ETV Bharat / state

देवउठनी एकादशी आज, इससे जुड़ी है कई परंपराएं - dev uthani ekadashi

देवउठनी एकादशी पूरे भारत में मनाई जा रही है. आज के दिन खास तुलसी विवाह करके पूजा समपन्न मानी जाती है.

देवउठनी एकादशी
author img

By

Published : Nov 8, 2019, 8:34 AM IST

Updated : Nov 8, 2019, 12:08 PM IST

गरियाबंद : दिपावली के 11 दिन बाद यानी आज पूरे भारत में एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. जिसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं . इसे छत्तीसगढ़ में जेठवनी नाम से भी जाना जाता है. परंपरा अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल के बाद जागते हैं. इसी के साथ आज चतुर्मास का अंत हो जाता है. भगवान विष्णु के जागने के बाद सबसे पहले उन्हें तुलसी अर्पित की जाती है. इस दिन परंपरा अनुसार तुलसी विवाह भी किया जाता है.

देवउठनी एकादशी आज, इससे जुड़ी है कई परंपराएं

परम्परा के अनुसार आज का दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि आज ही के दिन सभी शुभ कामों की शुरूआत की जाती है. साथ ही गन्ने का भी आज विशेष महत्तव होता है. एकादशी की पूजा के लिए गन्ना सबसे अनिवार्य फल है. देवउठनी एकादशी के लिए गन्ने से ही मंडप तैयार किया जाता है फिर विधि विधान से पूजा-पाठ की जाती है. आज शान बच्चे पटाखे भी फोड़ते हैं.

'किसान 8 महीने पहले से करते है तैयारी'
आज के दिन तुलसी चौरा के आसपास 4 गन्नों से मंडप सजाया जाता है. देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि प्रारंभ हो जाते है. देवउठनी की तैयारी किसान 8 महीने पहले से करते हैं.

'भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति'
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान के बाद घर के आंगन में भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति बनाई जाती हैं. इसके बाद तुलसी चौरा के पास फल, मिठाई, सिंघाड़े और गन्‍ना रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. रात के समय घर के बाहर और पूजा स्‍थल पर दीपक जलाएं जाते हैं. इस दिन भगवान विष्‍णु समेत सभी देवताओं की पूजा की जाती है.

गरियाबंद : दिपावली के 11 दिन बाद यानी आज पूरे भारत में एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. जिसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं . इसे छत्तीसगढ़ में जेठवनी नाम से भी जाना जाता है. परंपरा अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल के बाद जागते हैं. इसी के साथ आज चतुर्मास का अंत हो जाता है. भगवान विष्णु के जागने के बाद सबसे पहले उन्हें तुलसी अर्पित की जाती है. इस दिन परंपरा अनुसार तुलसी विवाह भी किया जाता है.

देवउठनी एकादशी आज, इससे जुड़ी है कई परंपराएं

परम्परा के अनुसार आज का दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि आज ही के दिन सभी शुभ कामों की शुरूआत की जाती है. साथ ही गन्ने का भी आज विशेष महत्तव होता है. एकादशी की पूजा के लिए गन्ना सबसे अनिवार्य फल है. देवउठनी एकादशी के लिए गन्ने से ही मंडप तैयार किया जाता है फिर विधि विधान से पूजा-पाठ की जाती है. आज शान बच्चे पटाखे भी फोड़ते हैं.

'किसान 8 महीने पहले से करते है तैयारी'
आज के दिन तुलसी चौरा के आसपास 4 गन्नों से मंडप सजाया जाता है. देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि प्रारंभ हो जाते है. देवउठनी की तैयारी किसान 8 महीने पहले से करते हैं.

'भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति'
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान के बाद घर के आंगन में भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति बनाई जाती हैं. इसके बाद तुलसी चौरा के पास फल, मिठाई, सिंघाड़े और गन्‍ना रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. रात के समय घर के बाहर और पूजा स्‍थल पर दीपक जलाएं जाते हैं. इस दिन भगवान विष्‍णु समेत सभी देवताओं की पूजा की जाती है.

Intro:शुभ कार्यों के शुरुआत का दिन यानी देवउठनी एकादशी कल पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी इसके 1 दिन पहले ही लोगों ने तैयारियां कर रखी है वही इस दिन का विशेष आकर्षण अर्थात गन्ना बाजारों में पहुंच चुका है और इसे लेकर लोग खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं कल पूरे विधि-विधान से परंपरा अनुसार भगवान विष्‍णु के शालीग्राम रूप की माता तुलसी से विवाह कराई जाएगी. इसके पूर्व तुलसी चौरा के आसपास 4 गन्नों से मंडप सजाया जाएगा देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह गृह प्रवेश शुभारंभ आदि प्रारंभ किए जाएंगे देवउठनी को लेकर क्या है परंपरा और महज इस 1 दिन के लिए किसान क्यों 8 महीने तक करता है मेहनत देखिए गरियाबंद से आई इस रिपोर्ट में----Body:देवउठनी एकादशि तुलसी विवाह और छत्तीसगढ़ में जेठवनी नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व होता हैं मान्यता के अनुसार सभी शुभ कामों की शुरुआत देवउठनी एकादशी से की जाती है. मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल के बाद जागते हैं. इसी के साथ देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है. जागने के बाद सबसे पहले उन्हें तुलसी अर्पित की जाती है. इस दिन परंपरा अनुसार तुलसी विवाह भी किया जाता है.Conclusion:एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान के बाद घर के आंगन में भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति बनाई जाती हैं जिसके बाद तुलसी चौरा के पास फल, मिठाई सिंघाड़े और गन्‍ना रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना होती है रात के समय घर के बाहर और पूजा स्‍थल पर दीपक जलाएं जाते हैं इस दिन भगवान विष्‍णु समेत सभी देवताओं की पूजा की जाती है
Last Updated : Nov 8, 2019, 12:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.