ETV Bharat / state

पर्यावरण को बचाने नंदिनी ने सुर को बनाया हथियार, प्रदूषण के खिलाफ छेड़ी मुहिम

गरियाबंद की लाडली नंदिनी सरगम के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है. वह अपनी गीतों से लोगों को प्रदूषण रोकने के लिए प्रेरित कर रही ताकि हम स्वच्छ वातावरण में जी सकें.

नंदिनी यादव
author img

By

Published : Nov 25, 2019, 11:30 PM IST

गरियाबंद : सुरों के जरिए गरियाबंद की नंदिनी यादव ने पर्यावरण को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. वह अपने गीतों के जरिए प्रदूषण नहीं फैलाने की अपील करती हैं, ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जागरुक हो सके. नंदिनी ने पढ़ाई लिखाई की उम्र में लोगों को जागरुक करने का काम शुरू कर दिया है, वो भी संगीत और गीतों के जरिए.

पैकेज

बढ़ते प्रदूषण को लेकर एक ओर जहां देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी रायपुर तक हाहाकार है. ऐसे में गरियाबंद की एक नन्ही कलाकार लोगों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास अपने गीतों से करा रही हैं. लोहरसी गांव की रहने वाली है. नंदिनी अपने गीत के माध्यम से पर्यावरण को बचाने की अपील कर रही है, उनका मानना है कि वनों और खेतों में आग लगाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, इसलिए वह अपने गीत के माध्यम से लोगों से वनों और पराली को नहीं जलाने की अपील कर रही है.

ETV भारत की टीम पहुंची नंदिनी के घर
नंदिनी अपने इस गीत को प्रदेश के कई बड़े मंचो पर गा चुकी है और सुर्खियां भी बटोर चुकी है. ETV भारत की टीम जब नंदिनी के घर पहुंची तो उसने बताया कि देश और प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए वो अलग-अलग जगह जा कर लोगों को जागरूक कर रही है.

बचपन से ही संगीत का शौक
नंदिनी बताती है कि उन्हें बचपन से ही संगीत का शौक है. वह अब तक कई गीत गा चुकी है. उन्हे ये सब विरासत में मिला है. उनके पिता राजकुमार भी कवि हैं जिनसे नंदिनी ने काफी कुछ सीखा है. हालांकि वे अपना गुरु गौकरण मानिकपुरी को मानती हैं और भविष्य में भारतीय लोक कला को नई उंचाईयों पर पहुंचाने के लिए कला के क्षेत्र में ही अपना कैरियर बना चाहती हैं.

ऐसे में नंदिनी के सुरों के संदेश को प्रदेशवासियों को समझने की जरूरत है ताकि हम बढ़ते प्रदूषण को रोक सकें और पर्यावरण को सुरक्षित बना सकें. यदि हमने पर्यावरण को नहीं बचाया तो आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी को गंभीर खतरा हो सकता है.

गरियाबंद : सुरों के जरिए गरियाबंद की नंदिनी यादव ने पर्यावरण को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. वह अपने गीतों के जरिए प्रदूषण नहीं फैलाने की अपील करती हैं, ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जागरुक हो सके. नंदिनी ने पढ़ाई लिखाई की उम्र में लोगों को जागरुक करने का काम शुरू कर दिया है, वो भी संगीत और गीतों के जरिए.

पैकेज

बढ़ते प्रदूषण को लेकर एक ओर जहां देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी रायपुर तक हाहाकार है. ऐसे में गरियाबंद की एक नन्ही कलाकार लोगों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास अपने गीतों से करा रही हैं. लोहरसी गांव की रहने वाली है. नंदिनी अपने गीत के माध्यम से पर्यावरण को बचाने की अपील कर रही है, उनका मानना है कि वनों और खेतों में आग लगाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, इसलिए वह अपने गीत के माध्यम से लोगों से वनों और पराली को नहीं जलाने की अपील कर रही है.

ETV भारत की टीम पहुंची नंदिनी के घर
नंदिनी अपने इस गीत को प्रदेश के कई बड़े मंचो पर गा चुकी है और सुर्खियां भी बटोर चुकी है. ETV भारत की टीम जब नंदिनी के घर पहुंची तो उसने बताया कि देश और प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए वो अलग-अलग जगह जा कर लोगों को जागरूक कर रही है.

बचपन से ही संगीत का शौक
नंदिनी बताती है कि उन्हें बचपन से ही संगीत का शौक है. वह अब तक कई गीत गा चुकी है. उन्हे ये सब विरासत में मिला है. उनके पिता राजकुमार भी कवि हैं जिनसे नंदिनी ने काफी कुछ सीखा है. हालांकि वे अपना गुरु गौकरण मानिकपुरी को मानती हैं और भविष्य में भारतीय लोक कला को नई उंचाईयों पर पहुंचाने के लिए कला के क्षेत्र में ही अपना कैरियर बना चाहती हैं.

ऐसे में नंदिनी के सुरों के संदेश को प्रदेशवासियों को समझने की जरूरत है ताकि हम बढ़ते प्रदूषण को रोक सकें और पर्यावरण को सुरक्षित बना सकें. यदि हमने पर्यावरण को नहीं बचाया तो आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी को गंभीर खतरा हो सकता है.

Intro: पैकेज लायक स्टोरी हैं

स्लग---पर्यावरण का संदेश
एंकर---बिगडते प्रदूषण को लेकर एक ओर जहां देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी रायपुर तक हाय तौबा मची हुयी है और जिम्मेदार दुसरी की जिम्मेदारी बताकर खुद की जिम्मेदारी से किनारा कर रहे है वही गरियाबंद की एक नन्ही कलाकार अपने गीत के द्वारा लोगो को पर्यवारण के प्रति जागरुक करने की जिम्मेदारी निभा रही है।
Body:वीओ 1----शुद्ध छत्तीसगढ में अपनी सुरीली आवाज से लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरुक करती ये गरियाबंद जिले के एक छोटे से गांव लोहरसी की नंदनी यादव है, 17 वर्षीय 9वीं क्लास की छात्रा नंदनी अपने गीत के माध्यम से पर्यावरण को बचाने की अपील कर रही है, उनका मानना है कि वनों और खेतों में आग लगाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, इसलिए वह अपने गीत के माध्यम से लोगो को वनों और खेतो में आग नही लगाने की अपील कर रही है, नंदनी अपने इस गीत को प्रदेश के कई साहित्यिक मंचो पर प्रस्तुत करके सुर्खियां बटोर चुकी है, देश और प्रदेश में बढते प्रदुषण से उनका गीत एक बार फिर चर्चा में है।
बाइट 1---नंदनी........
वीओ 2---नंदनी को बचपन से ही संगीत का सोंख है, वह अब तक कई गीत गा चुकी है, नंदनी को ये सब विरासत में मिला है उनके पिता राजकुमार भी कवि है और नंदनी ने उनसे ही काफी कुछ सीखा है हालांकि वे अपना गुरु गौकरण मानिकपुरी को मानती है और भविष्य में भारतीय लोक कला को नयी उंचाईयों पर पहुंचाने के लिए कला के क्षेत्र में ही अपना कैरियर बना चाहती है।
बाइट 2---नंदनी..............
Conclusion:फाईनल वीओ---प्रदूषण के क्या हालात है ये बात शहर के लोगों से बेहतर खासकर मैट्रो सिटी के लोगों से बेहतर भला कौन जान सकता है, फिर चाहे वे भारत के मैट्रो सिटी में रहने वाले लोग हो या फिर विदेश के किसी शहर में रहने वाले हो पर्यावरण प्रदूषण आज विश्व के लिए एक बडी समस्या बन गयी है, और इसका समाधान तभी हो सकता है जब हर व्यक्ति नंदनी की तरह प्रदूषण के प्रति अपनी जागरुकता दिखाएगा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.