गरियाबंद: भगवान शिव कण-कण में विराजमान हैं. सिर्फ जलाभिषेक से भक्तों की हर मुराद पूरे करने वाले शिव का विशालतम शिवलिंग गरियाबंद से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित है. हर साल सावन महीने और महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का मेला लगता है. दूर-दूर से बाबा के भक्त उनके दर्शन को पहुंचते हैं.
यहां स्थित शिवलिंग को विश्व का प्राकृतिक और विशालतम शिवलिंग माना जाता है. कहते हैं इस शिवलिंग का आकार हर साल बढ़ रहा है. गरियाबंद जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान के बारे में कुछ साल पहले तक ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं थी. लेकिन धीरे-धीरे इसकी ख्याति फैलने लगी.
हर साल बढ़ रहा है शिवलिंग का आकार
कहते हैं कि इसके विषय में सबसे पहले गोरखपुर से प्रकाशित पत्रिका कल्याण में जिक्र हुआ, जिसके बाद महाराष्ट्र से साधु पहुंचे और उन्होंने इस शिवलिंग के बढ़ते आकार के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद यहां के लोगों ने इस शिवलिंग को नापना प्रारंभ किया. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग हर तीन चार साल में 2 इंच बढ़ जाता है.
महाशिवरात्रि पर लगता है मेला
महाशिवरात्रि पर यहां 3 दिन का मेला लगता है. तीन दिन माहौल बम भोले के जयकारों से गूंज उठता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि महाशिवरात्रि के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. दूर दूर से पहुचने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां की समिति और कुछ दानकर्ता भंडारे की व्यवस्था करते हैं. बीते कुछ सालो में शासन से इस स्थान को मदद तो मिली लेकिन अब भी और सुविधाओं की दरकार है.