भिलाई : पितृपक्ष में एक तरफ जहां लोग अपने पूर्वजों का तर्पण करने के लिए नदी और तालाब किनारे इकट्ठा हो रहे हैं.वहीं दूसरी तरफ भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम के अस्थि कलश कक्ष में 40 से ज्यादा अस्थि कलश विसर्जन की राह तक रहे हैं.कुछ अस्थि कलश 20 साल से ज्यादा पुराने हैं.जिससे जुड़ी खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. खबर दिखाए जाने के बाद अब समाज सेवी संस्था दिव्य ज्योति सेवा समिति ने अस्थि कलशों को विसर्जित करने का बीड़ा उठाया है.इन अस्थि कलशों को विसर्जित करने की कागजी कार्रवाई संस्था ने पूरी कर ली है.
अस्थि विसर्जन के लिए पितृपक्ष है सही समय : दिव्य ज्योति सेवा समिति के प्रमुख मदन सेन ने बताया कि अभी पितृपक्ष चल रहा है. अस्थि कलशों के विसर्जन के लिए आयुक्त से अनुमति मांगी गई हैं.उनकी अनुमति के बाद अस्थियों को प्रवाहित करने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी.अस्थियों को पूरे विधि विधान और हिन्दू रीति रिवाज से विसर्जित किया जाएगा.
''अस्थि विसर्जन के लिए तीर्थ राजिम और संकरदाहरा का विकल्प रखा गया हैं.इसके लिए साल 2014 में ही मांग की गईं थी.लेकिन निगम प्रशासन ने दिवंगतों के परिजनों को एक बार सूचना देने को कहा था. 9 साल बाद फिर से आवेदन किया है.'' मदन सेन,प्रमुख , दिव्य ज्योति सेवा समिति
ईटीवी भारत के माध्यम से हुई जानकारी : वहीं दिव्य ज्योति सेवा समिति के अध्यक्ष प्रकाश देवांगन का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से हमें पता चला था कि रामनगर मुक्तिधाम में कई वर्षों से अस्थि कलश रखे हुए हैं. हमारी समिति ने काफी प्रयास किया. अब विधि विधान के साथ अस्थि कलशों को विसर्जित करने की तैयारी है.
20 साल से मुक्ति का इंतजार कर रहे हैं अस्थि कलश : मुक्तिधाम के केयरटेकर कृष्ण देशमुख का कहना है कि सुपेला मुक्तिधाम में 40 अस्थि कलश रखे हैं. इनमें से 15 अस्थि कलश साल 2004 से पहले के हैं. 9 अस्थि कलश ऐसे हैं जिनकी जानकारी नहीं है.
'' बहुत सारे अस्थि कलश में नाम पता कुछ अंकित नहीं है,जो हैं वो मिट गए हैं. जिन लोगों का नाम हैं उन परिवार वालों से अपील करते हैं कि आकर अस्थि कलश ले जाएं, एक परिवार से जुड़े लोग अपना कलश लेकर गए हैं.'' कृष्ण देशमुख, केयर टेकर रामनगर मुक्तिधाम
क्या है हिंदू धर्म में मान्यता ? : हिंदू रीति रिवाज के अनुसार व्यक्ति के मृत होने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को इकट्ठा करके विधि विधान से गंगा या पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है.लेकिन रामनगर मुक्तिधाम में पिछले 20 साल में 40 से ज्यादा अस्थि कलश मुक्ति का इंतजार कर रहे हैं.इन अस्थि कलशों को विसर्जित करने के लिए कई बार परिवार के लोगों को मैसेज भेजे गए.लेकिन किसी ने भी विसर्जन को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई.लिहाजा अब समाज सेवी संस्था अनुमति मिलने के बाद अस्थियों को विसर्जित करेगी.