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मिसाल: एक महिला जिसने 1 हजार से ज्यादा किए हैं पोस्टमार्टम - woman did post mortem

गरियाबंद के राजिम की रहने वाली एक महिला अब तक एक हजार से ज्यादा शवों का पोस्टमार्टम कर चुकी है. महिला के इस साहस भरे काम की तारीफ पूरे क्षेत्र के लोग करते हैं.

woman who has done more than a thousand post mortem in gariaband
महिला दिवस
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Published : Mar 8, 2020, 11:13 AM IST

Updated : Mar 8, 2020, 3:23 PM IST

गरियाबंद : करो विश्वास नारी पर तो ये इतिहास बदल देगी, जरा सा पंख खोले तो ये आकाश छू लेगी. महिलाओं ने जब जरुरत पड़ी तब ये साबित कर दिखाया है कि ऐसा कोई काम नहीं जो महिलाएं नहीं कर सकती. महिला दिवस के मौके पर ETV भारत आपको एक ऐसी ही महिला से रूबरु करा रहे हैं, जिसने छोटे से गांव में रहकर पोस्टमार्टम जैसा कठिन काम करना शुरू किया है. ये महिला है राजिम की रहने वाली सरस्वती साहानी. घर चलाने और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी मिलते ही सरस्वती ने पोस्टमार्टम करना शुरू किया. आज सरस्वती एक हजार से ज्यादा शवों का पोस्टमार्टम कर चुकी है.

सरस्वती के साहस को सलाम

गरियाबंद के राजिम की रहने वाली सरस्वती साहानी को लोग उसके साहस और काम के लिए जानते हैं. शायद ही कोई महिला होगी जिसने पोस्टमार्टम जैसे काम को बतौर पेशा चुनेगी ऐसे में ये काम कर सरस्वती ने समाज में एक मिसाल पेश की है.

बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी ने दिया साहस

सरस्वती ने बताया कि वर्षों पहले फिंगेश्वर नयापारा में पोस्टमार्टम करने के लिए किसी व्यक्ति की जरुरत पड़ी. जब कोई पुरूष इस काम के लिए आगे नहीं आया तो सरस्वती ने आगे बढ़कर इस काम के लिए हामी भरी. गरीबी से जूझ रही सरस्वती की 4 बेटियां है जिनकी परवरिश की जिम्मेदारी उसके सर पर थी. जिसे देखते हुए सरस्वती ने ये काम कुछ निजी और शासकीय डॉक्टरों की निगरानी में करना शुरू किया.

woman who has done more than a thousand post mortem in gariaband
सरस्वती साहानी

महिलाओं के लिए बनी साहस का प्रतीक

जिस काम को करने के लिए पुरुषों को नशे का सहारा लेना पड़ता है ऐसा काम सरस्वती अब अकेले करने लगी है. सरस्वती बताती है कि शुरू में समाज में उनके इस काम के लिए लोग हीन भाव रखते थे, लेकिन अब उनके इस साहस का सम्मान करते है. उनके इस साहस को देख पूरे इलाके के लोग सरस्वती की तारीफ करते नहीं थकते हैं.

गरियाबंद : करो विश्वास नारी पर तो ये इतिहास बदल देगी, जरा सा पंख खोले तो ये आकाश छू लेगी. महिलाओं ने जब जरुरत पड़ी तब ये साबित कर दिखाया है कि ऐसा कोई काम नहीं जो महिलाएं नहीं कर सकती. महिला दिवस के मौके पर ETV भारत आपको एक ऐसी ही महिला से रूबरु करा रहे हैं, जिसने छोटे से गांव में रहकर पोस्टमार्टम जैसा कठिन काम करना शुरू किया है. ये महिला है राजिम की रहने वाली सरस्वती साहानी. घर चलाने और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी मिलते ही सरस्वती ने पोस्टमार्टम करना शुरू किया. आज सरस्वती एक हजार से ज्यादा शवों का पोस्टमार्टम कर चुकी है.

सरस्वती के साहस को सलाम

गरियाबंद के राजिम की रहने वाली सरस्वती साहानी को लोग उसके साहस और काम के लिए जानते हैं. शायद ही कोई महिला होगी जिसने पोस्टमार्टम जैसे काम को बतौर पेशा चुनेगी ऐसे में ये काम कर सरस्वती ने समाज में एक मिसाल पेश की है.

बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी ने दिया साहस

सरस्वती ने बताया कि वर्षों पहले फिंगेश्वर नयापारा में पोस्टमार्टम करने के लिए किसी व्यक्ति की जरुरत पड़ी. जब कोई पुरूष इस काम के लिए आगे नहीं आया तो सरस्वती ने आगे बढ़कर इस काम के लिए हामी भरी. गरीबी से जूझ रही सरस्वती की 4 बेटियां है जिनकी परवरिश की जिम्मेदारी उसके सर पर थी. जिसे देखते हुए सरस्वती ने ये काम कुछ निजी और शासकीय डॉक्टरों की निगरानी में करना शुरू किया.

woman who has done more than a thousand post mortem in gariaband
सरस्वती साहानी

महिलाओं के लिए बनी साहस का प्रतीक

जिस काम को करने के लिए पुरुषों को नशे का सहारा लेना पड़ता है ऐसा काम सरस्वती अब अकेले करने लगी है. सरस्वती बताती है कि शुरू में समाज में उनके इस काम के लिए लोग हीन भाव रखते थे, लेकिन अब उनके इस साहस का सम्मान करते है. उनके इस साहस को देख पूरे इलाके के लोग सरस्वती की तारीफ करते नहीं थकते हैं.

Last Updated : Mar 8, 2020, 3:23 PM IST
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