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भिलाई में पोला पर्व, भौंरा गिल्ली डंडा पित्तल खेला स्कूली विद्यार्थियों ने

भिलाई में पोला पर्व पर स्कूली छात्रों ने भौंरा गिल्ली डंडा और पित्तल खेला. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के आभूषणों और व्यंजन की प्रदर्शनी भी लगाई गई.

पोला पर्व पर बच्चों सिखाते शिक्षक
पोला पर्व पर बच्चों सिखाते शिक्षक
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Published : Aug 28, 2022, 8:13 PM IST

दुर्ग: भिलाई शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला उमरपोटी में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व की झलक दिखी. यहां के विद्यार्थियों ने पोला पर्व के उपलक्ष्य में पित्तुल, रस्साकशी, भौंरा, गिल्ली डंडा, गेड़ी दौड़, फुगड़ी आदि खेले इस मौके पर छत्तीसगढ़ के आभूषणों और व्यंजन की प्रदर्शनी भी लगाई गई. संस्कृति को जीवंत बनाए रखें प्राचार्य डॉक्टर निशा चौबे ने छात्रों को अपनी संस्कृति को जीवंत बनाए रखने और इसके महत्व को बच्चों को बताया.

यह भी पढ़ें: रायपुर में सांझ कार्यक्रम, एलजीबीटी समुदाय के कलाकारों ने श्रीदेवी के अंदाज में पेश किया डांस

वहीं बाल कल्याण समिति अध्यक्ष और स्टील बर्तन बैंक संचालिका श्रद्धा रानी साहू ने स्कूल में बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए उपस्थित रही. उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम 2015 बालकों की देखरेख संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त भारत, नशा उन्मूलन, स्वच्छता शिक्षा, कृषि और पशुधन को बवाने संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा किया.


पोला का महत्व जाना बच्चों ने: श्रद्धा रानी साहू ने पोला पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि पोला का पर्व विशेष तौर पर गांव के किसानों के लिए है. जो खेती करके अनाज उगाते हैं. उनके लिए आज विशेष दिन है. क्योंकि आज के ही दिन धान की बालियां गर्भधारण करती है. लेकिन एक अच्छी फसल काटने के लिए किसान के पास एक अच्छा स्वस्थ्य बैल की जोड़ी, खेतों की उपजाऊ मिट्टी तथा साथ में एक प्राकृतिक वातावरण आवश्यक होता है.


गौवंश की सुरक्षा जरूरी : श्रद्धा ने बताया कि हमारी मिट्टी और गौ माता की पूजा करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा करने की आवश्यकता है. आप सभी ऐसा आयोजन ना कराएं जिससे हमारी मिट्टी और गौ माता का अपमान हो. उनका स्वास्थ्य खराब हो. प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें. हमने कोरोना वायरस महामारी झेला है. दोबारा ऐसी परिस्थितियों का सामना ना करना पड़े. सिंगल यूज प्लास्टिक बंद हो चुका है, क्योंकि इससे मिट्टी, पेड़-पौधों को और गौमाता को बहुत नुकसान हो रहा था. इसलिए पेड़ वाला पत्ता दोना और स्टील बर्तन बैंक के सामानों का ही उपयोग किया जाए.

दुर्ग: भिलाई शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला उमरपोटी में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व की झलक दिखी. यहां के विद्यार्थियों ने पोला पर्व के उपलक्ष्य में पित्तुल, रस्साकशी, भौंरा, गिल्ली डंडा, गेड़ी दौड़, फुगड़ी आदि खेले इस मौके पर छत्तीसगढ़ के आभूषणों और व्यंजन की प्रदर्शनी भी लगाई गई. संस्कृति को जीवंत बनाए रखें प्राचार्य डॉक्टर निशा चौबे ने छात्रों को अपनी संस्कृति को जीवंत बनाए रखने और इसके महत्व को बच्चों को बताया.

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वहीं बाल कल्याण समिति अध्यक्ष और स्टील बर्तन बैंक संचालिका श्रद्धा रानी साहू ने स्कूल में बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए उपस्थित रही. उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम 2015 बालकों की देखरेख संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त भारत, नशा उन्मूलन, स्वच्छता शिक्षा, कृषि और पशुधन को बवाने संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा किया.


पोला का महत्व जाना बच्चों ने: श्रद्धा रानी साहू ने पोला पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि पोला का पर्व विशेष तौर पर गांव के किसानों के लिए है. जो खेती करके अनाज उगाते हैं. उनके लिए आज विशेष दिन है. क्योंकि आज के ही दिन धान की बालियां गर्भधारण करती है. लेकिन एक अच्छी फसल काटने के लिए किसान के पास एक अच्छा स्वस्थ्य बैल की जोड़ी, खेतों की उपजाऊ मिट्टी तथा साथ में एक प्राकृतिक वातावरण आवश्यक होता है.


गौवंश की सुरक्षा जरूरी : श्रद्धा ने बताया कि हमारी मिट्टी और गौ माता की पूजा करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा करने की आवश्यकता है. आप सभी ऐसा आयोजन ना कराएं जिससे हमारी मिट्टी और गौ माता का अपमान हो. उनका स्वास्थ्य खराब हो. प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें. हमने कोरोना वायरस महामारी झेला है. दोबारा ऐसी परिस्थितियों का सामना ना करना पड़े. सिंगल यूज प्लास्टिक बंद हो चुका है, क्योंकि इससे मिट्टी, पेड़-पौधों को और गौमाता को बहुत नुकसान हो रहा था. इसलिए पेड़ वाला पत्ता दोना और स्टील बर्तन बैंक के सामानों का ही उपयोग किया जाए.

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