दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोरोना के बढ़ते संक्रमितों को देखते हुए रेलवे के आइसोलेशन कोच के उपयोग की मांग उठनी शुरू हो गई है. प्रदेश में रायपुर समेत दुर्ग में कोरोना से भयावह स्थिति बनी हुई है. लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. हालात यह हैं कि मरीजों को अस्पतालों में बेड तक नहीं मिल पा रहा है. जबकि रेलवे ने प्रदेश में 105 आइसोलेशन कोच में करीब 900 बेड तैयार किए हैं. जो पड़े पड़े धूल खा रहे हैं. ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता दे दिखाया था, ताकि इसके खुलने से मरीजों को राहत मिले. इस खबर के बाद अब विधायक, सांसद और अधिकारी भी इस बात को मान रहे हैं कि रेलवे के आइसोलेशन कोच का उपयोग जरूरी है.
केंद्रीय मंत्री समेत मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र
छत्तीसगढ़ में कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बनी हुई है. ऐसे में दुर्ग सांसद विजय बघेल और पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने रेलवे के तैयार किए गए आइसोलेशन कोच को खोलने की मांग की है. सांसद विजय बघेल ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र लिखकर कहा है कि दुर्ग में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. मरीजों के लिए बेड नहीं है. ऐसे में रेलवे के तैयार किए गए आइसोलेशन कोच को खोला जाए. इसके साथ ही विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भी रेल मंत्री से इस संबंध में टेलिफोन के जरिए बात की. जिस पर रेल मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इसकी मांग करेगी तो रेलवे आइसोलेशन कोच देने को तैयार है.
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दुर्ग सीएमचओ ने डीआरएम को लिखा पत्र
कोरोना की स्थिति को देखते हुए दुर्ग सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने डीआरएम रायपुर को पत्र लिखा है. उन्होंने रेलवे के आइसोलेशन कोच को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए संचालित करने कहा हैं. ताकि रेलवे कर्मचारियों और उनके परिजनों के साथ ही अन्य कोविड मरीजों के लिए इलाज के लिए सुविधा उपलब्ध हो सके. आइसोलेशन कोच में ऑक्सीजन बेड के साथ ही मेडिकल स्टाफ की सुविधा भी उपलब्ध कराएं, ताकि कोरोना मरीजों को उचित इलाज मिल सके. कोरोना महामारी के बीच मरीजों को बेड तक नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने रेलवे के कोच का इस्तेमाल करने का फैसला लिया हैं.
105 कोच को बनाया गया था आइसोलेशन वार्ड
कोरोना काल में पिछले साल संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों को आइसोलेशन कोच में बदला था. हालांकि उस समय इन आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं हो पाया था. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर और बिलासपुर डिवीजन में 105 आइसोलेशन कोच बनाए गए थे. पिछले एक साल से इन कोच पर धूल जमी हुई है. दुर्ग के मरोदा यार्ड में 50 डिब्बों में 400 बेड बनाए गए थे. इनको बनाने में करीब दो लाख रुपए प्रति कोच खर्च किए गए थे, लेकिन अब तक इन आइसोलेशन कोच में एक भी कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं किया गया है.
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जानकारी के मुताबिक ऐसे और कोच बिलासपुर में भी खड़े किए गए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार इसका उपयोग नहीं कर पा रही है. यदि 105 आइसोलेशन कोच की बात की जाए तो 900 से ज्यादा बेड खाली पड़े हैं. जिसे सरकार उपयोग नहीं कर पा रही है. पिछले एक साल से आइसोलेशन ट्रेन के कोच खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं.
सुविधाओं से लैस आइसोलेशन कोच
रेलवे प्रशासन ने कोरोना मरीजों के लिए हर कोच में 8 बेड की व्यवस्था है, जिसे जरूरत पड़ने पर 16 बेडों में बदला जा सकता है. नॉन एसी डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया है. इसके लिए मिडल बर्थ को निकालकर कोच के हर कंपार्टमेंट को अस्पताल के प्राइवेट रूम की तरह बनाया गया है. चिकित्सकों के दिशा निर्देशों अनुसार इसे तैयार किया गया है. कोच के एक टॉयलेट को बाथरूम में परिवर्तित किया गया है. कोच के अंदर संक्रमण रोकने के लिए प्लास्टिक के पर्दे लगाए हैं. मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स उपलब्ध हैं. प्रत्येक कैबिन में मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगाए गए हैं. करोड़ों की लागत से ये कोच तैयार किए गए हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए ये कोच आइसोलेशन के तौर पर उपयोग हो सकते हैं.