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हड़ताल पर गए डॉक्टर्स, 16 जनवरी से इमरजेंसी सेवाएं बंद करने की दी चेतावनी

छत्तीसगढ़ सरकार ने अस्पतालों में नया टाइम टेबल जारी किया है, जो डॉक्टरों को रास नहीं आ रहा है. इसके खिलाफ डॉक्टर्स 16 जनवरी से इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करने की बात कह रहे हैं.

डॉक्टर्स
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Published : Jan 14, 2020, 9:07 AM IST

गरियाबंद: प्रदेश के कई जिलों में डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं. ऐसे में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है. गांव के छोटे अस्पतालों से आरएमपी कोर्स करने वाले चिकित्सकों को शहरों के अस्पताल में तैनात कर दिया गया है. ऐसे में केवल सर्दी खांसी बुखार जैसी सामान्य बीमारियों का इलाज हो पा रहा है. वहीं डॉक्टर्स हड़ताल खत्म करने की बजाय मांगें नहीं माने जाने पर 16 जनवरी से जरूरी इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करने की बात कह रहे हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार का अस्पतालों के लिए जारी किया गया नया टाइम टेबल प्रदेश भर के डॉक्टर्स को रास नहीं आ रहा है. यही कारण है कि एक बार फिर डॉक्टर्स संगठित हो गए हैं और अपनी नई-पुरानी 10 मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं.

नियमों को सरकारी अस्पतालों में मानने की मांग

डॉक्टर्स के संगठन का कहना है कि दो शिफ्ट में ओपीडी लगाना उचित नहीं है, क्योंकि यह सब करने के लिए प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में न तो पर्याप्त स्टॉफ हैं और न ही उपकरण. ऐसे में केवल ड्यूटी लगा देने से मरीजों का भला नहीं होगा. पहले पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी. डॉक्टर्स के संगठनों ने निजी अस्पतालों के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से जारी किए गए नियमों को सरकारी अस्पतालों में भी मानने की मांग की है. उनका कहना है कि आधे स्टॉफ में काफी मुश्किलों के बीच काम किया जा रहा है. वहीं कई प्रकार के जरूरी भत्ते भी डॉक्टर्स को नहीं दिए जाते ऊपर से ड्यूटी का टाइम सामान्य से अधिक है जो परेशानी का कारण है.

हॉस्पिटल की ओपीडी बंद नहीं की जा सकती

हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि इस पेशे में छुट्टियां बेहद कम हो जाती है. साल में कभी भी लगातार दो दिन हॉस्पिटल की ओपीडी बंद नहीं की जा सकती. जान बचाने के इस पेशे में यदि किसी की जान नहीं बच पाती तो उल्टे डॉक्टर्स को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. कई बार लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है. इन सबके बावजूद प्रदेश सरकार कई बुनियादी नियमों को परिपूर्ण नहीं कर रही. बल्कि डॉक्टरों के काम को अधिक परेशानी वाला बना रही है.

गरियाबंद: प्रदेश के कई जिलों में डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं. ऐसे में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है. गांव के छोटे अस्पतालों से आरएमपी कोर्स करने वाले चिकित्सकों को शहरों के अस्पताल में तैनात कर दिया गया है. ऐसे में केवल सर्दी खांसी बुखार जैसी सामान्य बीमारियों का इलाज हो पा रहा है. वहीं डॉक्टर्स हड़ताल खत्म करने की बजाय मांगें नहीं माने जाने पर 16 जनवरी से जरूरी इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करने की बात कह रहे हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार का अस्पतालों के लिए जारी किया गया नया टाइम टेबल प्रदेश भर के डॉक्टर्स को रास नहीं आ रहा है. यही कारण है कि एक बार फिर डॉक्टर्स संगठित हो गए हैं और अपनी नई-पुरानी 10 मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं.

नियमों को सरकारी अस्पतालों में मानने की मांग

डॉक्टर्स के संगठन का कहना है कि दो शिफ्ट में ओपीडी लगाना उचित नहीं है, क्योंकि यह सब करने के लिए प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में न तो पर्याप्त स्टॉफ हैं और न ही उपकरण. ऐसे में केवल ड्यूटी लगा देने से मरीजों का भला नहीं होगा. पहले पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी. डॉक्टर्स के संगठनों ने निजी अस्पतालों के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से जारी किए गए नियमों को सरकारी अस्पतालों में भी मानने की मांग की है. उनका कहना है कि आधे स्टॉफ में काफी मुश्किलों के बीच काम किया जा रहा है. वहीं कई प्रकार के जरूरी भत्ते भी डॉक्टर्स को नहीं दिए जाते ऊपर से ड्यूटी का टाइम सामान्य से अधिक है जो परेशानी का कारण है.

हॉस्पिटल की ओपीडी बंद नहीं की जा सकती

हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि इस पेशे में छुट्टियां बेहद कम हो जाती है. साल में कभी भी लगातार दो दिन हॉस्पिटल की ओपीडी बंद नहीं की जा सकती. जान बचाने के इस पेशे में यदि किसी की जान नहीं बच पाती तो उल्टे डॉक्टर्स को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. कई बार लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है. इन सबके बावजूद प्रदेश सरकार कई बुनियादी नियमों को परिपूर्ण नहीं कर रही. बल्कि डॉक्टरों के काम को अधिक परेशानी वाला बना रही है.

Intro:गरियाबंद समेत प्रदेशभर के कई जिलों में डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं ऐसे में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है गांव के छोटे अस्पतालों से आरएमपी कोर्स करने वाले चिकित्सकों को शहरों के अस्पताल में तैनात कर दिया गया है ऐसे में केवल सर्दी खांसी बुखार जैसी सामान्य बीमारियों का इलाज हो पा रहा है वहीं डॉक्टर्स हड़ताल खत्म करने की बजाय मांगे नहीं माने जाने पर 16 से जरूरी इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करने की बात कह रहे हैं


Body:छत्तीसगढ़ सरकार का अस्पतालों के लिए जारी किया गया नया टाइम टेबल प्रदेश भर में डॉक्टरों को रास नहीं आ रहा है यही कारण है कि एक बार फिर डॉक्टर्स संगठित हो गए और अपनी नई पुरानी 10 मांगों को लेकर वे हड़ताल पर चले गए हैं डॉक्टरों के संगठन का साफ कहना है कि दो शिफ्ट में ओपीडी लगाना उचित नहीं है क्योंकि यह सब करने के लिए प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में ना तो पर्याप्त स्टाफ है ना तो उपकरण ऐसे में केवट ड्यूटी लगा देने से मरीजों का भला नहीं होगा पहले पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी डॉक्टरों के संगठन ने निजी अस्पतालों के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा जारी किए गए नियमों को सरकारी अस्पतालों में भी मानने की मांग की है उनका कहना है कि जरूरत से आधे स्टाफ में काफी मुश्किलों के बीच काम किया जा रहा है वहीं कई प्रकार के जरूरी भत्ते भी डॉक्टर्स को नहीं दिए जाते ऊपर से ड्यूटी का टाइम सामान्य से अधिक है जो परेशानी का कारण है


Conclusion:गरियाबंद में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि इस पेशे में छुट्टियां बेहद कम हो जाती साल में कभी भी लगातार दो दिन हॉस्पिटल की ओपीडी बंद नहीं की जा सकती जान बचाने के इस पेशे में यदि किसी की जान नहीं बच पाती तो उल्टे डॉक्टर्स को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है कई बार लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है इन सबके बावजूद प्रदेश सरकार कई बुनियादी नियमों को परिपूर्ण नहीं कर रही बल्कि डॉक्टरों का काम और अधिक परेशानी वाला बना रही है।

121 में बाइट

डॉक्टर-- अमित भोई,

डॉक्टर-- जयंत चंद्राकर,

डॉक्टर-- के आर रात्रे

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