गरियाबंद: कोरोना काल में कई ऐसे कर्मी हैं जो काम से भागते फिर रहे हैं. वहीं इस महामारी में कई कर्मवीर भी हैं, जो लोगों की सेवा को एक मिशन मान कर पूरी शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. देवभोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लैब टेक्नीशियन के रूप में पदस्थ 39 वर्षीय प्रमोद शर्मा की कहानी कुछ ऐसी ही है. हार्ट पेशेंट और हार्ड की सर्जरी करवा चुके प्रमोद बिना डरे लोगों की सेवा में जुटे हैं. जो रोजाना सैकड़ों लोगों के कोरोना सैंपल कलेक्ट कर रहे हैं.
कोरोना की पहली लहर में प्रमोद सैंपल लेते समय अचानक बेहोश हो गए थे. जिसके बाद बीएमओ सुनील भारती ने तत्काल उन्हें अपने अंडर में लेकर प्रायमरी ट्रीटमेंट शुरू किया. बेहतर इलाज के लिए उन्हें रायपुर के हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया. रायपुर मेकाहारा में इलाज शुरू हुआ तो पता चला कि हार्ट से जुड़ी नशों में दो जगह ब्लॉकेज है.
सर्जरी के बाद पहुंचे ड्यूटी पर
बड़ी सर्जरी के बावजूद दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते ठीक होने में उन्हें महज 10 दिन लगा. प्रमोद मेडिकल अवकाश में जाकर माह भर आराम भी कर सकते थे, लेकिन प्रमोद ने आराम करने के बजाए काम पर लौटना जरूरी समझा. ऑपरेशन के 11वें दिन वे देवभोग काम पर लौट आये और लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं. प्रमोद ने कहा कि स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए मेरे पास 16 घंटे हैं. उन्होंने कहा कि 8 घंटे की ड्यूटी आसानी से कर सकता हूं. कोरोना संक्रमण हार्ट के मरीजो के लिए हाई रिस्क है, ऐसे में इस फ्रंट लाइन वर्कर का जज्बा जोखिम भरा है. प्रमोद के साथ 5 लैब टेक्नीशियन है. सभी की ड्यूटी कोरोना मरीजों के सैम्पल लेने की है.
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हाई रिस्क ड्यूटी के लिए हमेशा तैयार
खास बात यह है कि प्रमोद अपने विभाग में ड्यूटी के लिए काफी संजीदा माने जाते हैं, इनके वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि सभी स्टाफ में सबसे कम छुट्टी लेने वाले प्रमोद ही हैं. इसीलिए वे सबके चहेते भी हैं. हाई रिस्क वाली ड्यूटी होने के बावजूद कभी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटते, कई बार समस्या होने पर अचानक ड्यूटी खत्म होने के बाद भी बुलाने पर मना नहीं करते. वहीं कोई दूसरा लैब टेक्नीशियन अगर छुट्टी पर चला जाए तो जरूरत पड़ने पर इन्हें बुलाने पर उसके जगह भी काम करने से मना नहीं करते.