भिलाई: शहर के सेक्टर- 4 स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा महोत्सव मनाई जा रही है. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गुरुवार को महाप्रभु जगन्नाथ का देवस्नान पूरे विधि विधान के साथ किया गया. भगवान जगन्नाथ को गर्भगृह से निकाल कर मंदिर के भीतर अस्थायी रूप से बनाए गए देव स्नान मंडप पर लाया गया. विधि-विधान के साथ भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र देव और बहन सुभद्रा को सुरक्षित जल से स्नान कराया गया. उसके बाद भगवान जगन्नाथ का गजराज भेष के रूप में श्रृंगार किया गया. देव स्नान के बाद भगवान के बीमार पड़ने के कारण उन्हें विश्राम के लिए अणसर गृह में स्थापित कर दिया गया है. महाप्रभु के बीमार पड़ने के बाद 9 जुलाई के नेत्र उत्सव तक भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पट बंद कर दिया गया. इस दौरान भगवान को स्वस्थ करने विभिन्न जड़ी बूटियों और दिव्य औषधियों का भोग लगाया जाएगा.
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9 जुलाई को नेत्र उत्सव का आयोजन
देव स्नान के बाद से भगवान जगन्नाथ के पट नेत्र उत्सव तक बंद कर दिए गए हैं. वहीं नेत्र उत्सव 9 जुलाई को मनाया जाएगा. उसके बाद भगवान के मंदिर का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. इसके साथ ही कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए 12 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर परिसर में ही रथयात्रा की रस्म अदायगी होगी.
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भिलाई में पिछले 51 साल मनाया जा रहा रथयात्रा
मिनी इंडिया भिलाई के सेक्टर 4 में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में पिछले 51 साल से रथयात्रा का भव्य आयोजन किया जा रहा है. हालांकि कोरोना के चलते पिछले साल की तरह इस बार भी रथयात्रा का आयोजन फीका पड़ गया है. मंदिर समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र सतपथी ने इस साल भी कोरोना की वजह से रथयात्रा का आयोजन नहीं होगा. 52वां रथयात्रा महोत्सव कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा.
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प्रभु नेत्रोत्सव के बाद जाएंगे मौसी घर
स्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं, जिससे मंदिर का पट अगले 14 दिनों तक बंद रहेगा. 9 जुलाई को नेत्रोत्सव की पूजा संपन्न होगी. वहीं 12 जुलाई को भगवान नए रूप में भक्तों को दर्शन देंगे और अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथारूढ़ होकर अपनी मौसी के घर घूमने जाएंगे
फैक्ट फाइल
- रथयात्रा सेक्टर 4 से सेक्टर 10 तक निकलती है.
- दो हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.
- पिछले 51 साल से हो रहा रथयात्रा का आयोजन.
- दुर्ग के अलावा अन्य शहरों से भी आते हैं श्रद्धालु.