दुर्ग : प्रदेश की पहली महिला अग्निवीर हिषा बघेल रविवार को अपने गांव बोरिगारका पहुंची. जैसे ही दुर्ग स्टेशन पर हिषा उतरीं, उनके परिजन रोड शो निकालते हुए उन्हें गांव तक ले आए. हर जगह पर हिषा का जोरदार स्वागत किया गया. हिषा के पिता की अंतिम इच्छा थी कि बेटी जब ट्रेनिंग करके वापस आए तो गांव में जुलूस निकले. उनकी इस इच्छा को गांववालों ने पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
वर्दी में देखने से पहले ही पिता की मौत : हिषा जिस पिता का सपना पूरा करने घर से निकली थी. जब वह घर पहुंची तो उसके सिर से पिता का साया उठ चुका था. हिषा के पिता को कैंसर था. उसकी ट्रेनिंग के दौरान ही पिता की मौत हो गई थी, लेकिन इसकी सूचना हिषा को नहीं दी गई. जब हिषा घर पहुंची तो नजारा भावुक था. दरवाजे पर पिता की तस्वीर पर फूल देखकर उसके आंसू नहीं रुके. अपनी मां को गले लगाकर हिषा फूट-फूटकर रोई.
मेहनत से पाई सफलता : बोरीगारका की हिषा बघेल अब एक मिसाल के रूप में पहचानी जा रही हैं. गांव के शासकीय स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के बाद हिषा उतई महाविद्यालय में पहुंचकर सबसे पहले एनसीसी कैडेट बनीं. इसके बाद हिषा ने देश की सुरक्षा का प्राण लेकर सेना में जाने के लिए अपनी तैयारियां शुरू की. हिषा ने गांव के ही मैदान में लड़कों के साथ दौड़ना शुरू किया. इसके बाद सितंबर 2022 को नौसेना में अग्निवीर योजना के तहत भर्ती के लिए आवेदन किया. हिषा अपने फिटनेस के कारण नौसेना में सेलेक्ट हो गईं.
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आर्थिक कमजोरी से नहीं टूटा परिवार : परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी हिषा के पिता संतोष बघेल अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नही छोड़ी है. हिषा के पिता पिछले 12 सालों से कैंसर जैसे कभी बीमारी से जूझ रहे हैं. उनके इलाज और बच्चों की पढ़ाई के लिए जमीन और अपनी जीवन यापन करने वाले ऑटो को भी बेच दिया. वहीं हिषा घर का खर्च पूरा करने के लिए घर पर ही ट्यूशन लेती थीं. अब हिषा अग्निवीर बन चुकी हैं. पिता के सपने को साकार करने वाली बेटी को अब अपने पिता के नहीं होने का गम है.