गरियाबंद: सरकार के शुद्ध पानी के दावों के बीच बूंद-बूंद पानी को तरसते उदंती के ग्रामीण अपने इलाके की हकीकत बयां कर रहे हैं. यहां के ग्रामीण पानी की समस्या (drinking water problem) से जूझ रहे हैं. तीन मोहल्लों में वैसे तो चार हैंडपंप थे. लेकिन दो पहले ही खराब हो चुके थे. एक के ऊपर का हिस्सा मकैनिक खोलकर ले गया और एक हैंडपंप गर्मी में जलस्तर गिरने से पानी आना बंद हो गया. अब मजबूरी में ग्रामीणों को उदंती नदी (Udanti River) की रेत में झिरिया खोदकर पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है. इस पर अधिकारी जल्द गांव में पानी का इंतजाम करवाने की बात तो कह रहे हैं, लेकिन कैमरे पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.
गरियाबंद के आदिवासी बहुल्य मैनपुर विकासखंड में बमनीझोला, ऊपरपारा, बीचपारा, उदंती, के सैकड़ों ग्रामीण आज झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. यहां के ग्रामीण मई-जून की इस भीषण गर्मी में हर रोज करीब 1 से 2 किलोमीटर रोज पैदल चलकर झिरिया से पीने के लिए पानी ला रहे हैं. इसी पानी का वे उपयोग कर रहे हैं.
ग्रामीणों की मांग अधूरी
ग्रामीणों ने बताया कि अपनी मांग को लेकर वे कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं. पंचायत स्तर पर भी अपनी आवाज उठा चुके हैं. लेकिन उनकी पानी की व्यवस्था की मांग आज भी अधूरी है. यहां के ग्रामीण मौजूदा स्थिति में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.
पीने के साफ पानी के लिए तरसता बस्तर
महीनो से बंद पड़ा हैंडपंप
नल जल योजना (nal jal scheme) के तहत घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए पानी टंकी का निर्माण (construction of water tank) होना था. जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है. कहने को तो यहां कई हैंडपंप हैं. लेकिन ज्यादातर हैंडपंप बंद पड़े हैं. एक हैंडपंप ऐसा भी है जो चालू था लोगों का काम उससे चल रहा था, लेकिन उससे घर-घर पानी पहुंचाने की नल जल योजना की पाइप लाइन जोड़े जाने की बात कह कर उसके ऊपर का हिस्सा निकालकर कुछ मकैनिक ले गए. जिसके बाद से गांव में पानी की समस्या और बढ़ गई.
पंचायत और अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप
ग्राम पंचायत कोयबा के ऊपरपारा, बीचपारा और उदंती में करीब 25 से 30 परिवार के 100 लोग रहते हैं. कोरोनाकाल के इस समय में ग्रामीण पेयजल संकट से दोहरी मार झेल रहे हैं.