दुर्ग: मुख्यमंत्री के गृह जिले का जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते मरीजों को तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. और तो और मरीज इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचता है तो यहां उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. इसे लेकर मरीजों के परिजनों ने नाराजगी जाहिर की है.
जिला अस्पताल की रूटीन ओपीडी दिन में एक ही बार खुलती है. अस्पताल प्रबंधन ने कुछ दिनों के लिए रूटीन ओपीडी को एक टाइम खोलने का फैसला लिया है. ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हो इसलिए इसे एक टाइम खोलने का फैसल लिया गया है. कुछ दिनों से अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ जुट रही थी. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो रहा था. कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए अस्पताल ने ये फैसला लिया है.
अच्छा नहीं है डॉक्टरों का व्यवहार
जिला अस्पताल में पहुंचाने वाले मरीजों और उनके परिजनों से ETV भारत ने चर्चा की और उनसे अस्पताल की व्यवस्था की जानकारी ली. परिजनों ने बताया कि व्यवस्था में किसी तरह की कमी नहीं है. लेकिन यहां डॉक्टरों का व्यवहार सही नहीं है. वहीं मरीजों का कहना है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के साथ ही गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था भी जिला अस्पताल में की जानी चाहिए. ताकि गरीब और जरुरतमंद लोगों को शासकीय सुविधाओं का फायदा मिल सके.
कोरोना की वजह से एक समय खुल रहा ओपीडी
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. पी. बालकिशोर ने बताया कि कोरोना काल में आने वाले मरीजों को किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए रूटीन ओपीडी के काउंटर को एक समय खोलने का फैसला लिया गया है. मरीजों को कोरोना काल से बचाव के लिए यह कदम उठाया गया है.
सभी का व्यवहार खराब नहीं हो सकता: पी. बालकिशोर
डॉक्टरों के दुर्व्यवहार को लेकर उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में 5 प्रतिशत डॉक्टरों का व्यवहार खराब हो सकता है. लेकिन 95 प्रतिशत डॉक्टरों का व्यवहार ठीक है. जो मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं उनको आगामी समय में सुधार लिया जाएगा. ताकि जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों और डॉक्टरों के बीच संबंध अच्छे हों.