दुर्ग: दुर्ग जिले में नए एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव की तैनाती होने के बाद क्राइम और सायबर यूनिट गठन को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई. दो महीने पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी किया गया था. मौजूदा आईजी बद्री नारायण मीणा के एसएसपी रहते दिलचस्पी नहीं लेने से दुर्ग में क्राइम और सायबर यूनिट के गठन की प्रक्रिया अटकी हुई है. प्रदेश में दुर्ग समेत रायपुर और बिलासपुर में क्राइम एवं सायबर यूनिट गठन करने को लेकर 4 मार्च 2022 को आदेश जारी किया गया है. इस आदेश का परिपालन दुर्ग जिले में अब तक नहीं किया जा सका है. यह आदेश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जारी किया गया है.
आदेश जारी होने के बाद भी नहीं हुआ गठन: बताते हैं कि दुर्ग जिले में क्राइम और सायबर यूनिट गठन को लेकर आदेश जारी हुआ था. तब पदोन्नति समिति ने तात्कालीन एसएसपी बद्री नारायण मीणा को आईजी के पद पर पदोन्नत किए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी थी. ऐसे में जिले से उनका तबादला एक तरह से तय हो गया था. पुलिस महकमे में चर्चा है कि अपना तबादला तय मानकर एसएसपी रहते दुर्ग रेंज के मौजूदा आईजी बद्री नारायण मीणा ने क्राइम और सायबर यूनिट गठन को लेकर खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके साथ ही नए एसपी के आने पर ही इसके गठन की संभावना बन गई थी.
एसपी अभिषेक पल्लव ने दिखाई दिलचस्पी: अब दुर्ग जिले में नए एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने पदभार ग्रहण करने के बाद थानों का निरीक्षण शुरू कर दिया है तो शीघ्र ही क्राइम एवं सायबर यूनिट के गठन की संभावना उभरने लगी है. इसके साथ ही थानों में तैनात पुलिस अधिकारी क्राइम और सायबर यूनिट में शामिल होने की अंदरूनी कवायद में जुट गए हैं. हालांकि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद क्राइम ब्रांच को भंग करने की व्यवस्था की गई. व्यवस्था के तहत अघोषित रूप से सिविल टीम बनाकर बड़े और अनसुलझे मामलों में आरोपियों को दबोचने की जिम्मेदारी दी गई है.
अपराधियों पर पुलिस का खौफ हुआ कम: लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस की सिविल टीम का अपराधियों पर क्राइम ब्रांच की तरह खौफ नहीं बन पाया है. क्राइम ब्रांच को भंग करने के साथ ही अपराधियों में पुलिस का खौफ कम हो गया था. इस दौरान भिलाई-दुर्ग शहरी क्षेत्र में लगातार होने वाली बड़ी वारदातों से यह साबित भी हो गया. क्राइम ब्रांच को भंग करने के बाद सभी तरह के मामलों पर जांच और कार्रवाई की जिम्मेदारी क्षेत्र के थानों की पुलिस को दी गई थी. लेकिन पेशेवर अपराधियों पर थानों की पुलिस न तो अंकुश लगा पा रही थी और न ही अपराधी तत्वों में किसी तरह का खौफ दिख रहा था.
दुर्ग में बढ़े मर्डर के मामले: यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि दुर्ग जिला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का गृह जिला है. दुर्ग में हाल के दिनों में हत्या के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसके चलते सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है. वीआईपी जिला होने से पुलिस को अतिरिक्त जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ता है. पहले जब क्राइम ब्रांच हुआ करती थी तब किसी भी थाना क्षेत्र में घटित बड़े और अनसुलझे वारदात में उसकी प्रत्यक्ष भूमिका रहती थी. इससे थानों की पुलिस को राहत थी. लेकिन क्राइम ब्रांच भंग होने के बाद थानों की पुलिस पर एक तरह से अतिरिक्त बोझ आ गया . इसका फायदा अपराधियों को मिलने से लगातार अपराध घटित हो रहा है.