दुर्ग: एशिया के सबसे बड़े जंगल सफारी (jungle safari) के बाद छत्तीसगढ़ के दुर्ग में मानव निर्मित जंगल बनाया जा रहा है. पर्यावरण प्रदूषण को कम करने बायोडायवर्सिटी वाले जगहों को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. भिलाई इस्पात संयंत्र के नंदिनी माइंस से लाइम स्टोन (Lime Stone) निकाले जाने के बाद अब यह जगह भिलाई इस्पात संयंत्र ( Bhilai Steel Plant ) के लिए बेकार हो गई है. लगभग ढाई हजार एकड़ वाले नंदिनी माइंस को एक पर्यटन क्षेत्र का रूप देने की कोशिश की जा रही है. जिसे लेकर दुर्ग वन विभाग ने BSP प्रबंधन से एनओसी की मांग की है.
शहर के बीच में होगा जंगल का एहसास, ओपन थियेटर की भी होगी शुरुआत
दुर्ग जिले अहिवारा क्षेत्र में बीएसपी के नन्दिनी माइंस (Nandini Mines )में लाइम स्टोन खत्म होने की कगार पर है. लगभग 50 साल के खनन के बाद भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए अब यह भूमि बेकार हो चुकी है, लेकिन लाइम स्टोन खत्म होने के बाद अब इस जगह को एक जंगल के रूप में डेवलप करने की तैयारी वन विभाग ने की है.
इसके लिए लगभग 17 किलोमीटर के एरिया की फेसिंग की जाएगी. खनन के कारण इस क्षेत्र में कई खदान है. जिसमें पानी भरे है. वहीं, जंगल व पानी की उपलब्धता होने के कारण चीतल, हाइना व रेक्टाइल्स प्रजाति के जीव, कई प्रजाति के पक्षी यहां पाए जाते है.
GOOD NEWS: छत्तीसगढ़ के इस जिले में बनेगा दूसरा सबसे बड़ा जंगल सफारी
जलाशयों में भरा पानी यहां आने वालों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. वन विभाग ने इसके लिए बीएसपी प्रबंधन से NOC की मांग की है. भिलाई इस्पात संयंत्र इस पर सकारात्मक सहयोग के लिए आगे आ रहा है. जिससे क्षेत्र में जैव विविधता और पर्यटन के रूप में विकसित हो सके. पर्यटन क्षेत्र में विकसित होने से दुर्ग, भिलाई, बेमेतरा, रायपुर, राजनांदगांव जिले के लोगों को यहां पर्यटन के लिए एक नई जगह के रूप में प्राकृतिक जैव विविधता का लाभ मिलेगा.
दुर्ग वनमंडलाधिकारी धम्मशील गणवीर ने बताया कि इस मानव निर्मित जगंल में विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाने की वजह से अच्छा प्राकृतिक वातावरण विकसित होगा. यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए जाएंगे. जिनकी उम्र काफी ज्यादा होती है. साथ ही देसी प्रजाति के जैसे हर्रा, बहेड़ा, महुवा, साल औषिधि पौधे भी लगाए जाएंगे. सेंट्रल बेल्ट में साल के पौधे नहीं पाए जाते है. क्षेत्र में पहली बार इस तरह के प्रयोग होगा. साल के पौधे बस्तर, सरगुजा क्षेत्र में पाए जाते है.
पक्षियों के लिए होगा बसेरा
पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया कि यह पक्षियों के लिए आदर्श रहवास बने बन सके. पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां एक बहुत बड़ा वेट लैंड है. जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्क प्रजाति के पक्षी पाए जाते है. यहां पर झील को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके साथ ही मानव निर्मित जंगल घूमने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी.
इस मानव निर्मित जगंल में 885 एकड़ में 80 हजार से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे. करोड़ की लागत से 5 सालों में देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल विकसित किया जाएगा. पहली बार साल के पौधो का भी प्लांटेशन किया जाएगा.
छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर में एशिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी (Asia's largest jungle safari) स्थित है. नंदनवन जंगल सफारी 800 एकड़ के क्षेत्रफल में मानव निर्मित जू है. सफारी में टाइगर, हिरण, हर्बीवोर और लॉयन सफारी शामिल है. इसमें 131 एकड़ में खंडवा जलाशय फैला हुआ है, जो सफारी की खुबसूरती में चार चांद लगाता है.