दुर्ग: प्रदेश के लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेकर इसे और मजबूत करने का काम तो किया ही है साथ ही आने वाली सरकार से उम्मीद भी लगा रखी है. छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों की प्यास बुझाने शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव के लोग प्यासे हैं. नेताओं के आश्वासन पर ऐतबार करके यहां के लोगों ने पानी के लिए ही मतदान किया है.
शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांव मोहमरा तकरीबन 800 लोगों की आबादी वाला गांव है. यह गांव दो दशकों से पीने के पानी को तरस रहा है. वहीं शिवनाथ के किनारे बसे होने के बाद भी गांव के खेत शिवनाथ के पानी को तरसते हैं. इसके बावजूद इस दिशा में अब तक प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया है. नेताओं से मिले आश्वासन के बीच यहां के लोगों ने पानी के लिए मतदान किया है.
लोकसभा चुनाव के दौरान दुर्ग संसदीय क्षेत्र में मतदान के ही दिन ईटीवी भारत की टीम महमरा गांव पहुंची. हमारी टीम से चर्चा करते हुए लोगों ने बताया कि दो दशक से इस गांव में पीने के पानी की समस्या है, जो गर्मी के दिनों में बढ़ जाती है. महिलाओं को काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है, जबकि जीवनदायिनी कही जाने वाली शिवनाथ नदी के किनारे है गांव बसा हुआ है बावजूद इसके लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है.
ग्रामीण होते हैं परेशान
लोगों ने यह भी बताया कि किसानों को सिंचाई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शिवनाथ नदी से उन्हें सिंचाई के लिए अब तक पानी नहीं मिल पाया है, जबकि पिछले दो दशक से वह लगातार शिवनाथ नदी का पानी सिंचाई के लिए दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
15 साल में नहीं बन पाई सड़क
दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में समस्याओं का अंबार है. करीब 15 साल पहले बनी गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो चुकी है. पिछले एक दशक से इस सड़क को सुधारने के लिए अधिकारियों से लेकर नेताओं तक गांव वाले गुहार लगा चुके हैं लेकिन इसके बाद गांव का पहंच मार्ग नहीं बन पाया है. इसे लेकर भी यहां के लोगों में नाराजगी देखी गई.
इस मामले में गांव की हेमिन निषाद का कहना है कि गांव की सड़क जर्जर और खस्ताहाल हो गई है आने जाने में काफी दिक्कतें होती है.
निस्तारी के लिए नहीं है पानी
गांव की यशोदा निषाद का कहना है कि पेयजल की काफी दिक्कतें हैं गांव के तालाब में पानी नहीं है निस्तारी की समस्या सबसे ज्यादा है पीने की पानी की भी काफी तकलीफ हैं इसके बावजूद इन समस्याओं को लेकर के प्रशासन न तो ध्यान दे रहा है और ना ही नेता. उन्होंने कहा कि पीने के पानी के साथ ही उन्हें निस्तारण के लिए तालाब से भी पानी नहीं मिल पा रहा है कोसो दूर से पानी लाना पड़ता है और घर की गलियों के आसपास ही नहाना पड़ता है