ETV Bharat / state

शिवनाथ की 'गोद' में बैठकर प्यासा है गांव, वादों से कैसे बुझे प्यास - पानी की असुविधा

छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों की प्यास बुझाने शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव के लोग प्यासे हैं. नेताओं के आश्वासन पर ऐतबार करके यहां के लोगों ने पानी के लिए ही मतदान किया है.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Apr 23, 2019, 9:17 PM IST

दुर्ग: प्रदेश के लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेकर इसे और मजबूत करने का काम तो किया ही है साथ ही आने वाली सरकार से उम्मीद भी लगा रखी है. छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों की प्यास बुझाने शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव के लोग प्यासे हैं. नेताओं के आश्वासन पर ऐतबार करके यहां के लोगों ने पानी के लिए ही मतदान किया है.

शिवनाथ की 'गोद' में बैठकर प्यासा है गांव,


शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव मोहमरा तकरीबन 800 लोगों की आबादी वाला गांव है. यह गांव दो दशकों से पीने के पानी को तरस रहा है. वहीं शिवनाथ के किनारे बसे होने के बाद भी गांव के खेत शिवनाथ के पानी को तरसते हैं. इसके बावजूद इस दिशा में अब तक प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया है. नेताओं से मिले आश्वासन के बीच यहां के लोगों ने पानी के लिए मतदान किया है.
लोकसभा चुनाव के दौरान दुर्ग संसदीय क्षेत्र में मतदान के ही दिन ईटीवी भारत की टीम महमरा गांव पहुंची. हमारी टीम से चर्चा करते हुए लोगों ने बताया कि दो दशक से इस गांव में पीने के पानी की समस्या है, जो गर्मी के दिनों में बढ़ जाती है. महिलाओं को काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है, जबकि जीवनदायिनी कही जाने वाली शिवनाथ नदी के किनारे है गांव बसा हुआ है बावजूद इसके लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है.
ग्रामीण होते हैं परेशान
लोगों ने यह भी बताया कि किसानों को सिंचाई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शिवनाथ नदी से उन्हें सिंचाई के लिए अब तक पानी नहीं मिल पाया है, जबकि पिछले दो दशक से वह लगातार शिवनाथ नदी का पानी सिंचाई के लिए दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
15 साल में नहीं बन पाई सड़क
दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में समस्याओं का अंबार है. करीब 15 साल पहले बनी गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो चुकी है. पिछले एक दशक से इस सड़क को सुधारने के लिए अधिकारियों से लेकर नेताओं तक गांव वाले गुहार लगा चुके हैं लेकिन इसके बाद गांव का पहंच मार्ग नहीं बन पाया है. इसे लेकर भी यहां के लोगों में नाराजगी देखी गई.
इस मामले में गांव की हेमिन निषाद का कहना है कि गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो गई है आने जाने में काफी दिक्कतें होती है.
निस्तारी के लिए नहीं है पानी
गांव की यशोदा निषाद का कहना है कि पेयजल की काफी दिक्कतें हैं गांव के तालाब में पानी नहीं है निस्तारी की समस्या सबसे ज्यादा है पीने की पानी की भी काफी तकलीफ हैं इसके बावजूद इन समस्याओं को लेकर के प्रशासन न तो ध्यान दे रहा है और ना ही नेता. उन्होंने कहा कि पीने के पानी के साथ ही उन्हें निस्तारण के लिए तालाब से भी पानी नहीं मिल पा रहा है कोसो दूर से पानी लाना पड़ता है और घर की गलियों के आसपास ही नहाना पड़ता है

दुर्ग: प्रदेश के लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेकर इसे और मजबूत करने का काम तो किया ही है साथ ही आने वाली सरकार से उम्मीद भी लगा रखी है. छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों की प्यास बुझाने शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव के लोग प्यासे हैं. नेताओं के आश्वासन पर ऐतबार करके यहां के लोगों ने पानी के लिए ही मतदान किया है.

शिवनाथ की 'गोद' में बैठकर प्यासा है गांव,


शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव मोहमरा तकरीबन 800 लोगों की आबादी वाला गांव है. यह गांव दो दशकों से पीने के पानी को तरस रहा है. वहीं शिवनाथ के किनारे बसे होने के बाद भी गांव के खेत शिवनाथ के पानी को तरसते हैं. इसके बावजूद इस दिशा में अब तक प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया है. नेताओं से मिले आश्वासन के बीच यहां के लोगों ने पानी के लिए मतदान किया है.
लोकसभा चुनाव के दौरान दुर्ग संसदीय क्षेत्र में मतदान के ही दिन ईटीवी भारत की टीम महमरा गांव पहुंची. हमारी टीम से चर्चा करते हुए लोगों ने बताया कि दो दशक से इस गांव में पीने के पानी की समस्या है, जो गर्मी के दिनों में बढ़ जाती है. महिलाओं को काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है, जबकि जीवनदायिनी कही जाने वाली शिवनाथ नदी के किनारे है गांव बसा हुआ है बावजूद इसके लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है.
ग्रामीण होते हैं परेशान
लोगों ने यह भी बताया कि किसानों को सिंचाई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शिवनाथ नदी से उन्हें सिंचाई के लिए अब तक पानी नहीं मिल पाया है, जबकि पिछले दो दशक से वह लगातार शिवनाथ नदी का पानी सिंचाई के लिए दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
15 साल में नहीं बन पाई सड़क
दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में समस्याओं का अंबार है. करीब 15 साल पहले बनी गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो चुकी है. पिछले एक दशक से इस सड़क को सुधारने के लिए अधिकारियों से लेकर नेताओं तक गांव वाले गुहार लगा चुके हैं लेकिन इसके बाद गांव का पहंच मार्ग नहीं बन पाया है. इसे लेकर भी यहां के लोगों में नाराजगी देखी गई.
इस मामले में गांव की हेमिन निषाद का कहना है कि गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो गई है आने जाने में काफी दिक्कतें होती है.
निस्तारी के लिए नहीं है पानी
गांव की यशोदा निषाद का कहना है कि पेयजल की काफी दिक्कतें हैं गांव के तालाब में पानी नहीं है निस्तारी की समस्या सबसे ज्यादा है पीने की पानी की भी काफी तकलीफ हैं इसके बावजूद इन समस्याओं को लेकर के प्रशासन न तो ध्यान दे रहा है और ना ही नेता. उन्होंने कहा कि पीने के पानी के साथ ही उन्हें निस्तारण के लिए तालाब से भी पानी नहीं मिल पा रहा है कोसो दूर से पानी लाना पड़ता है और घर की गलियों के आसपास ही नहाना पड़ता है

Intro:दुर्ग. कभी सोचा है छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों की प्यास बुझाने शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव के लोग भी प्यासे हो सकते जी हां यह सच है शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव मोहमरा तकरीबन 800 लोगों की आबादी वाला यह गांव दो दशकों से पीने के पानी को तरस रहा है वहीं शिवनाथ के किनारे बसे होने के बाद भी गांव के खेत शिवनाथ के पानी को तरसते हैं इसके बावजूद ना तो इस दिशा में अब तक प्रशासन ने जान दिया और ना ही नेताओं ने इस बार भी लोकसभा चुनाव में नेता पहुंचे अपना प्रचार प्रसार किया और इसके बाद आश्वासन देकर गांव से चले गए लेकिन आज इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखकर इस गांव के लोगों ने अपना मतदान किया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान दुर्ग संसदीय क्षेत्र में मतदान के ही दिन महमरा गांव पहुंची ईटीवी भारत की टीम से चर्चा करते हुए लोगों ने बताया कि दो दशक से इस गांव में पीने के पानी की समस्या है यह समस्या गर्मी में और भी बढ़ जाती है महिलाओं को काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है जबकि जीवनदायिनी कही जाने वाली शिवनाथ नदी के किनारे है गांव बसा हुआ है बावजूद इसके लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है वहीं लोगों ने यह भी बताया कि किसानों को सिंचाई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है शिवनाथ नदी से उन्हें सिंचाई के लिए अब तक पानी नहीं मिल पाया है जबकि पिछले दो दशक से वह लगातार शिवनाथ नदी का पानी सिंचाई के लिए दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
15 साल में नहीं बन पाई सड़क
दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में समस्याओं का अंबार है तकरीबन 15 साल पहले बनी गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो चुकी है पिछले एक दशक से इस सड़क को सुधारने के लिए अधिकारियों से लेकर नेताओं तक गांव वाले गुहार लगा चुके हैं बावजूद इसके आज तक गांव का पहुंच मार्ग नहीं बन पाया है इसके चलते ग्रामीणों में जहां आक्रोश की स्थिति है वहीं अब वह इस लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा मानते हुए वोट कर रहे हैं। इस मामले में गांव की हेमिन निषाद का कहना है कि गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो गई है आने जाने में काफी दिक्कतें होती है उबड़ खाबड़ सड़क में सफल करके लोगों को आना पड़ता है वहीं गांव के तालाब में पानी की भी समस्या है इसके बाद भी इस समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
बाढ़ में डूबकर हुई खस्ताहाल
गांव के संजय निषाद ने बताया कि बाढ़ आने के कारण गांव की सड़क तक पानी आ गया था इस बात को 10 साल हो गए लेकिन अब तक सड़क की मरम्मत नहीं की जा सकती है इससे काफी तकलीफ है लोगों को उठानी पड़ती है कई बार हादसे तक हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि बारिश के दिनों में गांव का पहुंच मार्ग कीचड़ से भरा होता है इस बीच ही गांव वालों को इस पर पैर रखकर सफर करना पड़ता है।
निस्तारी के लिए नहीं है पानी
गांव की यशोदा निषाद का कहना है कि पेयजल की काफी दिक्कतें हैं गांव के तालाब में पानी नहीं है निस्तारी की समस्या सबसे ज्यादा है पीने की पानी की भी काफी तकलीफ हैं इसके बावजूद इन समस्याओं को लेकर के प्रशासन न तो ध्यान दे रहा है और ना ही नेता। उन्होंने कहा कि पीने के पानी के साथ ही उन्हें निस्तारण के लिए तालाब से भी पानी नहीं मिल पा रहा है कोसो दूर से पानी लाना पड़ता है और घर की गलियों के आसपास ही नहाना पड़ता है


Body:Wt अटेच हैConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.