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गरियाबंद : वन भैंसों के संरक्षण के लिए असम से आएंगे 5 नए मेहमान - छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु वन भैंसे

वन भैंसों के संरक्षण के लिए राज्य और केंद्र सरकार के कई प्रयासों के बाद असम से 5 वन भैंसे उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में लाए जाएंगे.

असम से आए 5 नए महमान
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Published : Nov 14, 2019, 11:41 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 6:34 AM IST

गरियाबंद: वन भैंसे के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी और छत्तीसगढ़ वन विभाग के प्रयास के बाद उदंती में एक साथ 5 नए मेहमान आएंगे. विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसे से जुड़ी यह अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी है.

असम से आए 5 नए महमान

असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से 5 मादा वन भैंसों को जल्द गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन भैंस प्रजनन केंद्र में लाकर रखा जाएगा.

बता दें कि अब तक यहां सिर्फ दो मादा वन भैसा थी, लेकिन उनमें से आशा नाम की बड़ी मादा अब मां नहीं बन सकती है. ऐसे में वन भैंसों का वंश बढ़ाने का जिम्मा उसकी बेटी खुशी पर टिक था. ऐसे में असम से आने वाली 5 मादा वन भैसे से वन भैसों की नस्ल को विलुप्त होने से बचाने में बड़ी सहायता मिलेगी. अब तक वन भैंसों की संख्या 10 थी आने के अब वह 15 हो जाएगी. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने को लेकर वन विभाग खाशा उत्साहित नजर आ रहा है.

ETV भारत भी यही उम्मीद करता है कि किसी भी तरह प्रदेश के राजकीय पशु को विलुप्त होने से बचाया जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को केवल तस्वीर में राजकीय पशु देखकर संतोष न करना पड़े उदंती का महत्व बना रहे.

गरियाबंद: वन भैंसे के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी और छत्तीसगढ़ वन विभाग के प्रयास के बाद उदंती में एक साथ 5 नए मेहमान आएंगे. विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसे से जुड़ी यह अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी है.

असम से आए 5 नए महमान

असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से 5 मादा वन भैंसों को जल्द गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन भैंस प्रजनन केंद्र में लाकर रखा जाएगा.

बता दें कि अब तक यहां सिर्फ दो मादा वन भैसा थी, लेकिन उनमें से आशा नाम की बड़ी मादा अब मां नहीं बन सकती है. ऐसे में वन भैंसों का वंश बढ़ाने का जिम्मा उसकी बेटी खुशी पर टिक था. ऐसे में असम से आने वाली 5 मादा वन भैसे से वन भैसों की नस्ल को विलुप्त होने से बचाने में बड़ी सहायता मिलेगी. अब तक वन भैंसों की संख्या 10 थी आने के अब वह 15 हो जाएगी. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने को लेकर वन विभाग खाशा उत्साहित नजर आ रहा है.

ETV भारत भी यही उम्मीद करता है कि किसी भी तरह प्रदेश के राजकीय पशु को विलुप्त होने से बचाया जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को केवल तस्वीर में राजकीय पशु देखकर संतोष न करना पड़े उदंती का महत्व बना रहे.

Intro:उदंती में जल्द आएंगे 5 नए मेहमान

केंद्र सरकार ने मादा वन भैंसा लाने की दी अनुमति

असम के मानस राष्ट्र उद्यान से लाई जाएंगी 5 मादा वनभैंस

एंकर--विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसे से जुड़ी यह अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी है उदंती में एक साथ 5 नए मेहमान आएंगे वन भैंसे के संरक्षण के लिए लंबे समय से चल रहे छत्तीसगढ़ वन विभाग के प्रयास के बाद केंद्र सरकार ने इसे अंततः मंजूरी दे दी है असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से 5 मादा वन भैंसों को जल्द गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन भैंस प्रजनन केंद्र में लाकर रखा जाएगा अब तक यहां केवल दो मादा वनभैंसा थी मगर उनमें से आशा नमक बड़ी मादा अब मां बनने की स्थिति में नहीं है ऐसे में वन भैंसों की वंश वृद्धि केवल उसकी बेटी खुशी पर टिक गई थी ऐसे में असम से आने वाले पांच मादा वन भैंसे से वन भैंसों की नस्ल को विलुप्त होने से बचाने में बड़ी सहायता मिलेगी अब तक वन भैंसों की संख्या जो उदंती में 10 हो गई थी अब वह बढ़कर 15 हो जाएगी केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने को लेकर वन विभाग खाशा उत्साहित नजर आ रहा है जल्द ही उदंती के वन भैंसा प्रजनन केंद्र को 5 नई मादा वनभैंसा के लिए तैयार किया जाएगा।

Body:जानिए हमारे राजकीय पशु का पूरा इतिहास--

19 साल पहले सन् 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर प्रदेश के राजकीय पशु के रूप में वन भैंसे को चुना गया सरकारी रिकॉर्ड में तब उदंती अभ्यारण में 74 वन भैंसे थे मगर वास्तविकता में वह सरकारी रिकार्ड ही फर्जी निकला वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने 2009 में देशभर के सबसे बड़े वन्य जीव विशेषज्ञों के साथ उदंती में बैठक की इसमें यह जवाब प्रस्तुत किया गया कि वास्तविक आंकड़े बेहद कम है अब अर्थात सन 2009 में केवल 11 वन भैंस ही बचे हैं इस रिपोर्ट ने पूरे देश में खलबली मचा दी वन भैंसे के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास और उस पर खर्च की जा रही बड़ी राशि पर गंभीर सवाल उठने लगे खासी नाराजगी झेलने के बाद वास्तविक स्थिति से डरे सहमे प्रशासन ने वन भैंसे को बचाने नई रणनीति बनाई इनके प्रजनन और वंश वृद्धि अब केवल प्रजनन केंद्र अर्थात 5 हेक्टेयर के जंगल के बारे में कराने का फैसला हुआ उस वक्त अंतिम बची 2 मादाओ में से एक और सबसे बड़ी मादा की मौत हो गई उसे किसी ने तीर से घायल किया था जख्म पक गया और इलाज के लिए बेहोश किए जाने के बाद फिर वह कभी खड़ी नहीं हो पाई इस मौत के बाद अब स्थितियां और गंभीर थी वन भैंसे की वंश वृद्धि की जिम्मेदारी केवल एक मादा वन भैंसा आशा पर टिक गई पिंजड़े में इस एक माधवन है से के साथ 5 नर वन भैंसों को रखा गया 11:00 के बाद जो आंकड़े घटकर 8:00 तक पहुंच गए थे उसे इस माधवन भैंसे ने फिर से 12 तक पहुंचाया मगर इस बीच दो और वन भैंसों की मौत हो गई




Conclusion:अब इस वक्त प्रदेश का राजकीय पशु विलुप्त होने की कगार पर थे यह चिंता प्रदेश के वन विभाग को खाए जा रही थी वंश वृद्धि के लिए मादा वन भैंसे की जरूरत थी वैसे तो बस्तर के इंद्रावती में भी कुछ वन भैंसों के होने कि जानकारी है मगर इसका कोई प्रमाण पिछले 5 सालों में मिला नहीं है वहां नक्सल समस्या के चलते पशु गणना भी हो नहीं पाई है ऐसे में अब वन भैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रदेश के वन विभाग ने बाहर से यानी असम राज्य के मानस नेशनल पार्क से वन भैंसा लाने के लिए प्रयास प्रारंभ किया इसमें सबसे बड़ी समस्या थी केंद्र सरकार से मंजूरी लेना काफी जद्दोजहद के बाद केंद्र सरकार से कुछ दिन पहले इसकी मंजूरी मिल ही गई मंजूरी मिलते ही वन विभाग इसे लेकर खासा उत्साहित नजर आ रहा है उदंती के वन भैंसा प्रजनन केंद्र में उन्हें रखने के लिए जल्द तैयारी करने की बात की जा रही है वन भैंसों का प्रजनन काल ठंड में ही होता है इसलिए अधिकारी इसी सीजन में उन्हें लाने के लिए प्रयास करने में जुट गए हैं प्रदेश के राजकीय पशु का भविष्य अब असम की मादाओं के हाथ होगा जल्द उदंती में 5 नए मेहमान एक साथ आएंगे और फिर उनसे भविष्य की उम्मीदें होंगी खैर ईटीवी भारत भी यही उम्मीद करता है कि किसी भी तरह प्रदेश के राजकीय पशु को विलुप्त होने से बचा लिया जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को केवल तस्वीर में राजकीय पशु देखकर संतोष ना करना पड़े उदंती का महत्व बना रहे।।।।। फरहाज मेंमन ई टी वी भारत गरियाबंद
Last Updated : Nov 15, 2019, 6:34 AM IST
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