दुर्ग: अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए कैसे जिया जाता है, ये मिनी इंडिया कहे जाने वाले भिलाई के जिंदादिल युवाओं के इस ग्रुप से सीखिए. जो कोरोना से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में असहाय और बेसहारा लोगों की भूख मिटा रहे हैं. शहर में कोई भूखा ना सोए इसे युवाओं ने जिंदगी का मकसद बना लिया है. रोजाना कई असहाय लोगों को निशुल्क भोजन वितरण किया जा रहा है.
भिलाई के युवाओं की ये टोली सड़क किनारे और अस्पतालों के आसपास असहाय लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध करा रही है. युवाओं ने पिछले लॉकडाउन में असहाय लोगों के दर्द को देखकर इस लॉकडाउन में भोजन वितरण करने का फैसला लिया. इन युवाओं को लगभग 1 महीने से अधिक वक्त हो गया है, गरीब तबके के लोगों की मदद में लगे हुए हैं. ये युवा सिर्फ जरूरमंद लोगों को भोजन वितरण ही नहीं करती बल्कि फल,मास्क के साथ-साथ ट्रैफिक सुरक्षा में तैनात जवानों को पानी का भी वितरण कर रही है.
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ये युवा रोजाना 200 से 300 लोगों का भोजन लेकर गाड़ी से निकलते हैं. भिलाई के विभिन्न चौक-चैराहों पर जाकर भोजन वितरण करते हैं. ये सभी पॉवर हाउस,सुपेला चौक,नेहरू नगर होते हुए दुर्ग पहुंचते है. इन युवाओं की टोली में लगभग 20 से 22 लोग है जो असहाय लोगों की मदद में लगे हुए हैं.
टीम का नाम 'मिशन कर्तव्य'
इस टोली को लीड कर रहे रोहित तिवारी ने बताया कि अपनी जान की परवाह किए बिना युवाओं की टोली भोजन बांटने का काम कर रही है. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा गरीब लोग ही परेशान हो रहे हैं. रोजाना खाने कमाने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रोजाना 200 से 300 लोगों को निशुल्क भोजन विरतण किया जाता है. रोहित ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में प्रशासन की ओर से भोजन की व्यवस्था कराई गई थी, लेकिन इस बार लोग भोजन के लिए तरस रहे थे, उनसे यह देखा नहीं गया और युवाओं की टोली तैयार कर इस काम का नाम मिशन कर्तव्य दिया गया. राज्य सरकार दावा तो जरूर कर रही है कि भूखों को भोजन दिया जा रहा है लेकिन धरातल पर इन असहाय लोगों की किसी ने मदद नहीं की. बहरहाल, मिशन कर्तव्य की टीम ने जो जिम्मा उठाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है.