दुर्ग: चिटफंड कंपनियों द्वारा निवेशकों के रकम को दोगुना करने का झांसा देकर निवेश किया गया. लेकिन जब निवेशकों को पैसे लौटाने की बात कही गई तब कंपनी रफूचक्कर हो गई. इस खेल में कई निवेशकों को करोड़ों का चूना लगाया गया. जांच में पता चला कि, जहां उन्होंने रकम निवेश किया है. वह कंपनी फ्रॉड है. लेकिन जमा राशि लौटने का समय आया तब निवेशकों को जानकारी लगी कि जिस कंपनी के रकम निवेश किये वह ठगों की कंपनी है. 15 साल तक बीजेपी के शासनकाल में चिटफंड कंपनियों से पैसे वापस मिलने की कोई संभावना नहीं दिखी. उसके बाद कांग्रेस जब सत्ता में आई तो उन्हें रकम वापसी दिलाने का भरोसा दिया. अब कांग्रेस सरकार की तरफ से पैसे भरवाए जा रहे हैं.
जिले में जिन निवेशकों का रकम चिटफंड कंपनी में है. उन सभी लोगों को नए सिरे से आवेदन जमा कराए गए हैं. जिले में 2 अगस्त से 20 अगस्त तक आवेदन जमा किया गया. जिसमें 1 लाख 64 हजार से अधिक लोगों ने पैसे वापसी के लिए आवेदन जमा किये हैं. वर्ष 2015 से 2018 के बीच जिले में 40 चिटफंड कंपनियों ने निवेशकों से करीब 100 करोड़ से ज्यादा का रकम पार कर दिया. जिले में 78 मामले फर्जी कंपनी संचालकों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं. उनमें से अब तक केवल 1 मामले में 16 लाख रुपए की संपत्ति निवेशकों को लौटाए गए हैं.
दुर्ग जिले के निवेशकों की संख्या और आवेदन
जिला मुख्यालय- 17 हजार
दुर्ग तहसील- 84 हजार 194
धमधा तहसील- 3 हजार 137
पाटन तहसील- 41 हजार 509
बोरी तहसील- 5 हजार 315
अहिवारा उपतहसील- 13 हजार 322
कुल टोटल- 1 लाख 64 हजार 477