लंबे समय से बोध मछली को बचाने और इसे संरक्षित करने की मांग कर रही है, लेकिन बीते 15 साल में यह लगभग विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है.
राज्य मछली का दर्जा देने की मांग
इस मछली को राज्य मछली का दर्जा देकर इसके संरक्षण और संवर्धन की मांग की जा रही है. बोध मछली क्या है और इसकी महत्ता क्या है. इस संबंध में कभी गंभीरता से काम नहीं किया गया. जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो मछली की यह प्रजाति खत्म हो जाएगी.