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गरियांबद: मनरेगा ने रोजगार की चिंता की दूर, कई गांव के मजदूर हुए लाभान्वित

कोरोना काल में भी गरियाबंद जिले के मजदूरों को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के माध्यम से रोजगार मिल रहा है. साथ ही प्रशासन ने अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूरों को भी मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया है.

MGNREGA scheme in Gariaband
गरियाबंद में मनरेगा से मिला रोजगार
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Published : Jul 25, 2020, 2:29 PM IST

गरियाबंद: मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) वास्तव में आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन और रोजगार की गारंटी बन गया है. मनरेगा योजना से कोरोना संकट और लाॅकडाउन के दौरान भी मजदूरों को शासन की मदद से रोजगार उपलब्ध हुआ है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गरियाबंद जिले में इस दौरान रोजगारमूलक कार्य स्वीकृत किए गए हैं. जिसमें करीब 38 लाख 12 हजार 880 मानव दिवस का सृजन किया गया और करीब 67 करोड़ 25 लाख रूपये का मजदूरी भुगतान किया गया. जिससे मजदूर और उनके परिवारों को इस भयावह संकट के दौर में भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ा.

अन्य राज्यों से लौंटे प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराया रोजगार

दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूर को रोजगार उपलब्ध कराना प्रशासन के लिए चुनौती थी. लेकिन उन्हें रोजगार गारंटी के माध्यम से रोजगार दिया गया. फिंगेश्वर विकासखंड के 5 ग्राम पंचायतों के 10 प्रवासी मजूदरों को 52 दिन का काम उपलबध कराया गया, जिससे उन्हें 7600 रूपये का भुगतान हुआ. ग्राम पोखरा के प्रवासी मजदूर आनंद राम ने बताया कि वे रोजी-मजदूरी के लिए ओडिसा गया हुआ था. लाॅकडाउन के दौरान जब ग्राम पंचायत आया तो उन्हें मनरेगा के तहत चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य और धरसा निर्माण में कुल 13 दिन का रोजगार मिला. जिससे उन्हें 2470 रूपये प्राप्त हुआ. इससे उनके परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से हुआ.

अब गांव में ही रहकर करेंगे काम

मजदूर आनंद ने बताया कि मनरेगा से हमें रोजगार की चिंता नहीं रही और न ही हमें इधर-उधर भटकने की आवश्यकता पड़ी. उनका कहना है कि अब भविष्य में पलायन न करके गांव में ही रहकर कार्य करेंगे.

डबरी निर्माण से खेती और मछली पालन को मिला बढ़ावा

डबरी निर्माण से जल संरक्षण और जल संग्रहण के साथ-साथ रोजगार और आजीविका के संवर्धन से ग्राम बेहराडीह के हितग्राही भगत राम खुश हैं. उनका कहना है कि उनकी मांग पर निजी जमीन में डबरी निर्माण स्वीकृत किया गया. लाॅकडाउन के दौरान डबरी निर्माण से रोजगार तो मिला ही साथ ही अभी बरसात में जल भराव के कारण खेतों में सिंचाई और मत्स्य पालन भी किया जा रहा है. उनका कहना है कि पहले मैं केवल एक फसल लेता था, लेकिन अब दोहरी फसल के साथ अपने बाड़ी में भी साग-भाजी का उत्पादन करेंगे. उन्होंने बताया कि डबरी कि निर्माण से आस-पास के किसानों को भी सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.

तालाब निर्माण के लिए करीब 9 लाख 38 हजार रूपये की स्वीकृति

इसी तरह ग्राम पंचायत चिखली के कोमल राम ने बताया कि उनके निजी जमीन में तालाब निर्माण के लिए करीब 9 लाख 38 हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई. तालाब निर्माण की शुरुआत कोरोना संकट के काल में किया गया. डबरी निर्माण से जाॅब कार्डधारी मजदूरों को 4 हजार 824 मानव दिवस का रोजगार मिला. उन्होंने बताया कि इससे गांव वालों को रोजगार भी मिला और नए सिंचाई का साधन मिला.

गरियाबंद: मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) वास्तव में आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन और रोजगार की गारंटी बन गया है. मनरेगा योजना से कोरोना संकट और लाॅकडाउन के दौरान भी मजदूरों को शासन की मदद से रोजगार उपलब्ध हुआ है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गरियाबंद जिले में इस दौरान रोजगारमूलक कार्य स्वीकृत किए गए हैं. जिसमें करीब 38 लाख 12 हजार 880 मानव दिवस का सृजन किया गया और करीब 67 करोड़ 25 लाख रूपये का मजदूरी भुगतान किया गया. जिससे मजदूर और उनके परिवारों को इस भयावह संकट के दौर में भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ा.

अन्य राज्यों से लौंटे प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराया रोजगार

दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूर को रोजगार उपलब्ध कराना प्रशासन के लिए चुनौती थी. लेकिन उन्हें रोजगार गारंटी के माध्यम से रोजगार दिया गया. फिंगेश्वर विकासखंड के 5 ग्राम पंचायतों के 10 प्रवासी मजूदरों को 52 दिन का काम उपलबध कराया गया, जिससे उन्हें 7600 रूपये का भुगतान हुआ. ग्राम पोखरा के प्रवासी मजदूर आनंद राम ने बताया कि वे रोजी-मजदूरी के लिए ओडिसा गया हुआ था. लाॅकडाउन के दौरान जब ग्राम पंचायत आया तो उन्हें मनरेगा के तहत चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य और धरसा निर्माण में कुल 13 दिन का रोजगार मिला. जिससे उन्हें 2470 रूपये प्राप्त हुआ. इससे उनके परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से हुआ.

अब गांव में ही रहकर करेंगे काम

मजदूर आनंद ने बताया कि मनरेगा से हमें रोजगार की चिंता नहीं रही और न ही हमें इधर-उधर भटकने की आवश्यकता पड़ी. उनका कहना है कि अब भविष्य में पलायन न करके गांव में ही रहकर कार्य करेंगे.

डबरी निर्माण से खेती और मछली पालन को मिला बढ़ावा

डबरी निर्माण से जल संरक्षण और जल संग्रहण के साथ-साथ रोजगार और आजीविका के संवर्धन से ग्राम बेहराडीह के हितग्राही भगत राम खुश हैं. उनका कहना है कि उनकी मांग पर निजी जमीन में डबरी निर्माण स्वीकृत किया गया. लाॅकडाउन के दौरान डबरी निर्माण से रोजगार तो मिला ही साथ ही अभी बरसात में जल भराव के कारण खेतों में सिंचाई और मत्स्य पालन भी किया जा रहा है. उनका कहना है कि पहले मैं केवल एक फसल लेता था, लेकिन अब दोहरी फसल के साथ अपने बाड़ी में भी साग-भाजी का उत्पादन करेंगे. उन्होंने बताया कि डबरी कि निर्माण से आस-पास के किसानों को भी सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.

तालाब निर्माण के लिए करीब 9 लाख 38 हजार रूपये की स्वीकृति

इसी तरह ग्राम पंचायत चिखली के कोमल राम ने बताया कि उनके निजी जमीन में तालाब निर्माण के लिए करीब 9 लाख 38 हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई. तालाब निर्माण की शुरुआत कोरोना संकट के काल में किया गया. डबरी निर्माण से जाॅब कार्डधारी मजदूरों को 4 हजार 824 मानव दिवस का रोजगार मिला. उन्होंने बताया कि इससे गांव वालों को रोजगार भी मिला और नए सिंचाई का साधन मिला.

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