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दुर्ग: कुपोषण दर में आई कमी, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत बच्चों को बांटा गया था राशन

दुर्ग में 10 हजार कुपोषित बच्चों को टारगेट किया गया था, जिसमें 44 प्रतिशत बच्चे सामान्य श्रेणी में 6 से 14 माह के बच्चे हैं. पिछले साल 16.47 प्रतिशत बच्चे कुपोषण केटेगरी में थे, जिनका आंकड़ा अब घटकर 11.71 प्रतिशत हो चुका है. कुपोषण में 5 प्रतिशत की कमी आई है, जो पूरे प्रदेश में सबसे कम कुपोषित बच्चों के मामले वाले जिलों में दूसरे नंबर पर है.

durg malnutrition rate decreases
दुर्ग में बच्चो के कुपोषण दर में आई कमी
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Published : Aug 23, 2020, 7:37 PM IST

Updated : Aug 23, 2020, 7:54 PM IST

दुर्ग: मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर पोषण आहार का वितरण किया, दुर्ग में जिसका परिणाम साफ देखा जा सकता है. जिले में 10 हजार कुपोषित बच्चों को टारगेट किया गया था, जिसमें 44 प्रतिशत बच्चे सामान्य श्रेणी में हैं. इसमें 6 से 14 माह के बच्चे शामिल हैं. पिछले साल 16.47 प्रतिशत बच्चे कुपोषण केटेगरी में थे, जिनका आंकड़ा अब घटकर 11.71 प्रतिशत हो चुका है. दुर्ग में कुपोषण में 5 प्रतिशत की कमी आई है, जो पूरे प्रदेश में सबसे कम कुपोषित बच्चों के मामले वाले जिलों में दूसरे नंबर पर है.

दुर्ग में बच्चो के कुपोषण दर में आई कमी

जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि जमीनी स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की वजह से ही कुपोषण की दर में कमी आई है.भविष्य में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत DMF फंड से आहार वितरण किया जाएगा. साथ ही अन्य कार्य योजना बनाकर प्रोटीन युक्त खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी.

पढ़ें- रायगढ़ : कुपोषण को दूर करेगा पोषण आहार केंद्र, हर ब्लॉक में बनाया जा रहा 'NRC'

बता दें कि कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के दौरान बच्चे आंगनबाड़ी नहीं जा पा रहे थे. राज्य सरकार ने बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए उनके हिस्से का सूखा राशन घर-घर बंटवाने का फैसला लिया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों के घर जाकर उन्हें राशन दिया.

दुर्ग: मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर पोषण आहार का वितरण किया, दुर्ग में जिसका परिणाम साफ देखा जा सकता है. जिले में 10 हजार कुपोषित बच्चों को टारगेट किया गया था, जिसमें 44 प्रतिशत बच्चे सामान्य श्रेणी में हैं. इसमें 6 से 14 माह के बच्चे शामिल हैं. पिछले साल 16.47 प्रतिशत बच्चे कुपोषण केटेगरी में थे, जिनका आंकड़ा अब घटकर 11.71 प्रतिशत हो चुका है. दुर्ग में कुपोषण में 5 प्रतिशत की कमी आई है, जो पूरे प्रदेश में सबसे कम कुपोषित बच्चों के मामले वाले जिलों में दूसरे नंबर पर है.

दुर्ग में बच्चो के कुपोषण दर में आई कमी

जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि जमीनी स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की वजह से ही कुपोषण की दर में कमी आई है.भविष्य में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत DMF फंड से आहार वितरण किया जाएगा. साथ ही अन्य कार्य योजना बनाकर प्रोटीन युक्त खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी.

पढ़ें- रायगढ़ : कुपोषण को दूर करेगा पोषण आहार केंद्र, हर ब्लॉक में बनाया जा रहा 'NRC'

बता दें कि कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के दौरान बच्चे आंगनबाड़ी नहीं जा पा रहे थे. राज्य सरकार ने बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए उनके हिस्से का सूखा राशन घर-घर बंटवाने का फैसला लिया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों के घर जाकर उन्हें राशन दिया.

Last Updated : Aug 23, 2020, 7:54 PM IST
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