दुर्ग: गणतंत्र दिवस पर देश की जानी-मानी कई हस्तियों को सम्मानित करने का फैसला किया गया है. कला के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर चुके भिलाई के पंथी नृत्य के कलाकार राधेश्याम बारले को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. इस सम्मान से छत्तीसगढ़ के कला क्षेत्र में खुशी की लहर है. राधेश्याम बारले 40 साल से पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा घासीदास के उपदेश, संदेश, भाईचारा, सत्य-अहिंसा और मनके-मनके एक समान संदेशों को जन-जन तक प्रचार प्रसार करने का काम कर रहे हैं. पद्मश्री सम्मान की घोषणा होने के बाद ETV भारत से राधेश्याम बारले ने खास बातचीत की.
पढ़ें: VIDEO : जब भाई को याद कर रो पड़े मशहूर सूफी गायक मदन सिंह चौहान
सवाल: पद्मश्री पुरस्कार के लिए आपका चयन हुआ, किसे श्रेय देना चाहेंगे?
जवाब: सबसे पहले गुरुघासीदास बाबा को धन्यवाद कहना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया. उनके बताए मार्गों पर चलकर बाबा के संदेश को पंथी नृत्य के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि वे 40 साल से राज्य के अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पंथी नृत्य की प्रस्तुति देकर छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाया है.
पढ़ें: Exclusive : पांच लाख पौधे लगाने वाले राजस्थान के हिम्मताराम को पद्म श्री
सवाल: अब तक आपने कहां कहां प्रस्तुतियां दे चुके हैं?
जवाब: भोजपुर उत्सव, मल्हार महोत्सव, दिल्ली हाट बाजार, बेतवा महोत्सव समेत भारत देश में जितने भी बड़े महोत्सव होते हैं, वहां वे पंथी नृत्य की प्रस्तुति दे चुके हैं.
सवाल: पंथी नृत्य कितने वर्षों से कर रहे हैं?
जवाब: वे पंथी नृत्य 1978 से करते आ रहे हैं. सबसे पहले बोदल रजौली में पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी थी. जो अभी तक अनवरत चल रहा है. जब तक अंतिम सांस है. पंथी नृत्य लगातार जारी रहेगा.
मिल चुका है सम्मान
राधेश्याम बारले को छत्तीसगढ़ सरकार ने लोक कला के क्षेत्र में साल 2008 में प्रथम देवदास बंजारे सम्मान, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हांथों साल 2012 में गुरु घासीदास सामाजिक दलित चेतना सम्मान, साल 2016 में डॉ. भंवर सिंह पोर्ते आदिवासी सेवा सम्मान जैसे तीन-तीन राज्य अलंकरण से सम्मानित किया गया है. कला के क्षेत्र में अन्य राज्यों से दर्जनों सम्मान प्राप्त कर चुके हैं.
यहां से की शुरुआत
राधेश्याम पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा गुरु घासीदास जी के सन्देश को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं. राधेश्याम बारले पाटन क्षेत्र के खोला गांव निवासी हैं. 1978 से पंथी नृत्य की शुरुआत खोला गांव में सतनाम पंथी संस्कृतिक सेवा समिति के नाम से टीम तैयार की. फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति देकर पंथी नृत्य को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया. इस कला में अपना जीवन समर्पित करने वाले राधेश्याम बारले को केंद्र सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने के लिए चयन किया है. इस घोषणा के बाद राधेश्याम बारले के परिजनों और मित्रों में खुशी की लहर है. लगातार उन्हें बधाई देने लोग पहुंच रहे हैं.