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Gaurela Pendra Marwahi Shri Jwaleshwar Dham: एमपी छत्तीसगढ़ सीमा पर विराजे श्री ज्वालेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़ - गौरेला पेंड्रा मरवाही

Gaurela Pendra Marwahi Shri Jwaleshwar Dham:एमपी और छत्तीसगढ़ की सीमा पर विराजे श्री ज्वालेश्वर धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है.

Shri Jwaleshwar Dham
श्री ज्वालेश्वर धाम
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Published : Jul 10, 2023, 5:55 PM IST

Updated : Jul 17, 2023, 9:59 AM IST

ज्वालेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़

गौरेला पेंड्रा मरवाही: आज सावन का पहला सोमवार है. आज के दिन का पूरे सावन माह में खास महत्व होता है. आज हर शिवालय में शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. एमपी और छत्तीसगढ़ की सीमा पर विराजे भगवान ज्वालेश्वर महादेव के मंदिर में भी भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है.

श्री ज्वालेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़: सावन के पहले सोमवार के दिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ दिखी. मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित मां नर्मदा की पावन नगरी अमरकंटक से श्रद्धालु नर्मदा उद्गम से जल लाकर ज्वालेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने पहुंचे. ये मंदिर गौरेला में पड़ता है. हालांकि सीमावर्ती इलाका होने के कारण एमपी और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के श्रद्धालु यहां महादेव के दर्शन के लिए आते हैं.

'टसावन में इस मंदिर में भारी भीड़ रहती है. सावन के सोमवार में 30-35 हजार भक्त उमड़ते हैं. आम दिनों में यहा 20 से 25 हजार श्रद्धालु उमड़ते हैं. इस मंदिर में नर्मदा का जल लाकर शिवजी का अभिषेक करने से हर मनोकामना पूरी होती है.'' -ज्ञानेशवर पुरी,पुजारी, श्री ज्वालेश्वर धाम

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सावन में कांवर लेकर पहुंचते हैं भक्त: एमपी सीमा पर बसी आस्था और धर्म की नगरी अमरकंटक से श्रद्धालु नर्मदा उद्गम से जल लेकर छत्तीसगढ़ के गौरेला के ज्वालेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने आते हैं. यूं तो पूरे सावन माह यहां भीड़ रहती है. लेकिन सावन का पहला सोमवार होने के कारण आज भीड़ ज्यादा देखने को मिलती है. सोमवार के दिन नर्मदा उद्गम से जल लेकर दस से बारह किलोमीटर दूर पैदल चलकर कांवरिया ज्वालेश्वर धाम पहुंचते हैं. यहां स्वयंभू शिवलिंग पर नर्मदा के उद्गम का जल चढ़ाते हैं.

इन राज्यों से भी आते हैं श्रद्धालु: ज्वालेश्वर धाम में जलाभिषेक करने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बंगाल, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी कांवर लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं. ब्रह्म मुहूर्त से ही जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है. कांवरिया सबसे पहले अमरकंटक पहुंचते हैं. यहां के नर्मदा उद्गम से जल भरकर विशेष पूजा अर्चना के बाद ज्वालेश्वर धाम पहुंचते हैं. यहां सावन माह के अलावा दूसरे दिनों में पर्यटक पहुंचते हैं. यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से काफी खास है. यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है. वनों के बीच स्थित यह मंदिर हर किसी का मन मोह लेता है.

ज्वालेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़

गौरेला पेंड्रा मरवाही: आज सावन का पहला सोमवार है. आज के दिन का पूरे सावन माह में खास महत्व होता है. आज हर शिवालय में शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. एमपी और छत्तीसगढ़ की सीमा पर विराजे भगवान ज्वालेश्वर महादेव के मंदिर में भी भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है.

श्री ज्वालेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़: सावन के पहले सोमवार के दिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ दिखी. मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित मां नर्मदा की पावन नगरी अमरकंटक से श्रद्धालु नर्मदा उद्गम से जल लाकर ज्वालेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने पहुंचे. ये मंदिर गौरेला में पड़ता है. हालांकि सीमावर्ती इलाका होने के कारण एमपी और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के श्रद्धालु यहां महादेव के दर्शन के लिए आते हैं.

'टसावन में इस मंदिर में भारी भीड़ रहती है. सावन के सोमवार में 30-35 हजार भक्त उमड़ते हैं. आम दिनों में यहा 20 से 25 हजार श्रद्धालु उमड़ते हैं. इस मंदिर में नर्मदा का जल लाकर शिवजी का अभिषेक करने से हर मनोकामना पूरी होती है.'' -ज्ञानेशवर पुरी,पुजारी, श्री ज्वालेश्वर धाम

Sawan Somvar: धमतरी के भीमा कोटेश्वर महादेव मंदिर में हैं शिव का नीलकंठेश्वर रूप, शिवलिंग पर चढ़ाया दूध हो जाता है नीला
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सावन में कांवर लेकर पहुंचते हैं भक्त: एमपी सीमा पर बसी आस्था और धर्म की नगरी अमरकंटक से श्रद्धालु नर्मदा उद्गम से जल लेकर छत्तीसगढ़ के गौरेला के ज्वालेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने आते हैं. यूं तो पूरे सावन माह यहां भीड़ रहती है. लेकिन सावन का पहला सोमवार होने के कारण आज भीड़ ज्यादा देखने को मिलती है. सोमवार के दिन नर्मदा उद्गम से जल लेकर दस से बारह किलोमीटर दूर पैदल चलकर कांवरिया ज्वालेश्वर धाम पहुंचते हैं. यहां स्वयंभू शिवलिंग पर नर्मदा के उद्गम का जल चढ़ाते हैं.

इन राज्यों से भी आते हैं श्रद्धालु: ज्वालेश्वर धाम में जलाभिषेक करने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बंगाल, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी कांवर लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं. ब्रह्म मुहूर्त से ही जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है. कांवरिया सबसे पहले अमरकंटक पहुंचते हैं. यहां के नर्मदा उद्गम से जल भरकर विशेष पूजा अर्चना के बाद ज्वालेश्वर धाम पहुंचते हैं. यहां सावन माह के अलावा दूसरे दिनों में पर्यटक पहुंचते हैं. यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से काफी खास है. यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है. वनों के बीच स्थित यह मंदिर हर किसी का मन मोह लेता है.

Last Updated : Jul 17, 2023, 9:59 AM IST
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