गरियाबंद: कोरोना संकटकाल के दौर में कई लोग अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं. इनकी जितनी तारीफ की जाए कम है. ऐसा ही कुछ काम गरियाबंद के युवा कर रहे हैं. यहां रहने वाले मनीष यादव अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना संक्रमित ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहा है, जिन्हें उनके परिजन भी छूना नहीं चाहते हैं. मनीष पिछले 11 दिन में 7 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. अपने शव वाहन से 25 से ज्यादा शवों को मुक्ति धाम पहुंचाया है.
मनीष को अस्पताल में काम करने वाले एक कर्मी ने बताया कि अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उन्हें मर्चुरी में रखने और शव वाहन तक ले जाने के लिए वार्ड ब्वॉय की कमी है. इस जोखिम भरे काम के लिए कोई भी आगे आने को तैयार नहीं है. जिसके चलते परिजनों और प्रबंधन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिसके बाद मनीष ने इस काम को करने का मन बनाया और पिछले 11 दिनों से वह जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमित शवों को मॉर्चुरी पहुंचाने और मुक्तिधाम पहुंचाने का काम कर रहा है. मनीष के साथ उसके दो सहयोगी भी हैं. जिनमें से एक कोपरा के तारचंद और दूसरे फिंगेश्वर के विक्रम हैं. ये सभी युवा मिलकर कोरोना काल में अपना सामाजिक दायित्व पूरा कर रहे हैं. PPE किट पहनकर रोजाना ये युवा शवों को मॉर्चुरी में रखने और उन्हें मुक्तिधाम पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
परिजनों के पीछे हटने पर ये पटवारी करता हैं अंतिम संस्कार
संकट के इस समय में एक और कोरोना वॉरियर्स हैं पटवारी मनोज कंवर. वे लगातार कोरोना संक्रमण से मौतों के बाद उनके शवों को अस्पताल से उनके परिजनों को सौंपने और उसके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करते हैं. कई बार परिजन नहीं आते तो मनोज कंवर खुद ही उनका अंतिम संस्कार करते हैं. अब तक वे तीन से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इस बीच मनोज एक बार पॉजिटिव भी आ चुके हैं. इसके बाद भी वह रोज अस्पताल में इस काम के लिए आना-जाना करते हैं. अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था करते हैं.
इस संबंध में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डाॅ जी एल टंडन ने बताया कि कोरोना संकटकाल में कई परिजन भी शव के पास जाने से डरते हैं. ऐसे कठिन समय में मनीष यादव सच्चे समाज सेवी के रूप में इस जोखिम भरे काम को करने के लिए तैयार हुए हैं. इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है. उन्होंने कहा कि मनीष को शासन-प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की ओर से हर संभव सहयोग दिया जाएगा.