गरियाबंद : सुरों के जरिए गरियाबंद की नंदिनी यादव ने पर्यावरण को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. वह अपने गीतों के जरिए प्रदूषण नहीं फैलाने की अपील करती हैं, ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जागरुक हो सके. नंदिनी ने पढ़ाई लिखाई की उम्र में लोगों को जागरुक करने का काम शुरू कर दिया है, वो भी संगीत और गीतों के जरिए.
बढ़ते प्रदूषण को लेकर एक ओर जहां देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी रायपुर तक हाहाकार है. ऐसे में गरियाबंद की एक नन्ही कलाकार लोगों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास अपने गीतों से करा रही हैं. लोहरसी गांव की रहने वाली है. नंदिनी अपने गीत के माध्यम से पर्यावरण को बचाने की अपील कर रही है, उनका मानना है कि वनों और खेतों में आग लगाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, इसलिए वह अपने गीत के माध्यम से लोगों से वनों और पराली को नहीं जलाने की अपील कर रही है.
ETV भारत की टीम पहुंची नंदिनी के घर
नंदिनी अपने इस गीत को प्रदेश के कई बड़े मंचो पर गा चुकी है और सुर्खियां भी बटोर चुकी है. ETV भारत की टीम जब नंदिनी के घर पहुंची तो उसने बताया कि देश और प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए वो अलग-अलग जगह जा कर लोगों को जागरूक कर रही है.
बचपन से ही संगीत का शौक
नंदिनी बताती है कि उन्हें बचपन से ही संगीत का शौक है. वह अब तक कई गीत गा चुकी है. उन्हे ये सब विरासत में मिला है. उनके पिता राजकुमार भी कवि हैं जिनसे नंदिनी ने काफी कुछ सीखा है. हालांकि वे अपना गुरु गौकरण मानिकपुरी को मानती हैं और भविष्य में भारतीय लोक कला को नई उंचाईयों पर पहुंचाने के लिए कला के क्षेत्र में ही अपना कैरियर बना चाहती हैं.
ऐसे में नंदिनी के सुरों के संदेश को प्रदेशवासियों को समझने की जरूरत है ताकि हम बढ़ते प्रदूषण को रोक सकें और पर्यावरण को सुरक्षित बना सकें. यदि हमने पर्यावरण को नहीं बचाया तो आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी को गंभीर खतरा हो सकता है.