गरियाबंद: जिले भर से पहुंचे आदिवासियों ने गरियाबंद में रैली निकाली. आरक्षण बचाओ महारैली 2 किलोमीटर लंबी थी. आदिवासी समाज भवन मजरकटा से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली गई. वहीं तिरंगा चौक में आरक्षण कम करने वालों का पुतला जलाया गया. Tribals rally for reservation in Gariaband
कलेक्ट्रेट का घेराव कर किया चक्का जाम: तीर, धनुष, फरसा, कुल्हाड़ी जैसे पारंपरिक हथियारों से लैस होकर आदिवासी पहुंचे. उन्होंने 32% आरक्षण को अपना अधिकार बताया और राज्य सरकार से अध्यादेश लाकर इसे यथावत लागू रखने की मांग की. कलेक्ट्रेट के बाहर पहुंचने पर नेशनल हाईवे पर एक घंटा बैठकर कलेक्ट्रेट का घेराव कर चक्का जाम किया गया.
ज्ञापन लेने पहुंचे अपर कलेक्टर, एसडीएम को आदिवासियों ने लौटा दिया. आदिवासी गरियाबंद कलेक्टर से मिलकर ही अपनी मांगें रखने की जिद पर अड़े थे. इस दौरान भारी सुरक्षा बल का इंतजाम पुलिस ने कर रखा था. कलेक्ट्रेट को छावनी में तब्दील कर दिया गया था.
यह भी पढ़ें: दिवाली से पहले छत्तीसगढ़ सरकारी कर्मचारियों की बल्ले बल्ले, 5 प्रतिशत डीए बढ़ा
गरियाबंद कलेक्टर ने को सौंपा ज्ञापन: जब आदिवासी कलेक्टर से मिले बिना ना लौटने की जिद पर अड़े रहे. तो आखिरकार कलेक्टर को आदिवासियों के बीच ज्ञापन लेने आना पड़ा. गरियाबंद कलेक्टर ने इनकी मांगें उच्च स्तर पर भेजने की बात कही है. वहीं आदिवासियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का प्रतिशत कई जिलों में 70% तक है. ऐसे में 32% आरक्षण भी अगर उन्हें नहीं मिलेगा तो इसके लिए वे बड़े स्तर पर आंदोलन जारी रखेंगे.