दुर्ग: सिस्टम की लापरवाही ने 2 महीने के बच्ची की जिंदगी छीन ली. कोरोना सैंपल लेने के बाद बच्ची को संक्रमित बता दिया गया. डॉक्टरों ने मासूम को रायपुर रेफर कर दिया. मेकाहारा पहुंचने के बाद जिम्मेदार बच्ची का इलाज करने के बजाय उसकी उम्र 20 वर्ष है या 2 माह इसके दस्तावेज खंगालने में लगे रहे. उधर दो महीने की यह मासूम जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही. जब तक अस्पताल वाले कोई नतीजे पर पहुंचते तब तक बच्ची ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया. इस घटना से स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्या अस्पताल ही बन रहे कोरोना के सुपर स्प्रेडर ?
वेंटिलेटर की कमी
परिजनों ने बताया कि बच्ची को बुखार और दस्त की शिकायत थी. 25 अप्रैल की रात जब बच्ची की तबीयत बिगड़ी परिजन उसे लेकर रात 10 बजे के करीब जिला अस्पताल पहुंचे. अस्पताल में पहले बच्ची का कोरोना टेस्ट किया गया. रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बच्ची का इलाज शुरू कर दिया गया. बच्ची की तबीयत में कोई सुधार नहीं था. वेंटिलेटर नहीं होने की वजह से अस्पताल ने उसे रायपुर के मेकाहारा में रेफर कर दिया. परिजन एंबुलेंस से बच्ची को रायपुर लेकर पहुंचे. अस्पताल काजगी कार्रवाई करने में लगा रहा. इस बीच उस मासूम बच्ची ने अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया.
अंतिम संस्कार के बाद रिपोर्ट आई निगेटिव
बच्ची की मौत के बाद परिजन उसका अंतिम संस्कार कर घर लौटे. तकरीबन 4 घंटे बाद मोबाइल में बच्ची की टेस्ट रिपोर्ट आई. इस रिपोर्ट में बच्ची की उम्र 20 वर्ष लिखी हुई थी और रिपोर्ट निगेटिव थी. रिपोर्ट देखने के बाद परिजन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को लेकर सिटी कोतवाली थाना पहुंचे. परिजनों ने थाना प्रभारी से जांच किए जाने की मांग को लेकर आवेदन दिया. परिजनों ने CMHO से भी इसकी शिकायत की है.
निष्पक्ष जांच का आदेश
शिकायत के बाद पुलिस ने निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गंभीर सिंह ठाकुर ने भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को स्वीकारते हुए कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है.