दुर्ग: दुर्ग संभाग की दुर्ग शहर विधानसभा सीट पर कांटे का मुकाबले के बीच बीजेपी ने जीत दर्ज की है. दुर्ग शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के अरुण वोरा को बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र यादव ने चुनावी मैदान में पटखनी दे दी है. इस बार दुर्ग जिले में कुल 69.36 प्रतिशत मतदान हुआ. इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में कुल 76.31 प्रतिशत मतदान हुआ है.
दुर्ग विधानसभा सीट को जानिए: इस सीट के अंतर्गत नगर निगम दुर्ग के 60 वार्ड आते हैं. दोनों ही क्षेत्रफल में बराबर है. जिसकी वजह से विधायक और महापौर का कार्यक्षेत्र समान होता है. शिवनाथ नदी दुर्ग विधानसभा की प्रमुख नदी है. दुर्ग विधानसभा को जिला मुख्यालय और संभाग मुख्यालय होने के नाते काफी अहम माना गया है. दुर्ग में विधायक कांग्रेस के अरुण वोरा हैं. वहीं, महापौर धीरज बाकलीवाल हैं, जो विधायक के करीबी माने जाते हैं. इस सीट पर सभी समाज के लोग रहते हैं. यहां पिछड़े वर्गों की संख्या अधिक हैं.
क्या है मुद्दे और समस्याएं: यहां अमृत मिशन योजना का कार्य अधूरा पड़ा है. वार्डों में गंदे पेय जल की सप्लाई होती है, जिससे लोग अधिक बीमार पड़ते हैं. यहां विकास कार्यों में कमी है. शहर में पार्किंग की समस्या तो आम है. साथ ही इस सीट की जीवनदायनी शिवनाथ नदी से दूषित पानी के निकासी से आसपास के लोग अधिक परेशान हैं. रविशंकर स्टेडियम जर्जर पड़ा है. यहां हॉकी स्टेडियम की कमी है.शहर में सड़क जाम की समस्या बनी रहती है. साथ ही यहां अवैध कब्जा की समस्या बड़ा मुद्दा है.
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2018 चुनाव में किसने मारी थी बाजी: साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग शहर विधानसभा सीट पर कुल 68.24 फीसद वोट पड़े थे. इस साल कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण वोरा ने भाजपा प्रत्याशी चंद्रिका चंद्राकार को 21 हजार 81 वोटों के अंतर से हराया था. 2018 विधानसभा चुनाव में दुर्ग सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. जोगी कांग्रेस के प्रताप मध्यानी भी चुनाव मैदान कांटे की टक्कर दे रहे थे. कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा को 64 हजार 981 वोट मिले थे. जबकि भाजपा प्रत्याशी चंद्रिका चंद्राकार को 43 हजार 900 वोट मिले. वहीं, जोगी कांग्रेस के प्रताप मध्यानी को 20 हजार 634 वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 47 फीसद वोट मिले थे. जबकि भाजपा को 32 फीसदी वोट मिले थे.
कौन तय करता है जीत और हार: यह सीट केंद्रीय इलाके में पड़ता है. यहां पिछड़ा वर्ग ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं. इसके अलावा अल्पसंख्यक,ओबीसी वर्ग सहित अन्य वर्ग के लोग भी यहां रहते हैं. साहू समाज के लोगों की इस क्षेत्र में बहुलता होने के कारण साहू समाज ही यहां चुनाव में निर्णायक भूमिका रहती है.