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दुर्ग: किसान ने की आत्महत्या, कृषि मंत्री ने दिया जांच का आश्वासन - Durg Agriculture Department action

दुर्ग के ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मातरोडीह गांव में एक किसान ने खुदकुशी कर ली. इस मामले में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने जांच की बात कही थी. वहीं मंगलवार को कृषि विभाग ने कार्रवाई करते हुए 3 कृषि केंद्रों को भी सील कर दिया है. बताया जा रहा है कि मृतक किसान ने इन्हीं दुकानों से दवाई ली थी.

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किसान आत्महत्या मामला
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Published : Oct 5, 2020, 12:39 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 10:51 AM IST

दुर्ग: जिले के दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मातरोडीह गांव के किसान की खुदकुशी के मामले में मंगलवार को कृषि विभाग ने कार्रवाई करते हुए 3 कृषि केंद्रों को सील कर दिया है. जानकारी के मुताबिक मृतक किसान ने इन्हीं दुकानों से दवाई ली थी. यह पूरी कार्रवाई संयुक्त संचालक के नेतृत्व में की गई है.

बता दें कि सोमवार को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस मामले में जांच की बात कही थी. कृषि मंत्री ने कहा था कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने आगे कहा था कि मृतक किसान के परिवार को मुआवजा देने पर विचार किया जाएगा. साथ ही ये भी कहा था कि किसान के परिजनों से मिलने वे खुद दुर्ग जाएंगे.

मृतक के पास से सुसाइड नोट बरामद

बता दें कि सोमवार को दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मातरोडीह गांव में सोमवार को किसान ने फसल खराब होने से परेशान होकर अपने ही खेत के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.पुलिस के मुताबिक मृतक के पास से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें किसान ने आत्महत्या का कारण लिखा है. किसान ने अपने पत्र में लिखा है कि इस साल उसकी काफी अच्छी फसल हुई थी, लेकिन कुछ दिन बाद फसल में बीमारी लग गई, जिसकी वजह से उसने 3 बार दवाईयों का छिड़काव किया. इसके बावजूद फसल से बीमारी दूर नहीं हुई और फसल खराब हो गई. जिससे वो परेशान होकर आत्महत्या कर रहा है.

फसल खराब होने के बाद की खुदकुशी

सूचना के बाद मचांदुर चौकी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी थी. मृतक किसान की शिनाख्त मातरोडीह गांव के दुर्गेश निषाद के रूप में की गई थी. जानकारी के मुताबिक किसान ने 5 एकड़ में धान की फसल लगाई थी. प्रदेश सरकार भले ही किसानों के हित के लिए अनेकों प्रयास कर रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

साल 2019 में 43 हजार किसान और दिहाड़ी मजदूरों ने की आत्महत्या

भारत में 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2019 में करीब 43,000 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की. साल के दौरान देशभर में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की.

पढ़ें: बिलासपुर: महिला ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, कारण अज्ञात

NCRB आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कृषि क्षेत्र से जुड़ें 10,281 लोगों (जिसमें 5,957 किसान और 4,324 खेतिहर मजदूर शामिल हैं) ने खुदकुशी की. यह संख्या देश में 2019 के आत्महत्या के कुल 1,39,123 मामलों का 7.4 प्रतिशत है. इससे पहले 2018 में खेती किसानी करने वाले कुल 10,349 लोगों ने आत्महत्या की थी. यह संख्या उस साल के कुल आत्महत्या के मामलों का 7.7 प्रतिशत थी.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किया आंकड़ा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले, एनसीआरबी ने कहा कि वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वाले 5,957 किसानों में से 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थीं. वहीं वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वाले कुल 4,324 खेतिहर मजदूरों में से, 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थी.

आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा यहां के किसान शामिल

आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र से (38.2 प्रतिशत), कर्नाटक (19.4 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (5.3 प्रतिशत) छत्तीसगढ़ और तेलंगाना (4.9 प्रतिशत प्रत्येक) से हैं.

दुर्ग: जिले के दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मातरोडीह गांव के किसान की खुदकुशी के मामले में मंगलवार को कृषि विभाग ने कार्रवाई करते हुए 3 कृषि केंद्रों को सील कर दिया है. जानकारी के मुताबिक मृतक किसान ने इन्हीं दुकानों से दवाई ली थी. यह पूरी कार्रवाई संयुक्त संचालक के नेतृत्व में की गई है.

बता दें कि सोमवार को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस मामले में जांच की बात कही थी. कृषि मंत्री ने कहा था कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने आगे कहा था कि मृतक किसान के परिवार को मुआवजा देने पर विचार किया जाएगा. साथ ही ये भी कहा था कि किसान के परिजनों से मिलने वे खुद दुर्ग जाएंगे.

मृतक के पास से सुसाइड नोट बरामद

बता दें कि सोमवार को दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मातरोडीह गांव में सोमवार को किसान ने फसल खराब होने से परेशान होकर अपने ही खेत के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.पुलिस के मुताबिक मृतक के पास से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें किसान ने आत्महत्या का कारण लिखा है. किसान ने अपने पत्र में लिखा है कि इस साल उसकी काफी अच्छी फसल हुई थी, लेकिन कुछ दिन बाद फसल में बीमारी लग गई, जिसकी वजह से उसने 3 बार दवाईयों का छिड़काव किया. इसके बावजूद फसल से बीमारी दूर नहीं हुई और फसल खराब हो गई. जिससे वो परेशान होकर आत्महत्या कर रहा है.

फसल खराब होने के बाद की खुदकुशी

सूचना के बाद मचांदुर चौकी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी थी. मृतक किसान की शिनाख्त मातरोडीह गांव के दुर्गेश निषाद के रूप में की गई थी. जानकारी के मुताबिक किसान ने 5 एकड़ में धान की फसल लगाई थी. प्रदेश सरकार भले ही किसानों के हित के लिए अनेकों प्रयास कर रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

साल 2019 में 43 हजार किसान और दिहाड़ी मजदूरों ने की आत्महत्या

भारत में 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2019 में करीब 43,000 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की. साल के दौरान देशभर में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की.

पढ़ें: बिलासपुर: महिला ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, कारण अज्ञात

NCRB आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कृषि क्षेत्र से जुड़ें 10,281 लोगों (जिसमें 5,957 किसान और 4,324 खेतिहर मजदूर शामिल हैं) ने खुदकुशी की. यह संख्या देश में 2019 के आत्महत्या के कुल 1,39,123 मामलों का 7.4 प्रतिशत है. इससे पहले 2018 में खेती किसानी करने वाले कुल 10,349 लोगों ने आत्महत्या की थी. यह संख्या उस साल के कुल आत्महत्या के मामलों का 7.7 प्रतिशत थी.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किया आंकड़ा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले, एनसीआरबी ने कहा कि वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वाले 5,957 किसानों में से 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थीं. वहीं वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वाले कुल 4,324 खेतिहर मजदूरों में से, 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थी.

आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा यहां के किसान शामिल

आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र से (38.2 प्रतिशत), कर्नाटक (19.4 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (5.3 प्रतिशत) छत्तीसगढ़ और तेलंगाना (4.9 प्रतिशत प्रत्येक) से हैं.

Last Updated : Oct 6, 2020, 10:51 AM IST
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