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SPECIAL: मिनी राइस मिल से लगेंगे महिलाओं के सपनों को पंख - डीएमएफ फंड

दुर्ग जिले के 50 बिहान समूह से जुड़ी महिलाएं अब गांव-गांव में मिनी राइस मिल चलाएंगी. जिला खनिज न्यास (डीएमएफ निधि) द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान पर इनमें से हर समूह को मिनी राइस मिल दी जा रही है. जिससे अब महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी.

mini rice mill being given to womens
मिनी राइस मिल
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Published : Mar 22, 2021, 2:18 PM IST

दुर्ग: गांव में मजदूरी कर परिवार चलाने में मदद करने वाली गरीब महिलाएं अब उद्यमी बनने जा रही हैं. दुर्ग जिले के 50 बिहान समूह से जुड़ी महिलाएं अब गांव-गांव में मिनी राइस मिल चलाएंगी. जिला खनिज न्यास (डीएमएफ निधि) द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान पर इनमें से हर समूह को मिनी राइस मिल दिया जा रहा है. जिससे मजदूरी करने वाली गरीब महिलाओं के उद्यमी बनने का सपना अब साकार हो सकेगा.

दुर्ग जिले की महिलाएं अब तक वर्मी कंपोस्ट खाद को बेचकर पैसा कमाती थीं, लेकिन अब वे राइस मिल चलाने जा रही हैं. जिले में पहली बार महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए मिनी राइस मिल कृषि विभाग की ओर से दिए जा रहे हैं, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें.

महिलाओं का सशक्तिकरण की तरफ एक और कदम

गेहूं की पिसाई भी कर सकती हैं

मिनी राइस मिल से समूह से जुड़ी महिलाएं धान से चावल बनाने के साथ-साथ गेहूं को पीसकर आटा भी बना सकती हैं. उमरकोटी गांव की समूह से जुड़ी महिला सुरेखा बघेल बताती हैं कि यह अच्छी पहल है. इसके जरिए महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, साथ ही चावल की पिसाई, मिर्च, चना और गेहूं की भी पिसाई कर सकती हैं. उन्होंने बताया कि अब गांव की महिलाओं को दूसरे गांव आटा पिसाने जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. अब वे खुद मिनी राइस मिल के जरिए पिसाई कर सकती हैं.

SPECIAL: दुर्ग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वर्मी कंपोस्ट खाद की टेस्टिंग में प्रथम

सुधरेगी आर्थिक स्थिति

समूह से जुड़ी एक और महिला सुषमा मानिकपुरी बताती हैं कि मिनी राइस मिल मिलने से वे घर की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती हैं. राइस मिल से ही चना, धनिया, गेहूं की पिसाई कर सकती हैं. इससे जो फायदा होगा, उससे अपने बच्चों का भविष्य भी महिलाएं संवार सकती हैं. यही नहीं बल्कि गांव वालों को भी पिसाई के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब वे अपने ही गांव में शासन से मिले मिनी राइस मिल का फायदा उठा सकते हैं.

mini rice mill being given to womens
मिनी राइस मिल

राइस मिल मिलने से मिलेगा फायदा

बिहान समूह की पार्वती कोठारी कहती हैं कि राइस मिल मिलने से महिलाओं को फायदा होगा. महिलाओं को बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी. अब गांव मे ही गेहूं के अलावा अन्य चीजों की पिसाई की जा सकती है. उन्होंने समूह को मिनी राइस मिल दिए जाने पर सरकार का आभार व्यक्त किया. साथ ही कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की यह पहल सराहनीय है.

50 बिहान समूहों को वितरित किया गया राइस मिल

कृषि उपसंचालक एसएस राजपूत ने बताया कि 85 हजार रुपये का मिनी राइस मिल डीएमएफ फंड के जरिए शत-प्रतिशत अनुदान पर दिया गया है. इस मिल से समूह से जुड़ी महिलाएं धान से चावल बनाने के साथ-साथ गेहूं को पीसकर आटा भी बना सकती हैं. उन्होंने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाएं विभिन्न प्रकार का व्यवसाय कर रही हैं. इनमें से इच्छुक समूह और ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव मंगाया गया था. जिन समूह को मिनी राइस मिल दिया गया है, वह अपना व्यवसाय आगे बढ़ा सकती हैं. पूरे 50 समूह को राइस मिल दिया जा चुका है. जल्द ही समूह की महिलाएं अपना व्यवसाय शुरू करेंगी.

दुर्ग: गांव में मजदूरी कर परिवार चलाने में मदद करने वाली गरीब महिलाएं अब उद्यमी बनने जा रही हैं. दुर्ग जिले के 50 बिहान समूह से जुड़ी महिलाएं अब गांव-गांव में मिनी राइस मिल चलाएंगी. जिला खनिज न्यास (डीएमएफ निधि) द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान पर इनमें से हर समूह को मिनी राइस मिल दिया जा रहा है. जिससे मजदूरी करने वाली गरीब महिलाओं के उद्यमी बनने का सपना अब साकार हो सकेगा.

दुर्ग जिले की महिलाएं अब तक वर्मी कंपोस्ट खाद को बेचकर पैसा कमाती थीं, लेकिन अब वे राइस मिल चलाने जा रही हैं. जिले में पहली बार महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए मिनी राइस मिल कृषि विभाग की ओर से दिए जा रहे हैं, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें.

महिलाओं का सशक्तिकरण की तरफ एक और कदम

गेहूं की पिसाई भी कर सकती हैं

मिनी राइस मिल से समूह से जुड़ी महिलाएं धान से चावल बनाने के साथ-साथ गेहूं को पीसकर आटा भी बना सकती हैं. उमरकोटी गांव की समूह से जुड़ी महिला सुरेखा बघेल बताती हैं कि यह अच्छी पहल है. इसके जरिए महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, साथ ही चावल की पिसाई, मिर्च, चना और गेहूं की भी पिसाई कर सकती हैं. उन्होंने बताया कि अब गांव की महिलाओं को दूसरे गांव आटा पिसाने जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. अब वे खुद मिनी राइस मिल के जरिए पिसाई कर सकती हैं.

SPECIAL: दुर्ग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वर्मी कंपोस्ट खाद की टेस्टिंग में प्रथम

सुधरेगी आर्थिक स्थिति

समूह से जुड़ी एक और महिला सुषमा मानिकपुरी बताती हैं कि मिनी राइस मिल मिलने से वे घर की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती हैं. राइस मिल से ही चना, धनिया, गेहूं की पिसाई कर सकती हैं. इससे जो फायदा होगा, उससे अपने बच्चों का भविष्य भी महिलाएं संवार सकती हैं. यही नहीं बल्कि गांव वालों को भी पिसाई के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब वे अपने ही गांव में शासन से मिले मिनी राइस मिल का फायदा उठा सकते हैं.

mini rice mill being given to womens
मिनी राइस मिल

राइस मिल मिलने से मिलेगा फायदा

बिहान समूह की पार्वती कोठारी कहती हैं कि राइस मिल मिलने से महिलाओं को फायदा होगा. महिलाओं को बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी. अब गांव मे ही गेहूं के अलावा अन्य चीजों की पिसाई की जा सकती है. उन्होंने समूह को मिनी राइस मिल दिए जाने पर सरकार का आभार व्यक्त किया. साथ ही कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की यह पहल सराहनीय है.

50 बिहान समूहों को वितरित किया गया राइस मिल

कृषि उपसंचालक एसएस राजपूत ने बताया कि 85 हजार रुपये का मिनी राइस मिल डीएमएफ फंड के जरिए शत-प्रतिशत अनुदान पर दिया गया है. इस मिल से समूह से जुड़ी महिलाएं धान से चावल बनाने के साथ-साथ गेहूं को पीसकर आटा भी बना सकती हैं. उन्होंने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाएं विभिन्न प्रकार का व्यवसाय कर रही हैं. इनमें से इच्छुक समूह और ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव मंगाया गया था. जिन समूह को मिनी राइस मिल दिया गया है, वह अपना व्यवसाय आगे बढ़ा सकती हैं. पूरे 50 समूह को राइस मिल दिया जा चुका है. जल्द ही समूह की महिलाएं अपना व्यवसाय शुरू करेंगी.

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