गरियाबंद: कोरोना वैक्सीन को लेकर ग्रामीण इलाकों में फैले अंधविश्वास और अफवाहों से जुड़ी कई खबरें आपने सुनी या देखी होंगी. लेकिन ईटीवी भारत की टीम ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़ी एक ऐसी खबर दिखाने जा रही हैं, जिसमें आस्था भी है और विज्ञान भी. आस्था के सहारे अफवाहों को दूर किया गया और जिले में सर्वाधिक वैक्सीनेशन वाले गांव की उपलब्धि हासिल की गई.
गरियाबंद का तेतलखूंटी गांव में भी कोरोना और वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई गई. हालात ये हुए कि अनहोनी के डर से कोई भी वैक्सीन लगवाने सामने नहीं आया. लेकिन गांव के बुजुर्ग और जनप्रतिनिधियों ने समझदारी से काम लिया. यहां के लोगों ने वैक्सीन को गांव के लिए शुभ माना और हर शुभ कार्य की तरह गांव में वैक्सीनेशन का काम शुरू करने से पहले ग्राम देवी की पूजा की. ग्रामीणों के मुताबिक 24 घंटे की पूजा अर्चना के बाद ग्राम देवी ने वैक्सीनेशन से कोई अनहोनी नहीं होने का आशीर्वाद देते हुए वैक्सीन लगवाने की अनुमति दी. जिसके बाद गांव में तेजी से वैक्सीन लगवाना शुरू हुआ.
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वैक्सीनेशन को लेकर पहले स्थान पर तेतलखुंटी गांव
अब गांव के हालात ये है कि 45+ उम्र के लगभग सभी लोग वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं. यही नहीं 18+ उम्र वालों के लिए वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो उसमे भी ग्रामीणों का काफी उत्साह देखने को मिला. गांव में आयोजित दो दिवसीय शिविर में 223 लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज ली है. कुल 1983 की आबादी वाले इस गांव में अबतक 945 डोज वैक्सीन लगा चुके हैं. प्रतिशत के हिसाब से यह गांव अब जिले में वैक्सीनेशन को लेकर पहले स्थान पर है.
दूसरे गांव के लोग भी हुए प्रभावित
तेतलखूंटी में हुए सफल वैक्सीनेशन का असर अब यहां के आसपास के गांवों में भी देखने को मिलने लगा है. बजाड़ी गांव में भी तेतलखूंटी की तरह पहले ग्राम देवी से पूजा अर्चना कर वैक्सीनेशन की इजाजत ली गई. गांव के सरपंच के मुताबिक ग्राम देवी ने अनुमति दे दी है, अब उनके गांव के सभी लोग टीका लगवाएंगे.
'टीका लगने के बाद मैं नहीं मरा, पटवारी नहीं मरा, तो तुमलोग कैसे मर जाओगे'
अफवाहों को दरकिनार कर तेतलखूंटी में हुए सफल वैक्सीनेशन से स्थानीय प्रशासन गदगद है. मैनपुर एसडीएम सूरज साहू ने विकासखंड के बाकी ग्रामवासियों को भी तेतलखूंटी के ग्रामीणों से सीख लेने की सलाह दी है. वैज्ञानिक वैक्सीनेशन को ही कोरोना खत्म करने का एकमात्र उपाय मानते हैं. तेतलखूंटी में ग्रामीणों को भले ही विज्ञान की उतनी समझ ना हो. लेकिन अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है. जिस काम को करवाने में शासन-प्रशासन के पसीने छूट रहे थे, वह का काम ग्रामीणों की आस्था ने कर दिया है.