गरियाबंद: सुपेबेड़ा में एक और शख्स ने किडनी की बीमारी से दम तोड़ दिया. जय सिंह पटेल किडनी डिजीज़ से पीड़ित था और ओडिशा में इलाज करा रहा था, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी. सीएमएचओ ने इसकी पुष्टि की है. उनका कहना है कि जय सिंह पटेल न तो एलोपैथिक इलाज करा रहा था और न ही डायलिसिस करा रहा था.
गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव में 75 लोगों की जान किडनी की बीमारी ले चुकी है. 150 के करीब लोग बीमार हैं. गांव के लोगों का कहना है कि यहां के पानी में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिसके चलते उन्हें यह बीमारी हो रही है. वे कई बार तेल नदी से पानी मुहैया कराने की मांग कर चुके हैं.
ओडिशा में इलाज के दौरान मौत
मृतक जय सिंह की उम्र 45 वर्ष थी. बीते 3 साल से वो किडनी की बीमारी से जूझ रहा था. लंबे समय से चल रहे एलोपैथिक इलाज से कोई फयदा नजर नहीं आने की बात कहते हुए जय सिंह ने एलोपैथिक इलाज बंद कर देसी इलाज लेना शुरू किया था. जय सिंह ने डॉक्टरों की दी दवाईयां खानी बंद कर दी थी. डायलिसिस की जरूरत होने के बावजूद भी वह इसे नहीं करा रहा था. जय सिंह की लापरवाही के कारण उसकी तबीयत और ज्यादा खराब हो गई. तबीयत बिगड़ने पर उसे ओडिशा लाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
सूपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से एक और मौत, 72 पहुंचा आंकड़ा
किडनी की बीमारी से पूरा गांव परेशान
रात 3 बजे शव ओडिशा से गरियाबंद पहुंचा. जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया. जय सिंह अपने परिवार का इकलौता किडनी पीड़ित नहीं था. उसकी मां ने भी लंबे समय तक किडनी की परेशानी झेली थी. प्रदेश में पुरानी सरकार गई और नई आई, लेकिन इस गांव की हालत नहीं बदली. सरकार बनने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुपेबेड़ा का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने यहां रह रहे लोगों को शुद्ध पेयजल दिलाने का वादा किया था, लेकिन अब तक इस ओर कोई काम नहीं किया गया है. गांव में बुजुर्ग, युवा और बच्चे भी किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि सूपेबेड़ा के लोगों को किडनी की बीमारी विरासत में मिल रही है.