दुर्ग: छत्तीसगढ़ प्रदेश को संभागवार पांच भागों में बांटा गया है. जिसमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सरगुजा और बस्तर संभाग आते हैं. इन संभागों को मिलाकर कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें रायपुर संभाग में विधानसभा की 20 सीटें हैं. बस्तर संभाग में 12 सीटें, सरगुजा संभाग में 14 सीटें, बिलासपुर संभाग में 24 सीटें और दुर्ग संभाग में विधानसभा की 20 सीटें आती हैं. इनमें से दुर्ग संभाग पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हुई है.
2018 में कांग्रेस को मिली थी एकतरफा जीत: साल 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बात की जाए, तो कांग्रेस ने दुर्ग संभाग में सबसे शानदार परफॉरमेंस किया था. कांग्रेस ने 20 सीटों में से 19 सीटें पर एकतरफा जीत हासिल की थी. भाजपा से केवल पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ही अपनी सीट बचाने में सफल हुए थे. जबकि बीएसपी और जोगी कांग्रेस के हाथ सिर्फ निराशा ही लगी थी. दुर्ग संभाग से बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ हो गया था. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कांग्रेस ने दुर्ग संभाग में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी के बड़े नेता भी इस संभाग का दौरा कर लगातार कई सभाएं कर रहे हैं. जेसीसीजे सहित अन्य पार्टियां भी यहां हुंकार भर रही हैं.
क्यों दुर्ग संभाग है सबसे अहम? छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में दुर्ग संभाग सबसे अहम माना जा रहा है. क्योंकि सीएम भूपेश बघेल समेत कांग्रेस सरकार के सबसे ज्यादा मंत्री दुर्ग संभाग से ही आते हैं. दुर्ग संभाग की पाटन विधानसभा सीट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सीट है. दुर्ग ग्रामीण विधानसभा से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू विधायक है. ऐसे ही मंत्री रविन्द्र चौबे साजा विधानसभा सीट, मंत्री गुरु रूद्र कुमार अहिवारा विधानसभा से, मंत्री मोहम्मद अकबर कवर्धा विधानसभा से, मंत्री अनिला भेड़िया डौंडी लोहारा विधानसभा से विधायक चुने गए हैं.
दुर्ग संभाग के जातिगत समीकरण को समझिए: किसी क्षेत्र का राजनीति को साधने के लिए सबसे अहम होता है उस क्षेत्र का जातिगत समीकरण. क्योंकि जातिगत समीकरण के आधार पर ही राजनीतिक दल उस क्षेत्र में अलग अलग समाज के प्रभाव का आंकलन करते हैं. जिसके आधार पर वोटरों को साधने के लिए रणनीति तैयार की जाती है. दुर्ग संभाग की बात करें तो यहां ओबीसी वोटरों का दबदबा माना जाता है. दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा, बालोद, कवर्धा, खैरागढ़ जिलों में ओबीसी वोटरों की संख्या ज्यादा है. यहां ओबीसी वोटरों में साहू समाज, कुर्मी, लोधी, यादव समाज के वोटर ज्यादा हैं. जो चुनाव में गेम चेंजर की भूमिका निभाते हैं. वहीं एससी एसटी केवल मानपुर मोहला अंबागढ़ चौकी जिले में आदिवासी वोटरों का प्रभाव है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों का अच्छा प्रभाव रहा है. लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस की लहर ऐसी चली कि अन्य सभी दल धराशायी हो गए थे.
छत्तीसगढ़ की 90 सीटों का जातीय समीकरण: छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सीट है. जिसके जातीय समीकरण की बात करें, तो 90 सीट में 39 सीटें आरक्षित हैं. जिसमें 29 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. वहीं 10 सीटें एससी वर्ग के लिए भी आरक्षित है. इसके अलावा बांकि सभी 51 सीटें यहां सामान्य सीटें हैं. इन 51 सीटों पर ओबीसी वर्ग चुनाव में सीधा प्रभाव डालता है. इन सीटों की 37 विधानसभा सीटों पर साहू और कुर्मी समाज के वोट बैंक का सबसे ज्यादा प्रभाव है. दूसरे अन्य जाति और सामान्य वर्ग भी यहां प्रभाव डालते हैं. जिनमें लोधी, यादव आदि शामिल हैं. लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव साहू वोट बैंक का है, जो निर्णायक की भूमिका में होती है.
दुर्ग संभाग के जिलों और सीटों पर नजर: दुर्ग संभाग की प्रमुख विधानसभा सीटों की बात करें, तो इसमें सबसे अहम जिला पाटन विधानसभा सीट है. जो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सीट है. इसके साथ ही साजा, अहिवारा, दुर्ग ग्रामीण, कवर्धा, डोंडी लोहारा विधानसभा सीट भूपेश सरकार के मंत्रियों की सीटें हैं. वहीं अन्य विधानसभा सीटों की बात करें, तो दुर्ग (शहर), भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिवारा, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, राजनांदगांव, खैरागढ़, खुज्जी, मोहला मानपुर, पंडरिया, कवर्धा, साजा, बेमेतरा, नवागढ़, संजारी बालोद, डोंडी लोहारा और गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. दुर्ग संभाग के जिलों की बात करें, तो यहां दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़ छुईखदान गंडई, कवर्धा, बेमेतरा, बालोद, मानपुर मोहला अंबागढ़ चौकी आते हैं.
दुर्ग संभाग में कांग्रेस और बीजेपी में मुख्य मुकाबला: इस बार के चुनाव में दुर्ग संभाग में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखे जाने की संभावना है. संभाग के सातों जिलों में कांग्रेस ने बीते चुनाव में 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी. तो बीजेपी को केवल एक सीट ही मिली थी. यही वजह है कि इस बार बीजेपी इस संभाग में अपनी सीटें बढ़ाने पर जोर दे रही है.