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Exclusive: पेड़ों की कटाई में दो गांवों की लड़ाई, किसकी बातों में सच्चाई

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Published : Oct 8, 2019, 11:33 PM IST

हमें धनोरी के रहने वाले लोगों के साथ पड़ोसी गांव पीपलकोटी के लोग भी मिले. जांच दल के पहुंचते ही इन दोनों गांव के लोग आपस में लड़ने लगे और काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही.

गरियाबंद में पेड़ों की कटाई

गरियाबंदः वन विभाग के जांच दल के साथ ETV भारत की टीम दूसरे दिन गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड के धनोरा गांव पहुंची. यहां पर हमें धनोरी के रहने वाले लोगों के साथ पड़ोसी गांव पीपलकोटी के लोग भी मिले. जांच दल के पहुंचते ही इन दोनों गांव के लोग आपस में लड़ने लगे और काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही.

पेड़ों की कटाई में दो गांवों की लड़ाई

जंगल का मुआयना करने की अपील
इन दोनों गांव के लोगों का एक दूसरे पर आरोप था कि वे लोग ओडिशा के लोगों से पैसे लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित जंगल में उनकी बसाहट और जंगल कटाई करवा रहे हैं. इन गांववालों ने जांच टीम से दोबारा जंगल का मुआयना करने की अपील की. गांववालों का कहना है कि जांच दल ने जब हल्दी कछार का मुआयना किया था तब वहां पीपलकोटी के लोग मौजूद नहीं थे. उस वक्त वहां धनोरा के लोग थे, क्योंकि वे ही वन समिति के सदस्य हैं और वन समिति का काम है जंगल की देख-रेख करना.

पीपलकोटी के लोग इन्हीं लोगों पर ही जंगल कटाई और अवैध बसाहट का आरोप लगा रहे थे और यही वजह थी कि दोनों मौके पर पहुंचकर निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे. ग्रामीणों की मांग पर जांच दल मौके पर जाने के लिए दोबारा तैयार हुआ. ETV भारत की टीम भी साथ चली. और रास्ता बेहद दुर्गम मिला.

सामने आए ये तथ्य

  • रास्ते में कई तरह की चीज है और नजारे भी देखने को मिले. इसी में था एक जंगल की पहाड़ियों के बीच लकड़ी ओर पत्थर से बना टीला. जब इस टीले के बारे में भारत की टीम ने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि है उनकी वनस्पति देवी हैं, जिसकी पूजा उनके द्वारा आते-जाते की जाती है. पूजा इसलिए की जाती है, जिससे यह वनस्पति देवी जंगल की रक्षा करें और इन ग्रामीणों को आने जाने में किसी तरह की कोई रुकावट पैदा ना हो. पूजा के दौरान खास बातें हैं यहां फूल माला या अगरबत्ती नहीं चढ़ाई जाती बल्कि पत्थर और लकड़ी रखकर देवी से कामना की जाती है.
  • जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे थे एक के बाद एक मामले से जुड़ी कई और बातें भी सामने आ रही थी. उदाहरण के तौर पर यह है कि धनोरा गांव के जो लोग वन मंत्री के पास जंगलों की अवैध कटाई और उड़ीसा के लोगों के बसाहट की शिकायत लेकर पहुंचे थे. उन लोगों पर ही पूर्व में जंगलों की कटाई और यहां झोपड़ी लगाकर रहने का आरोप था.
  • वन विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हें जेल भी भेजा था और जेल से छूटने के बाद अब यह लोग अपने पड़ोसी गांव के लोगों पर जंगल कटाई और ओडिशा के लोगों को बसाने का आरोप लगा रहे हैं.
  • इसके लिए पैसे के लेनदेन की बात भी सामने आ रही है. जंगलों में अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ों की कटाई की बात धनोरा गांव के लोगों ने भी ETV भारत के सामने स्वीकारी.
  • वन मंत्री के पास शिकायत करने पहुंचे दल में जो 2 सदस्य तेज सिंह तांडिया और कमल शामिल थे. इन दोनों पर ही पूर्व में पेड़ कटाई और अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाने का आरोप था और इन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी.
  • पहले शिकायतकर्ता तांडिया पर आरोप था कि वह अवैध रूप से जंगल के पेड़ काटकर सड़क बना रहा था, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे गिरफ्तार करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की और जेल भेज दिया. इस मामले में तांडिया का कहना है कि वह पीडब्ल्यूडी की सड़क बना रहा था और इसके लिए पेड़ की कटाई की थी और मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है.
  • वहीं दूसरे शिकायतकर्ता कमल पर भी अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ काटने का आरोप था इनके खिलाफ भी वन विभाग ने पूर्व में कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया था.
  • हमें हल्दी कछार जाते समय रास्ते में कमल की झोपड़ी भी दिखी, जिसमें वह पूर्व में अवैध रूप से रह रहे थे और वन विभाग ने उसे उजाड़ दिया था.
  • जब कमल से सवाल किया गया कि आप तो पूर्व ही जंगल कटाई करते थे अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहते थे और आपको जेल भी हो चुकी है तो अचानक जेल से छूटने के बाद जंगल बचाने का मोह कैसे जाग उठा. इस सवाल पर उसने कहा कि जेल जाने के बाद उन्हें समझ में आ गया जंगल बचाना कितना जरूरी है और अब वे जंगल बचाने के लिए मंत्री से गुहार लगाने रायपुर पहुंचे थे और आज जांच दल के साथ मौके पर जा रहे हैं.

सरपंच ने आरोपों को किया खारिज
वहीं वन समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत धनोरा के सरपंच नीलांबर मांझी से सवाल किया गया कि आप के क्षेत्र में इतने सालों से अवैध रूप से जंगल की कटाई और ओडिशा के लोगों के द्वारा बसाहट की जा रही है तो आपने कोई पहल क्यों नहीं की. इस पर नीलांबर ने कहा कि उनके यहां कोई जंगल कटाई नहीं हो रही है न ही ओडिशा के लोगों ने बसाहट की है. पहले ऐसा हुआ था, जिसमें 26 लोग गिरफ्तार हुए थे.

करीब 15 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने के बाद वन विभाग का जांच दल दूसरे रास्ते से हल्दी कछार पहुंचा. लेकिन आज हल्दी कछार के उस हिस्से में दल पहुंचा जहां पर पिछले कई सालों से लगातार कटाई की जा रही है और पेड़ को काटने के बाद उसी स्थान पर छोड़ दिया जा रहा था. यहां काफी बड़ा इलाका समतल कर दिया गया है.

कब तक सुधरेंगे हालात
मौके को देखने के बाद साफ नजर आ रहा था कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से लगे अदंती अभयारण्य के हल्दी कछार के जंगल को लगातार साफ किया जा रहा है. अब देखना है कि वन विभाग की जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर कब तक यहां के हालात सुधरते हैं.

गरियाबंदः वन विभाग के जांच दल के साथ ETV भारत की टीम दूसरे दिन गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड के धनोरा गांव पहुंची. यहां पर हमें धनोरी के रहने वाले लोगों के साथ पड़ोसी गांव पीपलकोटी के लोग भी मिले. जांच दल के पहुंचते ही इन दोनों गांव के लोग आपस में लड़ने लगे और काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही.

पेड़ों की कटाई में दो गांवों की लड़ाई

जंगल का मुआयना करने की अपील
इन दोनों गांव के लोगों का एक दूसरे पर आरोप था कि वे लोग ओडिशा के लोगों से पैसे लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित जंगल में उनकी बसाहट और जंगल कटाई करवा रहे हैं. इन गांववालों ने जांच टीम से दोबारा जंगल का मुआयना करने की अपील की. गांववालों का कहना है कि जांच दल ने जब हल्दी कछार का मुआयना किया था तब वहां पीपलकोटी के लोग मौजूद नहीं थे. उस वक्त वहां धनोरा के लोग थे, क्योंकि वे ही वन समिति के सदस्य हैं और वन समिति का काम है जंगल की देख-रेख करना.

पीपलकोटी के लोग इन्हीं लोगों पर ही जंगल कटाई और अवैध बसाहट का आरोप लगा रहे थे और यही वजह थी कि दोनों मौके पर पहुंचकर निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे. ग्रामीणों की मांग पर जांच दल मौके पर जाने के लिए दोबारा तैयार हुआ. ETV भारत की टीम भी साथ चली. और रास्ता बेहद दुर्गम मिला.

सामने आए ये तथ्य

  • रास्ते में कई तरह की चीज है और नजारे भी देखने को मिले. इसी में था एक जंगल की पहाड़ियों के बीच लकड़ी ओर पत्थर से बना टीला. जब इस टीले के बारे में भारत की टीम ने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि है उनकी वनस्पति देवी हैं, जिसकी पूजा उनके द्वारा आते-जाते की जाती है. पूजा इसलिए की जाती है, जिससे यह वनस्पति देवी जंगल की रक्षा करें और इन ग्रामीणों को आने जाने में किसी तरह की कोई रुकावट पैदा ना हो. पूजा के दौरान खास बातें हैं यहां फूल माला या अगरबत्ती नहीं चढ़ाई जाती बल्कि पत्थर और लकड़ी रखकर देवी से कामना की जाती है.
  • जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे थे एक के बाद एक मामले से जुड़ी कई और बातें भी सामने आ रही थी. उदाहरण के तौर पर यह है कि धनोरा गांव के जो लोग वन मंत्री के पास जंगलों की अवैध कटाई और उड़ीसा के लोगों के बसाहट की शिकायत लेकर पहुंचे थे. उन लोगों पर ही पूर्व में जंगलों की कटाई और यहां झोपड़ी लगाकर रहने का आरोप था.
  • वन विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हें जेल भी भेजा था और जेल से छूटने के बाद अब यह लोग अपने पड़ोसी गांव के लोगों पर जंगल कटाई और ओडिशा के लोगों को बसाने का आरोप लगा रहे हैं.
  • इसके लिए पैसे के लेनदेन की बात भी सामने आ रही है. जंगलों में अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ों की कटाई की बात धनोरा गांव के लोगों ने भी ETV भारत के सामने स्वीकारी.
  • वन मंत्री के पास शिकायत करने पहुंचे दल में जो 2 सदस्य तेज सिंह तांडिया और कमल शामिल थे. इन दोनों पर ही पूर्व में पेड़ कटाई और अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाने का आरोप था और इन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी.
  • पहले शिकायतकर्ता तांडिया पर आरोप था कि वह अवैध रूप से जंगल के पेड़ काटकर सड़क बना रहा था, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे गिरफ्तार करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की और जेल भेज दिया. इस मामले में तांडिया का कहना है कि वह पीडब्ल्यूडी की सड़क बना रहा था और इसके लिए पेड़ की कटाई की थी और मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है.
  • वहीं दूसरे शिकायतकर्ता कमल पर भी अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ काटने का आरोप था इनके खिलाफ भी वन विभाग ने पूर्व में कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया था.
  • हमें हल्दी कछार जाते समय रास्ते में कमल की झोपड़ी भी दिखी, जिसमें वह पूर्व में अवैध रूप से रह रहे थे और वन विभाग ने उसे उजाड़ दिया था.
  • जब कमल से सवाल किया गया कि आप तो पूर्व ही जंगल कटाई करते थे अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहते थे और आपको जेल भी हो चुकी है तो अचानक जेल से छूटने के बाद जंगल बचाने का मोह कैसे जाग उठा. इस सवाल पर उसने कहा कि जेल जाने के बाद उन्हें समझ में आ गया जंगल बचाना कितना जरूरी है और अब वे जंगल बचाने के लिए मंत्री से गुहार लगाने रायपुर पहुंचे थे और आज जांच दल के साथ मौके पर जा रहे हैं.

सरपंच ने आरोपों को किया खारिज
वहीं वन समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत धनोरा के सरपंच नीलांबर मांझी से सवाल किया गया कि आप के क्षेत्र में इतने सालों से अवैध रूप से जंगल की कटाई और ओडिशा के लोगों के द्वारा बसाहट की जा रही है तो आपने कोई पहल क्यों नहीं की. इस पर नीलांबर ने कहा कि उनके यहां कोई जंगल कटाई नहीं हो रही है न ही ओडिशा के लोगों ने बसाहट की है. पहले ऐसा हुआ था, जिसमें 26 लोग गिरफ्तार हुए थे.

करीब 15 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने के बाद वन विभाग का जांच दल दूसरे रास्ते से हल्दी कछार पहुंचा. लेकिन आज हल्दी कछार के उस हिस्से में दल पहुंचा जहां पर पिछले कई सालों से लगातार कटाई की जा रही है और पेड़ को काटने के बाद उसी स्थान पर छोड़ दिया जा रहा था. यहां काफी बड़ा इलाका समतल कर दिया गया है.

कब तक सुधरेंगे हालात
मौके को देखने के बाद साफ नजर आ रहा था कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से लगे अदंती अभयारण्य के हल्दी कछार के जंगल को लगातार साफ किया जा रहा है. अब देखना है कि वन विभाग की जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर कब तक यहां के हालात सुधरते हैं.

Intro:गरियाबंद। वन विभाग जांच दल के साथ ईटीवी भारत की टीम दूसरे दिन गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत धनोरा पहुंची जहां पर ग्राम धनोरा के निवासियों सहित पडोसी गांव पीपलकोटी के लोग भी मौजूद रहे।

जांच दल के पहुंचते ही इन दोनों गांव के लोग आपस में लड़ने लगे ।काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही इन दोनों गांव के लोगों का एक दूसरे पर आरोप था कि वे लोग उड़ीसा के लोगों से पैसे लेकर उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित जंगल में उनकी बसाहट और जंगल कटाई करवा रहे है ।




Body:जिसके बाद इन गांव वालों ने जांच दल से दुबारा मौके पर जाने की बात कही दोनों गांव के लोग चाहते थे कि जांच दल फिर उनके साथ मौके पर जाएं और वहां एक बार फिर जंगल का मुआयना करें क्योंकि 1 दिन पहले जब जांच दल हल्दी कछार पहुंचा था तो उस दौरान इन दोनों गांव में से सिर्फ एक गांव धनोरा के लोग ही मौके पर मौजूद थे। पीपलखूंटी के लोग वहां नहीं पहुंच पाए थे ।

चुकी धनोरा ग्राम के लोग वन समिति के सदस्य हैं और वन समिति का काम है जंगल की देखरेख करना अवैध कटाई और अवैध रूप से बसाहट को रोकना ओर उसकी जानकारी वन विभाग को देना।

पीपलकोटी के लोग इन्ही लोगो पर ही जंगल कटाई और अवैध वसाहट का आरोप लगा रहे थे और यही वजह थी कि दोनों मौके पर पहुंचकर निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे। ग्रामीणों की मांग पर जांच दल मौके पर जाने के लिए दोबारा तैयार हुआ । इसके लिए दोनों ही गांव के कुछ लोग ओर वन विभाग जांच दल के सदस्य सहित ईटी भारत की टीम हल्दी कछार के लिए रवाना हुई लेकिन आज हल्दी कछार दूसरे रास्ते से पहुंचना था जो ऊंची ऊंची पहाड़ियों नदी नालों के बीच से जाता था
ओपनिंग पीटीसी

मौके के लिए सभी लोग चार पहिया वाहन में निकले ।तीन-चार किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में एक नदी पड़ी इस नदी को चार पहिया वाहन से जैसे-तैसे पार किया गया उसके बाद कुछ दूरी ओर तय करने के बाद एक नाला पड़ा है जहां से चार पहिया वाहन का गुजरना संभव नहीं था और इसके बाद हमें आगे का रास्ता पैदल ही तय करना था

यहां से दल के सभी सदस्य पैदल ही मौके के लिए रवाना हुए इस बीच रास्ते में कई ऊंचे नीचे पहाड़ और नदी नाले आए जिसे कभी लकड़ी के सहारे तो कभी एक दूसरे का हाथ पकड़कर पार करना पड़ा।

रास्ते में कई तरह की चीज है और नजारे भी देखने को मिले । इसी में से था, एक जंगल की पहाड़ियों के बीच लकड़ी ओर पत्थर से बना टीला। जब इस टीले के बारे में भारत की टीम ने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि है उनकी वनस्पति देवी है जिसकी पूजा उनके द्वारा आते-जाते की जाती है पूजा इसलिए की जाती है जिससे यह वनस्पति देवी जंगल की रक्षा करें और इन ग्रामीणों को आने जाने में किसी तरह की कोई रुकावट पैदा ना हो पूजा के दौरान खास बातें हैं यहां फूल माला या अगरबत्ती नहीं चढ़ाया जाता बल्कि पत्थर और लकड़ी रखकर देवी से कामना की जाती है
वॉक थ्रू वनस्पति देवी की पूजा

जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे थे एक के बाद एक मामले से जुड़ी कई और बातें भी सामने आ रही थी उदाहरण के तौर पर यह है कि धनोरा गांव के जो लोग वन मंत्री के पास जंगलों की अवैध कटाई और उड़ीसा के लोगों के बसाहट की शिकायत लेकर पहुंचे थे उन लोगों पर ही पूर्व में जंगलों की कटाई और यहां झोपड़ी लगाकर रहने का आरोप था। वन विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हें जेल भी भेजा था और जेल से छूटने के बाद अब यह लोग अपने पड़ोसी गांव के लोगों पर जंगल कटाई और उड़ीसा के लोगों को बसाने का आरोप लगा रहे हैं। इसके लिए पैसे के लेनदेन की बात भी सामने आ रही है जंगलों में अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ों की कटाई की बात धनोरा गांव के लोगों ने भी ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान स्वीकारी।

वन मंत्री के पास शिकायत करने पहुंचे दल में जो 2 सदस्य तेज सिंह तांडिया और कमल शामिल थे इन दोनों पर ही पूर्व में पेड़ कटाई और अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाने का आरोप था और इन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी।

पहले शिकायतकर्ता तांडिया पर आरोप था कि वह अवैध रूप से जंगल के पेड़ काटकर सड़क बना रहा था जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे गिरफ्तार करते हुए उसके खिलाफ कार्यवाही की और जेल भेज दिया वही इस मामले में तांडिया का कहना है कि वह पीडब्ल्यूडी की सड़क बना रहा था और इसके लिए पेड़ की कटाई की थी और मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है

वही दूसरे शिकायतकर्ता कमल पर भी अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ काटने का आरोप था इनके खिलाफ भी वन विभाग ने पूर्व में कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया था ।

हमें हल्दी कछार जाते समय रास्ते में कमल की झोपड़ी भी दिखी जिसमें वह पूर्व में अवैध रूप से रह रहे थे और वन विभाग ने उसे उजाड़ दिया था
(झोपड़ी के पास कमल का घटना के बारे में बताता हूं एंबिएंस लगाना है धोती कुर्ता पहने हुए बुजुर्ग है कमल)

जब कमल से सवाल किया गया कि आप तो पूर्व ही जंगल कटाई करते थे अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहते थे और आपको जेल भी हो चुकी है तो अचानक जेल से छूटने के बाद जंगल बचाने का मोह कैसे जाग उठा उन्होंने कहा कि जेल जाने के बाद उन्हें समझ में आ गया जंगल बचाना कितना जरूरी है और अब वे जंगल बचाने के लिए मंत्री से गुहार लगाने रायपुर पहुंचे थे और आज जांच दल के साथ मौके पर जा रहे हैं

वहीं वन समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत धनोरा के सरपंच नीलांबर मांझी से सवाल किया गया कि आप के क्षेत्र में इतने सालों से अवैध रूप से जंगल की कटाई और उड़ीसा वासियों के द्वारा बसाहट की जा रही है तो इसे रोकने आपके द्वारा कोई पहल क्यों नहीं की गई जिस पर नीलांबर ने कहा कि उनके यहां कोई जंगल कटाई नहीं हो रही है नहीं उड़ीसा के लोगों के द्वारा बसाहट की गई है पूर्व में ऐसा मामला सामने आया था जिसके बाद 26 लोग गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था

करीब 15 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने के बाद वन विभाग का जांच दल दूसरे रास्ते से हल्दी कछार पहुंचा । लेकिन आज हल्दी कछार के उस हिस्से में दल पहुंचा जहां पर पिछले कई सालों से लगातार कटाई की जा रही है और पेड़ को काटने के बाद उसी स्थान पर छोड़ दिया जा रहा था यहा काफी बड़ा इलाका समतल कर दिया गया है ।मौके को देखने के बाद साफ नजर आ रहा था उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से लगे उदंती अभ्यारण के हल्दी कछार के जंगल को लगातार साफ किया जा रहा है

यह सारा खेल कहीं ना कहीं वन विभाग सहित उन सभी लोगों की मिलीभगत से किया जा रहा है जिनका संबंध जंगल कटाई रोकने से है क्योंकि लगातार हो रही कटाई के बाद भी उस पर रोक न लगा पाना कहीं ना कहीं विभाग की लापरवाही को साफ दर्शाता है

हालांकि पूर्व में कटाई के मामले में एक डिप्टी रेंजर को निलंबित किया जा चुका है डिप्टी रेंजर पर आरोप था कि वह पैसे का लेनदेन करके जंगल में अवैध कटाई करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे थे यह भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या अवैध रूप से जंगल में बसाने के लिए उनके द्वारा लोगों से पैसे भी लिए जाते थे या नहीं

वन विभाग के द्वारा बीच-बीच में जंगल में अवैध रूप से पेड़ कटाई और झोपड़ी बनाकर रहने वाले हो के खिलाफ़ कई बार कार्रवाई भी की गई है लेकिन यह कार्यवाही नाकाफी थी क्योंकि उन लोग द्वारा जेल से छूटने के बाद पुनः जंगल में दूसरी जगह पर अवैध कटाई का काम शुरू कर दिया जाता है ऐसे में वन विभाग के पास इतना बड़ा अमला नहीं है कि जंगल में चप्पे-चप्पे पर नजर रख सकें इस बात को अधिकारी भी मानते हैं

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक देवाशीष दास भी मानते हैं कि विभाग के पास अधिकारी और कर्मचारियों की कमी है लेकिन इस कमी के चलते जंगल का सूचना तंत्र कमजोर हो ऐसा नहीं है पूरी कोशिश की जा रही है कि जंगलों में हो रहे इस अवैध कटाई और बसाहट को रोका जा सके

मौके का मुआयना करने के बाद देवाशीष ने बताया कि जंगल में कटाई तो जारी है और जो कटे हुए पेड़ दिख रहे हैं उसे लगता है कि पिछले कई सालों से कटाई की जा रही है 1 दिन पहले जहां वे लोग पहुंचे थे वहां पर पिछले कुछ दिनों में सैकड़ो पेड़ काटे थे और आज जिस स्थान पर है यह दो-तीन साल पहले पेड़ काटे गए थे और जगह को समतल किया गया है उन्होंने इस बात को बेहिचक स्वीकार है कि जंगल में अवैध रूप से कटाई की जा रही है जिसे रोकने में हमला नाकाम रहा है
वाक थ्रू ग्रामीणों और वन अधिकारी के साथ

हल्दी के चार के जिस स्थान पर आज जांच दल पहुंचा था वहां पर देवाशीष के द्वारा एक टीम बनाई गई जिसे हल्दी कछार के दूसरे स्थान के मुआयने के लिए रवाना किया गया । जांच दल के बाकी सदस्य वापस धनोरा के लिए निकल पड़े। लेकिन दल के द्वारा इस बार धनोरा गांव जंगल के दूसरे रास्ते से वापसी की गई यह रास्ता नदी नालों के किनारों से होते हुए गुजर रहा था । इस बीच रास्ते में दल के सदस्यों को जमकर प्यास लगी लेकिन उनके द्वारा लाए गए पानी समाप्त हो गया था इसके बाद एक वन कर्मी के द्वारा जंगल में बह रहे नाले के पास एक गड्ढा किया गया। उस गड्ढे में नीचे से पानी जमा हो गया और उस पानी को पत्ते की सहायता से बारी बारी से सबने पिया इससे इन लोगों की प्यास बुझी और फिर यह दल पैदल आगे बढ़ गया और शाम ढले के पहले धनेली गांव पहुंच गया इस बीच इस दल ने लगभग 22 से 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा नदी पहाड़ और नालों से की।

वहीं देर शाम तक देवाशीष के द्वारा बनाई गई टीम से सूचना प्राप्त हुई कि उनके द्वारा अवैध रूप से जंगल में रह रहे तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो कि उड़ीसा के रहने वाले थे ।
बाइट:- एचएल रात्रे मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी




Conclusion:इस गिरफ्तारी से साफ हो गया है कि वन मंत्री के पास जो शिकायत पहुंची थी वह सही थी। शिकायत में कहा गया था कि उड़ीसा के लोग छत्तीसगढ़ में आकर जंगलों की कटाई कर रहे हैं और अवैध रूप से यहां पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ वन विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है क्योंकि मामले की जांच के आदेश दिए गए थे तो अब वन विभाग टीम ने कार्रवाई करते हुए उन उड़ीसा वासियों को गिरफ्तार किया जो अवैध रूप से जंगल में कब्जा कर रह रहे थे इस दौरान यह बात भी सामने आई कि जंगलों की कटाई लकड़ी की तस्करी के लिए नहीं बल्कि जमीन पर कब्जा करने के लिए की जा रही है

बहरहाल जांच दल मौके से मुआयना कर वापस लौट आया है और अब उनके द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिस रिपोर्ट को विभाग को सौंपा जाएगा इस रिपोर्ट के आधार पर विभाग आगे की कार्यवाही करेगा

नोट। स्क्रिप्ट में लिखे अनुसार ही क्रमश वाकथ्रो है
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