गरियाबंद: शुक्रवार को तहसील कार्यालय के गेट पर किसानों ने आधे घंटे तक प्रदर्शन और नारेबाजी की. इस दौरान किसानों ने प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम तहसीलदार को ज्ञापन भी सौंपा.
दरअसल वन अधिकार पत्र प्राप्त खेतों पर उगाई गई फसल को बेचने के लिए, किसानों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है. जिसे लेकर किसान काफी परेशान हैं. पिछले साल इन किसानों ने सरकार को अपना धान बेचा है. लेकिन इस साल नियमों में किए गए कुछ बदलाव के चलते धान बेचने के लिए इन किसानों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है. किसानों ने कर्ज लेकर और बीते 3 महीने कड़ी मेहनत कर फसल उगाई है. अब जब फसल बेचने का समय आया तो किसानों का पंजीयन नहीं हो रहा है. ऐसे में इन किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
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भुइयां सॉफ्टवेयर में एंट्री अहम
किसानों का कहना है कि लैंपस और धान खरीदी करने वाले समिति ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. राजस्व विभाग भी नियमों का हवाला दे रहा है. उच्च स्तर पर बड़े अधिकारियों को ही कुछ करना होगा. मामले को लेकर राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, शासन स्तर पर पंजीयन के लिए अब भुइयां सॉफ्टवेयर में दर्ज खसरा नंबर की इंट्री अनिवार्य कर दी गई है. पिछले साल यह अनिवार्य नहीं था.
खसरा नंबर लिखना जरुरी: अधिकारी
अधिकारियों का कहना है कि जिन किसानों को वन विभाग की जमीन का वन अधिकार पत्र मिला हुआ है, उनके पट्टे पर जमीन के खसरा नंबर की जगह पर वन विभाग का कंपार्टमेंट नंबर का उल्लेख है. जबकि भुइयां सॉफ्टवेयर में खसरा नंबर लिखना जरुरी होता है. कंपार्टमेंट नंबर भुइयां सॉफ्टवेयर में नहीं दिखता है. जिसके चलते जिन किसानों को वन विभाग की जमीन वन अधिकार पत्र के रूप में मिली है, उनके उगाए गए धान बेचने के लिए इस बार पंजीयन नहीं हो पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कोई भी फैसला अब उच्च स्तर पर ही लिया जा सकता है. जिला स्तर पर इसमें कुछ नहीं हो सकता.