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दूषित हो रही बस्तर को जीवन देने वाली महानदी

छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी रही जाने वाली महानदी अपने बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है.

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Published : May 2, 2019, 9:37 PM IST

गरियाबंद: महानदी के एनीकेट और पुल के बीच में जमा पानी और गंदगी की वजह से यहां के लोग इसकी की दुर्दशा देखकर खासे दुखी है. इसके पीछे की वजह यह है कि नदी में मौजूद जलकुंभी लगातार बढ़ रही है.

महानदी में पसरी गंदगी


मंत्री के निर्देश का नहीं हुआ पालन
राजिम माघी पुन्नी मेला की समाप्ति के बाद नदी की सफाई के लिए संस्कृति मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया था, लेकिन मंत्री की बात अनसुनी कर दी गई.


पानी से आ रही बदबू
धीरे-धीरे नदी में गंदगी बढ़ती चली गई और नदी के पानी से बदबू आनी शुरू हो गई. आलम यह है कि इसका पानी पीने के लायक भी नहीं बचा है. वहीं बाहर से लोग जो अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं, नदी की हालत देख कर वे स्थानीय प्रशासन को भी कोसने से नहीं चूकते.


एनीकट हुआ बेकार
करोड़ों की लागत से बनाया गया राजिम का एनीकट बेकार हो गया. नगर की जनता अब इसे बेकार मानती है. क्योंकि जिस उद्देश्य को लेकर इस एनीकट का निर्माण किया गया था वह अब लोगों को मुंगेरी लाल के सपने की तरह लगने लगा है.


नदी में नहाने से हो रही बीमारी
नदी में नहाने से लोगों को खुजली की बीमारी होने लगी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एनीकेट के नीचे कचरे का भंडार लगा हुआ है जोकि इस जीवन दायिनी नदी के लिए काफी घातक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी भी है.


नदी में इकट्ठा होता है गंदा पानी
शहर की नालियों का सारा गंदा पानी यहीं पर आकर इकट्ठा होता है. वहीं इसके निचले इलाके में रहने वाले लोग चर्म रोग के साथ-साथ दूसरी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.


नगर पालिका प्रबंधन की लापरवाही
महानदी को गंदा करने के लिए काफी हद तक नगर पालिका प्रबंधन जिम्मेदार है. शहर की गंदी नालियों के काले और खराब हो चुके पानी को नदी में छोड़ा जा रहा है.


खोखला हो रहा मंदिर का हिस्सा
महानदी की दुर्दशा की वजह से यहां मौजूद मंदिर भी खतरे में है बाढ़ के पानी की वजह से घोटिया मंदिर के नीचे का हिस्सा खोखला हो चुका है. हालात यह है कि मंदिर कभी भी धराशाई हो सकता है शहर के लोगों ने मंदिर को बचाए रखने इस स्थान पर फीलिंग कर पिचिंग करने की मांग की है.

गरियाबंद: महानदी के एनीकेट और पुल के बीच में जमा पानी और गंदगी की वजह से यहां के लोग इसकी की दुर्दशा देखकर खासे दुखी है. इसके पीछे की वजह यह है कि नदी में मौजूद जलकुंभी लगातार बढ़ रही है.

महानदी में पसरी गंदगी


मंत्री के निर्देश का नहीं हुआ पालन
राजिम माघी पुन्नी मेला की समाप्ति के बाद नदी की सफाई के लिए संस्कृति मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया था, लेकिन मंत्री की बात अनसुनी कर दी गई.


पानी से आ रही बदबू
धीरे-धीरे नदी में गंदगी बढ़ती चली गई और नदी के पानी से बदबू आनी शुरू हो गई. आलम यह है कि इसका पानी पीने के लायक भी नहीं बचा है. वहीं बाहर से लोग जो अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं, नदी की हालत देख कर वे स्थानीय प्रशासन को भी कोसने से नहीं चूकते.


एनीकट हुआ बेकार
करोड़ों की लागत से बनाया गया राजिम का एनीकट बेकार हो गया. नगर की जनता अब इसे बेकार मानती है. क्योंकि जिस उद्देश्य को लेकर इस एनीकट का निर्माण किया गया था वह अब लोगों को मुंगेरी लाल के सपने की तरह लगने लगा है.


नदी में नहाने से हो रही बीमारी
नदी में नहाने से लोगों को खुजली की बीमारी होने लगी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एनीकेट के नीचे कचरे का भंडार लगा हुआ है जोकि इस जीवन दायिनी नदी के लिए काफी घातक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी भी है.


नदी में इकट्ठा होता है गंदा पानी
शहर की नालियों का सारा गंदा पानी यहीं पर आकर इकट्ठा होता है. वहीं इसके निचले इलाके में रहने वाले लोग चर्म रोग के साथ-साथ दूसरी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.


नगर पालिका प्रबंधन की लापरवाही
महानदी को गंदा करने के लिए काफी हद तक नगर पालिका प्रबंधन जिम्मेदार है. शहर की गंदी नालियों के काले और खराब हो चुके पानी को नदी में छोड़ा जा रहा है.


खोखला हो रहा मंदिर का हिस्सा
महानदी की दुर्दशा की वजह से यहां मौजूद मंदिर भी खतरे में है बाढ़ के पानी की वजह से घोटिया मंदिर के नीचे का हिस्सा खोखला हो चुका है. हालात यह है कि मंदिर कभी भी धराशाई हो सकता है शहर के लोगों ने मंदिर को बचाए रखने इस स्थान पर फीलिंग कर पिचिंग करने की मांग की है.

Intro:एंकर-- गरियाबंद के राजिम में छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी महानदी आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है मानो उसके सीने पर काफी जख्म उभर आए हैं। यहां एनीकेट और पुल के बीच में जमा गंदगी और पानी के चलते यहां के लोग इस की दुर्दशा देखकर काफी दुखी हैंBody:नदी में जलकुंभी कैंसर की तरह बढ़ गई है। राजिम मांघी पुन्नी मेला के समाप्ति के पश्चात नदी की सफाई के लिए संस्कृति मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया था पर मंत्री की बात अनसुनी कर दी गई वहीं नदी में काफी गंदगी हो गई है तथा नदी का पानी बदबू देने लगा है पानी आचमन के लायक भी नहीं रह गया है वहीं बाहर से लोग जो अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं नदी की हालत देख कर उन्हें भी पीड़ा हो रही है। वहीं वे स्थानीय प्रशासन को भी कोसने से नहीं चूकते। करोड़ों का राजिम एनीकेट बेकार सा हो गया है। नगर की जनता अब इसे बेकार मानती है। क्योंकि जिस उद्देश्य को लेकर इस एनीकट का निर्माण किया गया था वह उद्देश्य अब लोगों के लिए दिव स्वप्न के समान हो गया है वहीं नदी में नहाने से लोगों को खुजली भी होने लगी है तथा तरह-तरह की बीमारियां भी होने लगी हैं जिसके लिए जिम्मेदार कौन है? यह बड़ा सवाल है एनीकेट के नीचे अपशिष्ट पदार्थों का भंडार लगा हुआ है जोकि इस जीवन दायिनी नदी के लिए काफी घातक है। पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है वहीं शहर की नालियों का सारा गंदा पानी यहीं पर आकर इकट्ठा हो जाता है वही इसके निचले इलाके में रहने वाले लोग चर्म रोग व अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं हमने इस संदर्भ में नगर के कुछ जागरूक लोगों से बात की जिसे सुनकर आपको इसकी गंभीरता का एहसास हो जाएगा

इन सब के बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महानदी स्वयं मैली नहीं हो रही है लोग खासकर नगर पालिका इसे इस कदर मेला कर रहे हैं कि देख कर दुख होता है शहर की गंदी नालियों के बजे बजाते काले पड़ चुके सड़ चुके पानी को इसमें नगर पालिका द्वारा छोड़ा जाता है वहीं इन सबके बीच महानदी की दुर्दशा के चलते एक मंदिर भी खतरे में है बाढ़ के पानी में यहां के घोटिया मंदिर के नीचे का हिस्सा खोखला हो चुका है मंदिर कभी भी धराशाई हो सकता है शहर के लोगों ने मंदिर को बचाए रखने इस स्थान पर फीलिंग कर पिचिंग करने की मांग की है...

Conclusion:बाइट--- 1 से 5 तक नया पारा नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 5 एवं 6 के निवासी
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