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Daughter Of Durg: ईंट भट्ठे में काम करते हुए क्वालिफाई की नीट परीक्षा, अब डॉक्टर बनेगी दुर्ग की बिटिया - सेल्फ स्टडी

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती... कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है ग्रामीण क्षेत्र की एक बेटी ने. बिना कोचिंग नीट की परीक्षा निकालने में तीन बार असफल होने के बाद हौसले नहीं डिगे. चौथी बर में नीट क्वालिफाई करने वाली डूमरडीह की यमुना चक्रधारी ने जिले के साथ छत्तीसगढ़ का भी नाम रोशन किया है.

daughter of Durg will become a doctor
डॉक्टर बनेगी दुर्ग की बिटिया
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Published : Jun 17, 2023, 11:28 PM IST

Updated : Jun 18, 2023, 11:15 PM IST

डॉक्टर बनेगी दुर्ग की बिटिया

दुर्ग: तमाम सुविधा और कोचिंग से लेकर बेहतर मार्गदर्शन के बाद भी बहुत से छात्र नीट जैसी परीक्षा क्वालिफाई करने से चूक जाते हैं. कई बार परीक्षा देने के बाद भी बहुतों के नसीब में डाॅक्टर बनना नहीं होता. मगर अभाव तले जाने वाले हर चुनौती का समना करते हुए अपने लिए रास्ता बना ही लेते हैं. जी हां, ऐसी ही एक बेटी है दुर्ग की यमुना चक्रधारी, जिसने बिना कोचिंग के ही नीट परीक्षा क्वालिफाई करने में कामयाबी हासिल की है. हैरानी की बात तो ये है कि यमुना परिवार का हाथ बटाने के लिए ईंट भट्ठे में भी काम किया करती थी.

ईंट भट्ठे की तपिश ने हौसले को बनाया फैलाद: यमुना दिन में ईंट बनाने के बाद घर पर सेल्फ स्टडी करती थी. नीट में 720 में 516 नंबर आए हैं. ऑल इंडिया रैंकिंग 93683 और ओबीसी में 42684 रैंक है. जिस तरह से गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईंट तैयार होता है, उसी तरह यमुना के इरादे भी दिन ब दिन फैलाद की तरह मजबूत होते गए. भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो इरादे चट्टान की तरह मजबूत थे. नतीजा ये रहा कि उसने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का मान बढ़ाया है.

पूरा परिवार ईंट भट्ठे पर करता है काम: यमुना ने बताया कि "उनके पिता का छोटे से ईंट भट्ठे का काम है. परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है, इसलिए पूरे परिवार को इस ईंट भट्ठे में काम करना पड़ता है. रोजाना 5 से 6 घंटे के काम के बाद पढ़ाई के लिए भी समय निकलती थी. सेल्फ स्टडी के भरोसे ही चार बार के बाद आखिरकार कामयाबी हासिल हुई है. अब एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी या एमएस के लिए ट्राई करना अगला लक्ष्य होगा."

कोरोना ने भी रास्ते में डाली बाधाएं: यमुना का डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन आर्थिक संकट ठीक नहीं थी. ऐसे में नीट क्वालिफाई कर भी लेती तो फीस और अन्य खर्चे नहीं दे पाती. ऐसे में उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार ने यमुना का कोचिंग में एडमिशन कराया. लेकिन कोरोना के चलते कोचिंग नहीं जा पाई. चौथी बार में नीट क्वालिफाई करने वाली यमुना की मदद के लिए श्रम विभाग और नाचा संस्था ने हाथ बढ़ाया है.

डॉक्टर बनकर गांव में सेवा देना चाहती है यमुना: यमुना चक्रधारी ने बताया कि "उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार गांव के लोगो की सेवा में लगे हैं. उन्हीं की तरह मैं भी डॉक्टर बनकर अपने गांव के लोगों की सेवा करना चाहती हूं. आने वाले समय में और पढ़ाई करके डॉक्टर बनूंगी और गांव के साथ अन्य लोगों की सेवा करूंगी."

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बड़ी बहन ने यूनिवर्सिटी में किया टाॅप: यमुना की बड़ी बहन युक्ति चक्रधारी ने वर्ष 2022 में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में एमए इतिहास में टॉप किया. युक्ति ने बताया कि "पढ़ाई करने के लिए घर में किसी प्रकार का मोबाइल या लैपटाप जैसे संसाधन न होने के बावजूद हम लोगों ने पढ़ाई की है. घर के सभी सदस्यों के साथ दिन में पिता के ईंट भट्ठे में काम कर उनका हाथ बंटाते और रात के समय पढ़ाई करते थे. कभी कभी हम लोग हताश और परेशान हो जाते थे क्योंकि जो हम चाहते थे वह नहीं हो पाता था. इसके बाद भी हम लोगों ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और इसी का नतीजा आज देखने को मिला है."

परिवार की स्थिति बेहतर न होने के बाद भी इन बेटियों ने न सिर्फ घरवालों का हाथ बंटाया, बल्कि अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत में कोई कमी नहीं आने दी. आर्थिक दुश्वारियों और संसाधनों के अभाव के बावजूद मुकाम हासिल कर मां बाप को नाज करने का मौका दिया.

डॉक्टर बनेगी दुर्ग की बिटिया

दुर्ग: तमाम सुविधा और कोचिंग से लेकर बेहतर मार्गदर्शन के बाद भी बहुत से छात्र नीट जैसी परीक्षा क्वालिफाई करने से चूक जाते हैं. कई बार परीक्षा देने के बाद भी बहुतों के नसीब में डाॅक्टर बनना नहीं होता. मगर अभाव तले जाने वाले हर चुनौती का समना करते हुए अपने लिए रास्ता बना ही लेते हैं. जी हां, ऐसी ही एक बेटी है दुर्ग की यमुना चक्रधारी, जिसने बिना कोचिंग के ही नीट परीक्षा क्वालिफाई करने में कामयाबी हासिल की है. हैरानी की बात तो ये है कि यमुना परिवार का हाथ बटाने के लिए ईंट भट्ठे में भी काम किया करती थी.

ईंट भट्ठे की तपिश ने हौसले को बनाया फैलाद: यमुना दिन में ईंट बनाने के बाद घर पर सेल्फ स्टडी करती थी. नीट में 720 में 516 नंबर आए हैं. ऑल इंडिया रैंकिंग 93683 और ओबीसी में 42684 रैंक है. जिस तरह से गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईंट तैयार होता है, उसी तरह यमुना के इरादे भी दिन ब दिन फैलाद की तरह मजबूत होते गए. भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो इरादे चट्टान की तरह मजबूत थे. नतीजा ये रहा कि उसने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का मान बढ़ाया है.

पूरा परिवार ईंट भट्ठे पर करता है काम: यमुना ने बताया कि "उनके पिता का छोटे से ईंट भट्ठे का काम है. परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है, इसलिए पूरे परिवार को इस ईंट भट्ठे में काम करना पड़ता है. रोजाना 5 से 6 घंटे के काम के बाद पढ़ाई के लिए भी समय निकलती थी. सेल्फ स्टडी के भरोसे ही चार बार के बाद आखिरकार कामयाबी हासिल हुई है. अब एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी या एमएस के लिए ट्राई करना अगला लक्ष्य होगा."

कोरोना ने भी रास्ते में डाली बाधाएं: यमुना का डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन आर्थिक संकट ठीक नहीं थी. ऐसे में नीट क्वालिफाई कर भी लेती तो फीस और अन्य खर्चे नहीं दे पाती. ऐसे में उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार ने यमुना का कोचिंग में एडमिशन कराया. लेकिन कोरोना के चलते कोचिंग नहीं जा पाई. चौथी बार में नीट क्वालिफाई करने वाली यमुना की मदद के लिए श्रम विभाग और नाचा संस्था ने हाथ बढ़ाया है.

डॉक्टर बनकर गांव में सेवा देना चाहती है यमुना: यमुना चक्रधारी ने बताया कि "उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार गांव के लोगो की सेवा में लगे हैं. उन्हीं की तरह मैं भी डॉक्टर बनकर अपने गांव के लोगों की सेवा करना चाहती हूं. आने वाले समय में और पढ़ाई करके डॉक्टर बनूंगी और गांव के साथ अन्य लोगों की सेवा करूंगी."

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परिवार की स्थिति बेहतर न होने के बाद भी इन बेटियों ने न सिर्फ घरवालों का हाथ बंटाया, बल्कि अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत में कोई कमी नहीं आने दी. आर्थिक दुश्वारियों और संसाधनों के अभाव के बावजूद मुकाम हासिल कर मां बाप को नाज करने का मौका दिया.

Last Updated : Jun 18, 2023, 11:15 PM IST
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