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Durg police making digital database of criminals: दुर्ग पुलिस बना रही गुंडे बदमाशों को डिजिटल कुंडली, केस साल्व करने में मिलेगी मदद - पुलिस छत्तीसगढ़

दुर्ग जिले के पुलिस छत्तीसगढ़ के सबसे हाईटेक पुलिस मानी जाती है. तरह-तरह के डिजिटल वेरिएशन का उपयोग कर पुलिस जिले के अपराध को सुलझा रही है. इसी कड़ी में दुर्ग पुलिस ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला है. जिससे आसानी से बदमाशों तक पहुंचा जा सकेगा.

Durg police making digital database of criminals:
अपराधियों का डिजिटल डाटाबेस बना रही दुर्ग पुलिस
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Published : Jan 26, 2023, 11:00 PM IST

अपराधियों का डिजिटल डाटाबेस बना रही दुर्ग पुलिस

दुर्ग: पुलिस ने शहर के गुंडे बदमाशों को डिजिटल कुंडली बनाना शुरू कर दिया है. बदमाशों का डेटाबेस को आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा. जिससे बदमाशों का सही नाम पता समेत अन्य जानकारी आसानी से मिल जाएगी. अब तक पुलिस गुंडे बदमाशों का ऑफलाइन रिकॉर्ड कर रही है. इसके लिए पुलिस दूसरे का उपयोग करते हैं. अब कंट्रोल रूम में निगरानी बदमाश ऑनलाइन फिंगरप्रिंट लिया जा रहा है. जिसे वारदात होने पर उनकी पहचान आसानी से की जा सके, दुर्ग जिले के सुपेला और स्मृति नगर पुलिस चौकी के लिस्टेड बदमाशों से इसकी शुरुआत की गई है.

ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन का हो रहा इस्तेमाल: डेटाबेस इकट्ठा करने के लिए इसके लिए नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है. इस सिस्टम की मदद से दूसरे राज्यों से आकर वारदात करने वालों का भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा. शहर के छोटे बड़े बदमाशों का फिंगरप्रिंट भी लिया जा रहा है.

पुलिस को कार्रवाई में मिलेगी मदद: पिछले कुछ सालों से अचानक दूसरे राज्यों से आकर वारदात करने वाले गुंडा बदमाशों की तादाद में बढ़ोतरी हुई है. जिस कारण पुलिस को वारदात को सुलझाने में तो आसानी मिल जाती है. लेकिन अपराधी नहीं मिल पाते इसके लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसलिए पुलिस ने आसान और डिजिटल तरीका अपनाया है.

यह भी पढ़ें: Durg crime news: गाड़ी में नीली बत्ती लगाकर चोरी करता था गिरोह, पुलिस ने किया खुलासा

डेटाबेस से केस साल्व करने में मिलेगी मदद: सीएसपी भिलाई नगर निखिल राखेजा ने बताया कि NCRB का एक सिस्टम है ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम. जिसमें डेटाबेस बनाया जा रहा है. अभी भिलाई डिविटन में जितने भी गुंडा बदमाश हैं उन सब का एक डेटाबेस बनाया जा रहा है. जिसमें फिंगरप्रिंट और फोटो होगी. इससे आसानी यह होगी कि जब भी हम किसी क्राइम सीन में फिंगरप्रिंट कलेक्ट करते हैं. उसे डेटाबेस से मैच कर आरोपी की पहचान की जा सकेगी. ऐसा करने से अपराधियों में भी भय रहेगा किसी वारदात को अंजाम देने से पहले."

अपराधियों का डिजिटल डाटाबेस बना रही दुर्ग पुलिस

दुर्ग: पुलिस ने शहर के गुंडे बदमाशों को डिजिटल कुंडली बनाना शुरू कर दिया है. बदमाशों का डेटाबेस को आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा. जिससे बदमाशों का सही नाम पता समेत अन्य जानकारी आसानी से मिल जाएगी. अब तक पुलिस गुंडे बदमाशों का ऑफलाइन रिकॉर्ड कर रही है. इसके लिए पुलिस दूसरे का उपयोग करते हैं. अब कंट्रोल रूम में निगरानी बदमाश ऑनलाइन फिंगरप्रिंट लिया जा रहा है. जिसे वारदात होने पर उनकी पहचान आसानी से की जा सके, दुर्ग जिले के सुपेला और स्मृति नगर पुलिस चौकी के लिस्टेड बदमाशों से इसकी शुरुआत की गई है.

ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन का हो रहा इस्तेमाल: डेटाबेस इकट्ठा करने के लिए इसके लिए नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है. इस सिस्टम की मदद से दूसरे राज्यों से आकर वारदात करने वालों का भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा. शहर के छोटे बड़े बदमाशों का फिंगरप्रिंट भी लिया जा रहा है.

पुलिस को कार्रवाई में मिलेगी मदद: पिछले कुछ सालों से अचानक दूसरे राज्यों से आकर वारदात करने वाले गुंडा बदमाशों की तादाद में बढ़ोतरी हुई है. जिस कारण पुलिस को वारदात को सुलझाने में तो आसानी मिल जाती है. लेकिन अपराधी नहीं मिल पाते इसके लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसलिए पुलिस ने आसान और डिजिटल तरीका अपनाया है.

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डेटाबेस से केस साल्व करने में मिलेगी मदद: सीएसपी भिलाई नगर निखिल राखेजा ने बताया कि NCRB का एक सिस्टम है ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम. जिसमें डेटाबेस बनाया जा रहा है. अभी भिलाई डिविटन में जितने भी गुंडा बदमाश हैं उन सब का एक डेटाबेस बनाया जा रहा है. जिसमें फिंगरप्रिंट और फोटो होगी. इससे आसानी यह होगी कि जब भी हम किसी क्राइम सीन में फिंगरप्रिंट कलेक्ट करते हैं. उसे डेटाबेस से मैच कर आरोपी की पहचान की जा सकेगी. ऐसा करने से अपराधियों में भी भय रहेगा किसी वारदात को अंजाम देने से पहले."

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