दुर्ग: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अपनी पढ़ाई छोड़कर छत्तीसगढ़ आए छात्रों की चिंताएं बढ़ने लगी है कि आखिरकार उनकी पढ़ाई अब पूरी कैसे होगी. क्या एमबीबीएस की पढ़ाई कर एक अच्छा डॉक्टर बनने का उनका सपना अधूरा ही रह जाएगा. ऐसे में अब परिजन मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर गुहार लगा रहे हैं. यूक्रेन में हो रहे इस युद्ध का नुकसान उन्हें भी झेलना पड़ेगा क्योंकि अब मेडिकल की आगे की पढ़ाई वे बच्चे कहां करेंगे ? कैसे उनका रजिस्ट्रेशन होगा ? कुछ भी नहीं पता.
सताने लगी मेडिकल छात्रों की भविष्य: लगभग 14000 छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. जिनमें से लगभग ढाई सौ छात्र छत्तीसगढ़ के भी हैं. जिसमें से सबसे अधिक 50 छात्र दुर्ग जिले के हैं. मेडिकल की पढ़ाई का सपना संजोए छात्र यूक्रेन पहुंचे. लेकिन रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच उनका करियर दांव पर लग गया है. अब उन्हें अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. माता-पिता भी बच्चों के करियर को लेकर परेशान है. कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने जिंदगी भर की कमाई बच्चों को पढ़ाई में लगा दी है.
यह भी पढ़ें: ईटीवी भारत से यूक्रेन में पढ़ रहे बच्चों ने की बात...यहां सबकुछ सामान्य, चिंता की कोई बात नहीं
केंद्रीय मंत्री से होगी बातचीत: इस विषय में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री से इस विषय पर चर्चा की है. उनसे मुलाकात कर छात्रों के भविष्य के बारे में विचार करने की अपील की है. भिलाई के जामुल में रहने वाले आदित्य शर्मा के पिता एसीसी सीमेंट में कार्यरत है. बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना संजोय विदेश भेजा लेकिन अब पढ़ाई अधूरी रह गई है. आदित्य अब अपने आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित है कि आखिर अब उनके कैरियर का क्या होगा ?
उन्होंने कहा कि 5-6 देशों को छोड़कर एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों का सीधे भारत में एमबीबीएस की डिग्री का रजिस्ट्रेशन हो जाता है. उन्होंने कहा कि मैंने केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री से छत्तीसगढ़ से बाहर गए छात्रों के लिए बात की है. इनके लिए भी व्यवस्था की जानी चाहिए. मैने मांग की है कि जिन छात्रों ने एमबीबीएस कर लिया है. उनकी स्क्रीनिंग टेस्ट लेकर उनका रजिस्ट्रेशन कर लीजिए और जिनका कोर्स अधूरा है. उन्हें देश के प्राइवेट और पब्लिक मेडिकल कालेज में उसी ईयर में प्रवेश दे दीजिए.