गरियाबंद: कमार भुंजिया जनजाति के साथ हुए जमीन फर्जीवाड़ा मामले में कलेक्टर ने 5 सदस्यीय टीम का गठन किया है. पांच सदस्यीय जांच कमेटी का नेतृत्व अपर कलेक्टर करेंगे, जो 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट को कलेक्टर को सौपेंगे. साथ ही कलेक्टर ने तत्काल आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.
फर्जी तरीके से कराई गई रजिस्ट्री
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि 'सैकड़ों कमार, भुंजिया के ठगे जाने की आशंका है. अनुपयोगी जमीन को कृषि योग्य बताकर शासन को महंगे दाम पर बेचे गए हैं. इसमें और भी कई तरह की गड़बड़ियों की बातें भी सामने आई हैं, जिसमें फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराया गया है. बड़े झाड़ के जंगलों को कूटरचना कर कृषि भूमि बताकर रजिस्ट्री करा दी गई है.
24 रजिस्ट्रियों में स्टाम्प पेपर भी नहीं लगाया गया
आदिवासियों को कई साल गुजर जाने पर भी न तो भूमि का कब्जा मिला और न रजिस्ट्री की कॉपी, 202 रजिस्ट्रियों में से 170 रजिस्ट्रियों में न, तो नक्शा, खसरा, बी 1 है. न ही फोटो, न निरीक्षण रिपोर्ट है. 24 रजिस्ट्रियों में स्टाम्प पेपर भी नहीं लगाया गया है. जिन आदिवासियों से जमीन क्रय की गई. उन्हें भी पूरा पैसा प्राप्त नहीं हुआ. तात्कालिक जमीन की कीमत से 5 गुना ज़्यादा पैसा लेकर शासकीय पैसे का दुरुपयोग किया गया है, जो सरकार के संरक्षण के बगैर संभव नहीं है.
हितग्राहियों को रजिस्ट्री पेपर नहीं दिया गया
शिकायतकर्ता विनोद तिवारी ने बताया कि हितग्राहियों को रजिस्ट्री पेपर नहीं दिया गया. न ही जमीन दिखाई गई, न दी गई, न तो अधिकांश जमीनों का नामांतरण हुआ था. जब से सूचना अधिकार में दस्तावेज हमें प्राप्त हुए हैं, तब से मामले को साफ करने में अधिकारी-कर्मचारी जुटे हैं. इतना ही नहीं कुछ हितग्राहियों को 8 बजे रात उप-पंजीयक कार्यालय गरियाबंद ले जा कर हस्ताक्षर करवाया गया है'.
'किसी भी आरोपी को नहीं छोड़ा जाएगा'
जिलाधीश ने कहा है कि 'इस संबंध में वे सख्त कार्रवाई करने जा रहे हैं. डिप्टी कलेक्टर की एक अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है. ऐसी संभावना है कि 15 से 20 दिनों में सारे प्राकरण सामने आ जाएंगे और आरोपियों को छोड़ा नहीं जाएगा'.