गरियाबंद: जिले में कोरोना संक्रमण फिर से अपना पैर पसार रहा है. कई घरों में पूरा परिवार संक्रमण की चपेट में आ गया है. अगर किसी व्यक्ति की कोरोना से मौत हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार के लिए भी अपने नहीं पहुंच पा रहे हैं. एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां कोरोना से मृत एक व्यक्ति के शव को देवभोग भेजने के लिए अस्पताल ने परिजनों के आने की शर्त रख दी, लेकिन उनका पूरा का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव था. प्रशासन को अंतिम संस्कार का जिम्मा सौंपा गया. रात होने की वजह से मर्च्यूरी का कर्मचारी भी घर लौट चुका था. नगर पालिका का कोई कर्मचारी शव मर्च्यूरी से निकालने के लिए तैयार नहीं हुआ. घंटों की जद्दोजहद के बाद रात 9 बजे शव का अंतिम संस्कार किया गया.
हाय रे व्यवस्था ! वाहन नहीं मिला तो स्ट्रेचर पर शव लेकर गए परिजन
देवभोग के गांव बरबाहली के बुजुर्ग जयराम नेताम कोरोना संक्रमित हो गए थे. हालत बिगड़ने पर बुजुर्ग को गरियाबंद अस्पताल में रेफर किया गया था. 18 अप्रैल को बुजुर्ग की मौत हो गई. अस्पताल प्रबंधन ने शव मर्च्यूरी में रख दिया. नियमों के अनुसार परिवार को इसकी सूचना दी गई और शव लेने बुलाया गया. मृतक के बेटे ने सूचना दी की उसका पूरा परिवार पॉजिटिव है और होम आइसोलेशन में है. मृतक के दोनों बेटों ने एसडीएम के नाम पत्र लिखा कि शव लेने हम नहीं आ सकते हैं. प्रशासन हमारी ओर से शव का अपने स्तर पर अंतिम संस्कार कराए.
नायब तहसीलदार पहुंचे गरियाबंद
देवभोग एसडीएम ने अंतिम संस्कार कराने का जिम्मा तहसीलदार को सौंपा. आदेश के मुताबिक नायब तहसीलदार अभिषेक अग्रवाल विभाग के अन्य कर्मचारियों के साथ गरियाबंद पहुंचे. अस्पताल का शव वाहन किसी अन्य शव को छोड़ने गया हुआ था. जबतक शव वाहन लौटा तबतक मर्च्यूरी से शव निकालने वाला कर्मचारी अपने गांव लौट गया था.
रात 9 बजे किया गया अंतिम संस्कार
परेशानियों के बाद नगर पालिका के कर्मचारियों से मदद मांगी गई. नगर पालिका के कर्मचारी अंतिम संस्कार के लिए तो तैयार हो गए लिए मर्च्यूरी से शव निकालने के लिए कोई तैयार नहीं था. अस्पताल के कर्मचारी को उसके गांव से वापस बुलाया गया. जद्दोजहद के बाद अंतिम संस्कार की जगह पर शव पहुंचा. नायब तहसीलदार भी वापस लौट रहे थे, जिन्हें फोन कर वापस बुलवाया गया. अंत में रात तकरीबन 9 बजे शव का अंतिम संस्कार किया गया.