दुर्ग: दुर्ग संभाग की हाईप्रोफाइल पाटन विधानसभा सीट में जबरदस्त मुकाबले के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल ने चुनावी मैदान में बीजेपी सांसद विजय बघेल को करीब 19 हजार वोटों के अंतर से हराया है. इस बार दुर्ग जिले में कुल 69.36 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं पाटन विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कुल 75.54 प्रतिशत मतदान हुआ है.
पाटन विधानसभा का इतिहास : पाटन विधानसभा सीट दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इस संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के विजय बघेल सांसद हैं. इस सीट पर मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल विधायक हैं.सीएम भूपेश बघेल ने साल 2018 के चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी मोतीलाल साहू को बड़े अंतर से हराया था. हालांकि इस सीट पर कभी बीजेपी तो कभी कभी कांग्रेस का कब्जा रहा है.
पाटन विधानसभा के इतिहास की बात करें तो इस सीट पर 2003 से लेकर 2018 तक तीन बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. हर बार कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल को ही प्रत्याशी चुना गया है. वहीं बीजेपी ने तीन बार विजय बघेल पर भरोसा जताया था.जिसमें से साल 2008 में विजय बघेल ने भूपेश बघेल को चुनाव हरा दिया था. इसके बाद लगातार दो बार के चुनाव में भूपेश बघेल ही जीते.
क्या थे साल 2018 के नतीजे : 2018 के विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा क्षेत्र में कुल 82.93 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी भूपेश बघेल ने बीजेपी के मोतीलाल साहू को 27 हजार 477 वोटों के अंतर से हराया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला रहा. जहां कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल को 84 हजार 352 वोट मिले तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी मोतीलाल साहू को 56 हजार 875 वोट मिले. जनता कांग्रेस जोगी के प्रत्याशी शकुंतला साहू को 13201 वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल ने अपने निकटतम प्रत्याशी मोतीलाल साहू 27 हजार 477 वोटों से मात दी थी.
क्या हैं पाटन विधानसभा के मुद्दे : सीएम भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र होने के कारण लोगों को उम्मीद थी कि बरसों से चली आ रही परेशानी से मुक्ति मिलेगी.लेकिन ऐसा ना हो सका. सीएम भूपेश पर जनता ने भरोसा जताया.वो प्रदेश के मुखिया भी बने.लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी थी जो ना बीजेपी दूर कर पाई और ना ही कांग्रेस.इस विधानसभा में कई गांवों में क्रेशर खदान हैं.जिसके कारण ब्लास्टिंग होती है. ब्लास्टिंग के कारण गांवों के मकानों में दरारें पड़ जाती है. शिकायत के बाद भी खदानें बंद नहीं की गईं.क्रेशर खदानों के कारण भूमि का जलस्तर नीचे चला गया है.जिसके कारण किसानों के साथ-साथ गर्मी के दिनों में पीने और सिंचाई की समस्या पैदा हो जाती है. प्रदूषण के कारण कई गांवों में बीमारियां फैली है. क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के साधन नहीं हैं. क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध खनन और अवैध लकड़ी कटाई चल रहा है.