गरियाबंद: जिला मुख्यालय से 80 किलोमाटर दूर बसा लचकेरा गांव में इन दिनों प्रवासीय पक्षियों ने डेरा जमाया है. मानसून के आने के साथ ही एशियन ओपन बिल स्ट्रोक पक्षी भी लचकेरा गांव में प्रजनन के लिए पहुंच रहे हैं. बारिश बढ़ने के साथ ही इन पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है. ग्रामीण इन पक्षियों को देवदूत मानते हैं और इन्हें शुभ मानते हुए खेती का काम शुरू करते हैं.
ग्रामीणों का मानना है कि इन पक्षियों का बड़ी संख्या में आना अच्छे मानसून का संकेत है. इन पक्षियों के दिखते ही ग्रामीण खेती किसानी और बोआई का काम शुरू कर देते हैं. गांव वालों का मानना है कि इन्हीं पक्षियों के कारण बीते कई सालों से न तो गांव में अकाल पड़ा है और न ही किसी तरह की महामारी फैली है. लचकेरा गांव में ये पक्षी पीपल, आम और इमली जैसे पेड़ों पर अपना आशियाना बनाते हैं.
1000 रुपए अर्थदंड का प्रावधान
पक्षियों के आने से अच्छी फसल और अच्छी बारिश होती है. ग्रामीण बताते हैं कि इन पक्षियों के सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. इनहें नुकसान पहुंचाने वालों के लिए 1000 रुपए का अर्थदंड का भी प्रावधान रखा गया है. वहीं इनकी सूचना देने वालों को 300 रुपए का इनाम भी दिया जाता है. पूरे गांव में इनकी संख्या लगभग 5 हजार से भी ज्यादा है. वहीं आने वाले समय में इनकी संख्या और 8 से 10 हजार होने की संभावना है.
ग्रामीण बताते हैं कि ये पक्षी मानसून के समय इस गांव में आते हैं और दीपावली के समय यहां से पलायन कर जाते हैं. ये पक्षी गांव में कब से आ रहे हैं, इसकी जानकारी ग्रामीणों को भी नहीं है, लेकिन वे इन्हें बचपन से देखते आ रहे हैं. प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्ट्रोक का वैज्ञानिक नाम एनास्टोमस ओसिटेंस है. ये पक्षी बांग्लादेश, कंबोड़िया, चीन, आलोस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलेंड और वियतनाम में बहुतायात में पाये जाते हैं.
नदियों के आस-पास के पेड़ों पर डालते हैं डेरा
एशियन ओपन बिल स्ट्रोक का प्रजनन काल जुलाई से शुरू होता है. प्रजनन के लिए यह पक्षी उन स्थानों की तलाश करते हैं, जहां पानी और पर्याप्त आहार मौजूद हो. छत्तीसगढ़ में यह पक्षी प्रायः महानदी और उनकी सहायक नदियों के आस-पास के गांवों में देखे जाते हैं. ये पक्षी आहार में खेतों में लगे कीड़ों को खाते हैं. इससे जमीन की गुणवत्ता बढ़ जाती है और फसल अच्छी होती है.