ETV Bharat / state

साइकिल दिवस विशेष: 69 वर्ष की उम्र में प्रतिदिन करते हैं 25 किलोमीटर साइकिलिंग

साइकिल दिवस में ETV भारत पाठकों को 69 साल के शिक्षक आरके सिन्हा के बारे में बता रहा है. सिन्हा प्रतिदिन सुबह 25 किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं. 44 वर्षों के शिक्षकीय जीवन में साइकिल के अतिरिक्त दूसरे साधनों का प्रयोग नहीं किया. आज भी 45 किलोमीटर दूर अपने गृह निवास साइकिल से ही चले जाते हैं.

Teacher RK Sinha
शिक्षक आरके सिन्हा
author img

By

Published : Jun 3, 2021, 10:20 PM IST

गरियाबंद: संयुक्त राष्ट्र संघ ने 3 जून को दुनिया में साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज के समय में पेट्रोलियम ईंधन के बढ़ते दामों और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साइकिल जैसे संसाधनों का उपयोग करना नितांत आवश्यक हो गया है. वर्तमान परिवेश में लोग सुविधाभोगी और आरामतलब हो गए हैं. बिना मोटरसाइकिल के घर से निकलना पसंद तक नहीं करते हैं. लेकिन आज भी ऐसे लोग मौजूद है जो दैनिक जीवन में साइकिल चलाना पसंद करते हैं. ऐसे ही एक शख्सियत हैं सेवानिवृत्त व्याख्याता केआर सिन्हा. आरके सिन्हा 69 साल की उम्र में भी स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सुबह 25 किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं. अंचल में स्वावलंबन और मजबूत स्वास्थ्य की मिसाल के रूप में जाने जाते हैं.

Teacher RK Sinha
शिक्षक आरके सिन्हा

रोज क्यों चलाते हैं साइकिल ?

युवा वर्ग अपने सिन्हा गुरूजी को कठोर कार्य करते देख हतप्रभ हो जाते हैं. क्योंकि जिस कार्य को गुरूजी आसानी से कर लेते हैं. वही कार्य उनसे आधी उम्र के युवाओं के लिए भी दुष्कर हो जाता है. सिन्हा अपनी इस कार्य क्षमता का रहस्य बताते हुए कहते हैं कि पैदल चलना, साइकिल चलाना और तैराकी से शरीर का पूर्ण व्यायाम हो जाता है. संयमित खानपान और सही समय पर सोने उठने से स्वस्थ दीर्घायु जीवन पाया जा सकता है. सिन्हा कहते हैं कि स्वस्थ शरीर और पर्यावरण संरक्षण का एक सहज उपाय साइकलिंग है.

लोगों को सेहत के प्रति जागरूक कर रहा रायपुर का TDR साइकलिंग क्लब

साइकिल चलाना है सेहत का राज

केआर सिन्हा कहते हैं कि साइकिल चलाने से रक्त संचरण सही रहता है. पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है. उन्होंने बताया कि अपने 44 वर्षों के शिक्षकीय जीवन में साइकिल के अतिरिक्त दूसरे साधनों का प्रयोग नहीं किया. प्रतिदिन सुबह खेत जाना, स्कूल जाना और अन्य कार्यो के लिए साइकिल का ही प्रयोग करते आए हैं. आज भी 45 किलोमीटर दूर अपने गृह निवास साइकिल से ही चले जाते हैं.

कटघोरा के खिलाड़ियों ने साइकिलिंग में मनवाया लोहा, उपेक्षा के बीच जीते राष्ट्रीय पदक

सिन्हा ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि उनकी शिक्षक के रूप में पहली पदस्थापना बीहड़ जंगलों से आच्छादित प्राथमिक शाला दीवना में हुई थी. तब गायडबरी की दुर्गम पहाड़ियों में एक बड़ा बोरा धान, चावल साइकिल में रखकर लाते और ले जाते थे. कहीं पर साइकिल खराब हो जाता था या पंचर हो जाए तो इसके लिए कैरियर में साइकिल बनाने के सारे औजार रखा करते थे. जहां कहीं भी खराबी आए वहीं पर साइकिल सुधार लिया करते थे. सिन्हा ने वर्तमान पीढ़ी से भी प्रतिदिन साइकिलिंग करने का आह्वान किया है.

गरियाबंद: संयुक्त राष्ट्र संघ ने 3 जून को दुनिया में साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज के समय में पेट्रोलियम ईंधन के बढ़ते दामों और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साइकिल जैसे संसाधनों का उपयोग करना नितांत आवश्यक हो गया है. वर्तमान परिवेश में लोग सुविधाभोगी और आरामतलब हो गए हैं. बिना मोटरसाइकिल के घर से निकलना पसंद तक नहीं करते हैं. लेकिन आज भी ऐसे लोग मौजूद है जो दैनिक जीवन में साइकिल चलाना पसंद करते हैं. ऐसे ही एक शख्सियत हैं सेवानिवृत्त व्याख्याता केआर सिन्हा. आरके सिन्हा 69 साल की उम्र में भी स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सुबह 25 किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं. अंचल में स्वावलंबन और मजबूत स्वास्थ्य की मिसाल के रूप में जाने जाते हैं.

Teacher RK Sinha
शिक्षक आरके सिन्हा

रोज क्यों चलाते हैं साइकिल ?

युवा वर्ग अपने सिन्हा गुरूजी को कठोर कार्य करते देख हतप्रभ हो जाते हैं. क्योंकि जिस कार्य को गुरूजी आसानी से कर लेते हैं. वही कार्य उनसे आधी उम्र के युवाओं के लिए भी दुष्कर हो जाता है. सिन्हा अपनी इस कार्य क्षमता का रहस्य बताते हुए कहते हैं कि पैदल चलना, साइकिल चलाना और तैराकी से शरीर का पूर्ण व्यायाम हो जाता है. संयमित खानपान और सही समय पर सोने उठने से स्वस्थ दीर्घायु जीवन पाया जा सकता है. सिन्हा कहते हैं कि स्वस्थ शरीर और पर्यावरण संरक्षण का एक सहज उपाय साइकलिंग है.

लोगों को सेहत के प्रति जागरूक कर रहा रायपुर का TDR साइकलिंग क्लब

साइकिल चलाना है सेहत का राज

केआर सिन्हा कहते हैं कि साइकिल चलाने से रक्त संचरण सही रहता है. पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है. उन्होंने बताया कि अपने 44 वर्षों के शिक्षकीय जीवन में साइकिल के अतिरिक्त दूसरे साधनों का प्रयोग नहीं किया. प्रतिदिन सुबह खेत जाना, स्कूल जाना और अन्य कार्यो के लिए साइकिल का ही प्रयोग करते आए हैं. आज भी 45 किलोमीटर दूर अपने गृह निवास साइकिल से ही चले जाते हैं.

कटघोरा के खिलाड़ियों ने साइकिलिंग में मनवाया लोहा, उपेक्षा के बीच जीते राष्ट्रीय पदक

सिन्हा ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि उनकी शिक्षक के रूप में पहली पदस्थापना बीहड़ जंगलों से आच्छादित प्राथमिक शाला दीवना में हुई थी. तब गायडबरी की दुर्गम पहाड़ियों में एक बड़ा बोरा धान, चावल साइकिल में रखकर लाते और ले जाते थे. कहीं पर साइकिल खराब हो जाता था या पंचर हो जाए तो इसके लिए कैरियर में साइकिल बनाने के सारे औजार रखा करते थे. जहां कहीं भी खराबी आए वहीं पर साइकिल सुधार लिया करते थे. सिन्हा ने वर्तमान पीढ़ी से भी प्रतिदिन साइकिलिंग करने का आह्वान किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.