गौरेला पेंड्रा मरवाही : जिले में कई जगहों पर माता की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है.जिन्हें स्थानीय लोगों के साथ बंगाल के कारीगर तैयार करते हैं. पेंड्रा के नए बस स्टैंड में पिछले 30 साल से माता की प्रतिमा का निर्माण होता चला आ रहा है. यहां भी बंगाल के कारीगर आकर माता की मनमोहक प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं.कारीगरों की माने तो पिछले कुछ साल में मूर्तियों की मांग बढ़ी है.लेकिन उतना मुनाफा नहीं होता,जितना पहले होता था.
कई महीने पहले ही आ जाते हैं कारीगर : मूर्तिकारों की माने तो वो और उनकी पूरी टीम पिछले 5 महीने पहले पश्चिम बंगाल से यहां पहुंचते है. ये मूर्तिकार मूर्ति को सजाने की सामग्री कपड़े, चुनरी से लेकर रंग, शस्त्र सभी सामग्री अपने साथ पश्चिम बंगाल से ही लाते हैं.पश्चिम बंगाल से आने के बाद सबसे पहले खोज होती है अच्छी मिट्टी की.मिट्टी मिलने के बाद बांस और पैरा लाकर मूर्ति निर्माण का काम शुरु किया जाता है.
'जितनी मेहनत एक मूर्ति को बनाने में लगती है.उतनी लागत नहीं मिल पाती.सिर्फ खर्चा ही निकल पाता है.इस साल एडवांस में ऑर्डर लेकर मूर्तियों का निर्माण किया गया है.'- आशाराम चक्रधारी ,मूर्तिकार
हाथ से बनीं प्रतिमाओं की मांग ज्यादा : एडवांस बुकिंग के अलावा भी मूर्तिकार कुछ प्रतिमाएं ज्यादा बनाते हैं.ताकि जरुरत पड़ने पर किसी को दी जा सके. इन कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकार भी एकजुट होकर मूर्ति बनाने का काम पूरा करते हैं. मूर्तिकारों की माने तो पिछले कुछ साल में लोगों में अच्छा उत्साह देखने को मिल रहा हैं.हाथ से बनाई गई प्रतिमाओं की मांग ज्यादा होती है.