दुर्ग : बीजेपी ने अपनी पहली ही सूची में सीएम भूपेश की परंपरागत पाटन सीट से उनके भतीजे और दुर्ग सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है. लेकिन पाटन विधानसभा में सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ना आसान नहीं है. क्योंकि पिछली बार जब सीएम भूपेश बघेल को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में चुनाव की कमान सौंपी थी,तो अपने विधानसभा ज्यादा वक्त नहीं दे पाए थे. बावजूद इसके सिर्फ उनके नाम पर पाटन की जनता ने अपने लोकप्रिय नेता को चुनाव में जिताया.भले ही बीजेपी ने पुराने आंकड़ों को सामने रखकर पाटन विधानसभा से विजय बघेल को उतारा है.लेकिन मौजूदा परिस्थिति में सीएम भूपेश का कद पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ चुका है.जिससे किसी के लिए भी पार पाना आसान नहीं होगा.
भूपेश बघेल का राजनीतिक करियर: भूपेश बघेल ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भारतीय युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में साल 1985 से की थी. 1993 में पाटन से अपना पहला चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश विधान सभा पहुंचे थे. 1998 में एक बार फिर वे पाटन से मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए. इसके बाद दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में जन सरोकार विभाग के राज्य मंत्री और बाद में परिवहन मंत्री बनाए गये.
छत्तीसगढ़ बनने के बाद राजनीति में चमकें : साल 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद भूपेश बघेल प्रथम राजस्व मंत्री बने. इसके बाद लगातार छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर भी काम छत्तीसगढ़ के मुद्दे को उठाते रहे. 2014 में भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. जिसके बाद उन्होंने चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता अजीत जोगी के खिलाफ आवाज बुलंद की.आखिरकार अजीत जोगी को पार्टी छोड़नी पड़ी.अजीत जोगी के पार्टी छोड़ते ही भूपेश बघेल ने सिंहदेव के साथ जोड़ी बनाकर पूरे प्रदेश को नापा.प्रदेश में रहने वाले हर व्यक्ति से उसकी मंशा जानी.आखिरकार जब चुनाव हुए तो कांग्रेस प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई और भूपेश बघेल को सीएम का ताज पहनाया गया.वहीं विजय बघेल को पाटन से उम्मीदवार बनाने पर कांग्रेस खेमे में कोई असर नहीं पड़ा है. भिलाई विधायक और प्रवक्ता देवेंद्र यादव ने बीजेपी की पहली सूची पर सवाल उठाए हैं. देवेंद्र यादव के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार को कहीं से भी चुनौती नहीं मिलेगी.
चुनावी कैंपेन में बीजेपी है कमजोर : भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की माने तो भारतीय जनता पार्टी बहुत वीक दिखती है चुनावी कैंपेन में उनके पास ना चेहरा है और ना ही लीडरशिप है.जो टिकट भी बंटी है उससे वही दिखता है उनका जो सिलेक्शन प्रोसेस है उनका उस पर भी बहुत सवाल उठा रहे हैं बीजेपी के कार्यकर्ता.जिस जिस विधानसभा में टिकट वितरण हुए हैं.उससे भारतीय जनता पार्टी आपसी मनमुटाव और दिशाहीन दिख रही है.
''मुझे नहीं लगता आदरणीय भूपेश बघेल जी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार को चुनौती देने की स्थिति में दिख रहे हैं. पाटन विधानसभा में टिकट देना तो मजाक है उनकी तरफ से. पाटन कौन जीत रहा है ये पूरी छत्तीसगढ़ की जनता जान रही है.माननीय भूपेश बघेल के कार्यों से सिर्फ पाटन ही नहीं बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ जीत रहे हैं.वे केवल पाटन के नेता नहीं है.बल्कि छत्तीसगढ़ के नेता हैं.पूरे छत्तीसगढ़ की जनता उन्हें प्यार करती है.पाटन ही नहीं बल्कि पूरे 90 विधानसभा में उनके कार्यों का असर है.'' देवेंद्र यादव, विधायक, कांग्रेस
75 से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस के जीतने का दावा : देवेंद्र यादव के मुताबिक सीएम भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में हम लोग फिर से सरकार बना रहे हैं.और इस बार 75 से ज्यादा सीटों पर जीतकर आएंगे फिर से.भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही मीडिया में कुछ भी बोल सकते हैं.लेकिन दबी जुबान में वे भी कहते हैं भूपेश है तो भरोसा है.
बीजेपी ने भी किया दावा, जीतेंगे पाटन : वहीं दूसरी तरफ विजय बघेल का खेमा पाटन विधानसभा से टिकट मिलने के बाद बेहद उत्साहित है.बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव की माने तो पाटन विधानसभा की जनता इस बार बदलाव चाह रही है.इसलिए बीजेपी के लिए पाटन विधानसभा को जीतने में कोई मुश्किल नहीं होगी.पहले भी विजय बघेल पाटन में ही भूपेश बघेल को हरा चुके हैं.इस बार भी विजय बघेल को सफलता मिलेगी.
कांग्रेस से ही अलग होकर बीजेपी में शामिल हुए हैं विजय बघेल : वहीं दूसरी तरफ राजनीति के साथ खेल और सामाजिक गतिविधियों से जुड़े सांसद विजय बघेल ने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत कांग्रेस से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ही साथ की थी. लेकिन बाद में टिकट वितरण में उपेक्षा से नाराज होकर विजय बघेल ने पार्टी छोड़ दी. साल 2000 में नगर पालिका परिषद भिलाई-3 चरोदा के चुनाव में बतौर निर्दलयी प्रत्याशी किस्मत आजमाई. इस चुनाव में उन्हें जीत मिली. विजय बघेल साल 2005 तक नगर पालिका परिषद भिलाई -3 चरोदा के अध्यक्ष रहे. इसके बाद विजय बघेल ने साल 2003 में एनसीपी के प्रत्याशी के रूप में पाटन से भाग्य आजमाया. लेकिन वे असफल रहे.
साल 2008 में बीजेपी से लड़ा चुनाव : साल 2008 में विजय बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. उनके सामने भूपेश बघेल उम्मीदवार थे. इस चुनाव में विजय बघेल ने भूपेश बघेल को हरा दिया. साल 2008 में रमन सरकार में विजय बघेल को गृह, जेल एवं सहकारिता विभाग के संसदीय सचिव का दायित्व दिया गया. साल 2013 में विधानसभा चुनाव वे फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़े,लेकिन विजय की अबकी बार पराजय हो गई. साल 2013 में पराजय के कारण जातीय समीकरण को आजमाते हुए बीजेपी ने साल 2018 में विजय बघेल को लोकसभा का टिकट दिया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर के करीब 6 माह बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में सांसद विजय बघेल ने 3 लाख 91 हजार 978 मतों से जीत दर्ज की. यह पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी जीत थी. मौजूदा समय में विधानसभा उम्मीदवार बनाने पर विजय बघेल के परिवार ने केंद्रीय नेतृत्व को धन्यवाद कहा है.
कैसा है पाटन विधानसभा का सियासी गणित ? : पाटन विधानसभा की जनसंख्या लगभग 1 लाख 34 हजार 3 हजार 734 है. पाटन में सबसे ज्यादा वोटर्स साहू और कुर्मी समाज से हैं. जिसमें से 34 फीसदी वोटर्स करीब 85000 साहू समाज और 30 फीसदी वोटर्स यानी 72000 कुर्मी समुदाय से हैं. तीसरे नंबर पर 25 हजार के लगभग सतनामी वोटर्स हैं. जो निर्णायक साबित होते हैं. दक्षिण पाटन गुंडरदेही विधानसभा से टूटकर पाटन में शामिल हुआ है. जिसमें साहू जनसंख्या ज्यादा है. वहीं मध्य पाटन में मनवा कुर्मी अधिक हैं. मनवा कुर्मी समुदाय से ही भूपेश बघेल और विजय बघेल आते हैं. उत्तर पाटन में साहू, कुर्मी और सतनामी समाज मिला जुला हैं. बाकी मतदाताओं में देवांगन, यादव, निषाद,ढीमर, कुम्हार जाति के लोग शामिल हैं.