दुर्ग: लॉकडाउन के चलते किसानों के लिए पहले ही सब्जी बड़ियों को बचाना मुश्किल कर दिया. जिसके बाद किसानों ने जैसे-तैसे फसलों का रख रखाव किया ताकि कुछ पैसे आ जाएं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से मुनाफा तो दूर किसानों को फसलों की लागत और मजदूरी निकालना भी मुश्किल हो गया है. नतीजा यह है कि ज्यादातर सब्जी बड़ियों को किसनों ने अब भगवान भरोसे छोड़ दिया है.
कुछ किसानों ने अपनी फसलों को जानवरों के हवाले कर दिया है. किसान जानवरों को फसल चराने में लगा रहे हैं. वहीं ज्यादातर किसान खेत की जुताई कर फसलों को नष्ट कर रहे हैं. सब्जी बाड़ियों की बात करें तो लॉकडाउन के बाद पहले पखवाड़े में मजदूरों की कमी का सामना कर फसलों को सहजने वाले किसानों को अब तक फसलों का सही दाम नहीं मिल पाया है.
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कॉलम पद्धति से कर रहे खेती
किसान प्रभात पडियार का कहना है कि 'हम कॉलम पद्धति से नए तरह के पौधे तैयार कर रहे हैं. जिसके लिए हमें उन पौधों को ऐसी जगह पर रखना पड़ता है, जहां पर उसकी ह्यूमिडिटी और टेंपरेचर मेंटेन रहे. साथ ही उनसे नए तरह के पौधों का निर्यात किया जा सकें.
खर्च निकालना हो रहा मुश्किल
किसानों का कहना है कि 'फसलों के रख-रखाव, लागत, तोड़ाई और ढुलाई जैसे खर्च वर्तमान स्थिति में निकालना मुमकिन नहीं है. ऐसी स्थिति में फसलों को तबाह कर देना ही सही है. किसानों ने बताया कि फसलों की इतनी कम कीमत कभी नहीं थी. सब्जियों के दामों में थोड़ी बढ़ोत्तरी की संभावना थी लेकिन बाहरी आवक के कारण किसान तबाह हो गए हैं.